केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए खाने के तेलों पर लगने वाले Basic Custom Duty (BCD) में भारी कटौती की है। अब कच्चे सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम ऑयल (Crude sunflower, soybean and palm oils) पर आयात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर महज 10 फीसदी कर दिया गया है। इसका सीधा असर ये होगा कि बाज़ार में खाने के तेल के दाम ते़जी से नीचे आएंगे और महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को राहत मिलेगी।
क्यों लिया गया ये फैसला?
सितंबर 2024 में सरकार ने खाने के तेलों पर आयात शुल्क (Import duty on edible oils) बढ़ाया था, जिसके बाद से International market में भी कीमतें लगातार ऊपर चढ़ रही थीं। इस वजह से भारत में भी खाने के तेलों के दाम आसमान छूने लगे, जिससे खाद्य महंगाई दर (Food Inflation) बढ़ गई। आम लोगों की थाली पर इसका सीधा असर पड़ा और सरकार के सामने महंगाई काबू करने की चुनौती खड़ी हो गई।
इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अब कच्चे तेलों पर आयात शुल्क कम कर दिया है, ताकि Imported oils की लागत घटे और बाजार में दाम नीचे आएं।
कच्चे vs रिफाइंड तेल: अब क्या होगा फ़र्क?
सरकार ने कच्चे और रिफाइंड तेलों (crude and refined oils) के आयात शुल्क के बीच का अंतर 8.75 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब रिफाइंड तेल (Refined Oil) आयात करने के बजाय कच्चा तेल मंगाकर भारत में ही रिफाइन किया जाएगा। इससे देश में तेल रिफाइनिंग इंडस्ट्री (Refining Industry) को बढ़ावा मिलेगा और रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।
तेल कंपनियों को सख्त निर्देश: ‘ग्राहकों तक पहुंचाएं पूरा फायदा’
सरकार ने इस फैसले का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए तेल उद्योग संघों और कंपनियों के साथ बैठक की है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food and Public Distribution) के सचिव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में तेल कंपनियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे कम हुए आयात शुल्क का पूरा लाभ ग्राहकों को दें।
1. कंपनियों को डिस्ट्रीब्यूटर्स को दाम (PTD) और मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) तुरंत कम करने होंगे।
2. तेल संघों को सलाह दी गई है कि वे अपने सदस्यों से तेल के दाम कम करने और नए MRP की सूचना सरकार को हर हफ्ते दें।
3. DFPD ने कंपनियों के लिए एक फॉर्मेट भी जारी किया है, जिसमें MRP और PTD में की गई कटौती का ब्यौरा देना होगा।
क्या होगा असर?
- तेल के दाम घटेंगे: आयात शुल्क कम होने से कच्चे तेलों की लागत घटेगी, जिससे बाजार में खाने के तेल सस्ते होंगे।
- महंगाई पर लगेगी लगाम: खाद्य तेलों की कीमतें कम होने से खाद्य महंगाई दर (Food Inflation) पर भी कंट्रोल होगा।
- देशी रिफाइनरियों को फायदा: कच्चे तेल आयात करने से देश में रिफाइनिंग बढ़ेगी।
- किसानों को सही दाम : सरकार का मानना है कि इससे किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिलता रहेगा।
सरकार का बड़ा कदम, जनता को फायदा
खाने के तेलों की बढ़ती कीमतों ने पिछले कुछ महीनों से आम आदमी की जेब पर भारी बोझ डाला था। लेकिन अब सरकार के इस फैसले से उम्मीद की जा सकती है कि अगले कुछ हफ्तों में तेल के दामों में गिरावट आएगी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या तेल कंपनियां सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए ग्राहकों तक इसका पूरा लाभ पहुंचाएंगी।
अगर आप भी महंगाई से परेशान हैं, तो यह खबर आपके लिए राहत भरी है। अब जल्द ही आपकी रसोई में खाने का तेल सस्ता हो सकता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
इसे भी पढ़िए: ज़ॉब छोड़े बिना बने किंग! मैकेनिकल इंजीनियर सूरज तिवारी ने आम के बिज़नेस में बनाया मुकाम