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इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में 13 जून को एक बड़ा और महत्वपूर्ण आयोजन होने जा रहा है। अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जल कृषि सम्मेलन 2025 (Inland Fisheries and Aquaculture Conference 2025) के इस कार्यक्रम में देशभर के मछली पालन से जुड़े मंत्री, अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) करेंगे। साथ ही, राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और डॉ. सत्यपाल सिंह बघेल भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।
ये सम्मेलन सुबह 9 बजे से शुरू होगा और इसमें 14 राज्यों के मत्स्य पालन मंत्रियों की भागीदारी होगी। इसके अलावा, 52 करोड़ रुपये की लागत वाली कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का शुभारंभ भी किया जाएगा, जिसमें हलाली बांध जलाशय मात्स्यिकी क्लस्टर भी शामिल है।
क्या है इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य?
इस सम्मेलन का मकसद देश में अंतर्देशीय मत्स्यपालन (Inland Fisheries) और जल कृषि (Aquaculture) को बढ़ावा देना है। भारत में मछली उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है। इस सम्मेलन में मुख्य बिंदुओं पर चर्चा होगी:
सतत मत्स्यपालन को बढ़ावा : कैसे मछली पालन को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाए।
जलाशयों का बेहतर इस्तेमाल : बांधों और झीलों में मछली पालन के नए तरीके।
किसानों की आय बढ़ाने के उपाय : मछली पालन से कैसे छोटे किसानों को ज्यादा मुनाफा हो सकता है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत नई परियोजनाओं का शुभारंभ।
52 करोड़ रूपये की योजनाएं होगी लॉन्च
इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत कई नई परियोजनाओं का शुभारंभ किया जाएगा, जिनकी कुल लागत 52 करोड़ रूपये है। इनमें से सबसे प्रमुख है-
1. हलाली बांध जलाशय मात्स्यिकी क्लस्टर
मध्य प्रदेश के हलाली बांध को एक बड़े मत्स्य पालन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे न सिर्फ स्थानीय मछुआरों को रोजगार मिलेगा, बल्कि राज्य में मछली उत्पादन भी बढ़ेगा।
2. मत्स्य पालन अवसंरचना का विकास
इसके अलावा, देशभर में मछली पालन से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया जाएगा, जिसमें कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण इकाइयां (Cold storage, processing units) और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क शामिल हैं।
3. किसानों के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता
मछली पालन करने वाले किसानों को आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जाएगी, ताकि वे ज्यादा उत्पादन कर सकें।
क्यों है ये सम्मेलन इतना महत्वपूर्ण?
– भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, लेकिन अभी भी अंतर्देशीय मत्स्यपालन (Inland Fisheries) की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाया है।
–इस क्षेत्र में लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है, खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में।
–नई तकनीक और निवेश से मछली उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा, जिससे निर्यात भी बढ़ेगा।
किसानों और मछुआरों को कैसे मिलेगा लाभ?
- सरकारी सब्सिडी – मछली पालन शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता।
- बेहतर बाजार संपर्क – मछली बेचने के लिए सीधे बाजार तक पहुंच।
- आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षण – मछली पालन की नवीनतम तकनीकों की जानकारी।
अगर सरकार की योजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाता है, तो मछली पालन करने वाले किसानों की आय में बड़ा इजाफा हो सकता है और देश को विदेशी मुद्रा भी मिल सकती है। इसलिए, 13 जून को इंदौर में होने वाले इस ऐतिहासिक सम्मेलन पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
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