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लखनऊ (Lucknow) के सूरज तिवारी (Suraj Tiwari) न सिर्फ एक सफल मैकेनिकल इंजीनियर (Mechanical Engineer) हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश के फल उत्पादन और एक्सपोर्ट बिज़नेस में भी उनका नाम फेमस है। एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने के बावजूद (The mechanical engineer who became Lucknow’s ‘Mango King’) उन्होंने खेती और फ़लों के व्यवसाय को चुना और आज वे आम, अमरूद, लीची और आंवले की खेती से लाखों का टर्न ओवर कमा रहे हैं। उनकी कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है, जो पारंपरिक नौकरी के अलावा कुछ अलग करना चाहता है।
पढ़ाई के साथ-साथ पिता से सीखा बिज़नेस का गुर
सूरज तिवारी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग (B.Tech) की पढ़ाई की, लेकिन उनके पिता फॉरेस्ट्री के पौधों का बिजनेस करते थे। इसलिए बचपन से ही उन्हें पेड़-पौधों और कृषि से जुड़ी बारीकियों की नॉलेज थी। पिता के काम को देखते हुए उनके मन में भी खेती और बागवानी को लेकर इंटरेस्ट जागा। हालांकि, उन्होंने पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी शुरू की, लेकिन जल्द ही उन्हें लगा कि उनकी असली पहचान खेती और फलों के बिजनेस में है।
आगरा एक्सप्रेसवे और महिलाबाद में 3 एकड़ में आम के बाग
सूरज तिवारी ने अपने बिजनेस की शुरुआत आम की खेती से की। उनके पास आगरा एक्सप्रेसवे और महिलाबाद में 3 एकड़ ज़मीन पर आम के बाग हैं, जहां दशहरी आम के साथ-साथ अन्य किस्मों के आम भी उगाए जाते हैं। इसके अलावा, वे अमरूद, लीची और जैकफ्रूट की भी खेती करते हैं। उनका फलों का बिजनेस सीधे एक्सपोर्ट और बड़े खुदरा नेटवर्क (जैसे रिलायंस फ्रेश) से जुड़ा हुआ है।
इस साल आम की पैदावार अच्छी हुई है, लेकिन लखनऊ के मशहूर दशहरी आम अभी बाजार में नहीं आए हैं।
सूरज बताते हैं, ‘इस बार बारिश न होने की वजह से आम पूरी तरह पके नहीं हैं, इसलिए हमने अभी तोड़ना शुरू नहीं किया है। जल्द ही ताज़े दशहरी आम बाजार में उपलब्ध होंगे।’
प्रतापगढ़ में आंवले की खेती: मिट्टी का जादू
सूरज सिर्फ आम तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने प्रतापगढ़ में आंवले की खेती भी शुरू की है। वे बताते हैं, “प्रतापगढ़ की मिट्टी आंवले के लिए बहुत उपयुक्त है। यहां के आंवले की गुणवत्ता बेहतर होती है, जिसकी मांग देशभर में है। आंवले का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं, अचार और जूस बनाने में होता है, इसलिए इसकी मार्केट वैल्यू भी अच्छी है।
कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल नहीं, प्राकृतिक तरीके से पकाते हैं आम
आजकल बाजार में जल्दी पकाए गए आम मिल रहे हैं, जिनमें कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है। ये केमिकल सेहत के लिए हानिकारक है और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। सूरज तिवारी इसका उपयोग नहीं करते।
सूरज कहते हैं, “हम प्राकृतिक तरीके से आम पकाते हैं। कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल छोटे व्यापारी करते हैं, लेकिन हम ग्राहकों की सेहत को प्राथमिकता देते हैं।”
रिटेल नहीं, होलसेल और एक्सपोर्ट पर फोकस
सूरज तिवारी का पूरा बिजनेस एक्सपोर्ट और होलसेल पर आधारित है। वे सीधे बड़े खुदरा नेटवर्क, सुपरमार्केट चेन और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को आम और अन्य फल सप्लाई करते हैं। उनके फल रिलायंस फ्रेश जैसे बड़े ब्रांड्स तक पहुंचते हैं और विदेशों में भी एक्सपोर्ट किए जाते हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा: खेती भी बन सकता है करोड़ों का बिज़नेस
सूरज तिवारी की सफलता ये साबित करती है कि अगर खेती को आधुनिक तकनीक और बिजनेस माइंडसेट के साथ किया जाए, तो यह एक फायदेमंद बिज़नेस बन सकता है। आज के युवा अक्सर खेती को पिछड़ा हुआ काम समझते हैं, लेकिन सूरज जैसे लोग दिखा रहे हैं कि Agri Business में भी करोड़ों कमाए जा सकते हैं।
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