भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक से खुले सहयोग के नए रास्ते

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक से दोनों देशों में कृषि सहयोग और नवाचार को नई दिशा मिली।

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक

नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक बैठक की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी और श्रीलंका सरकार के कृषि, पशुधन, भूमि एवं सिंचाई मंत्रालय के सचिव डी.पी. विक्रमसिंघे ने की। इस बैठक ने दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य सहयोग को और सशक्त बनाना है।

कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर गहन चर्चा

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। दोनों देशों ने कृषि मशीनीकरण, जैविक और प्राकृतिक खेती, बीज क्षेत्र विकास, कृषि-उद्यमिता, कृषि शिक्षा, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, बाज़ार पहुंच और जलवायु-अनुकूल कृषि जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की।

बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि संयुक्त अनुसंधान और क्षमता निर्माण के माध्यम से दोनों देश एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकते हैं। इस सहयोग से न केवल किसानों को नई तकनीकों की जानकारी मिलेगी बल्कि कृषि उत्पादकता में भी सुधार होगा।

डिजिटल कृषि और स्टार्टअप्स पर भी जोर

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक में डिजिटल कृषि, फ़सल बीमा और कृषि-स्टार्टअप जैसी पहलों पर भी विशेष ध्यान दिया गया। भारत में तेजी से बढ़ते एग्रीटेक सेक्टर और डिजिटल समाधानों के अनुभव को श्रीलंका के साथ साझा करने पर जोर दिया गया। यह प्रयास दोनों देशों के किसानों को आधुनिक तकनीकों के प्रयोग में सक्षम बनाएगा।

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक से खुले सहयोग के नए रास्ते

श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल का भारत भ्रमण

बैठक के बाद श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा का दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य भारत की कृषि अनुसंधान प्रणाली, नवाचार और तकनीकी उपलब्धियों को समझना था। प्रतिनिधिमंडल ने भारत में मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, जैविक खेती और बीज विकास में अपनाए जा रहे वैज्ञानिक उपायों की सराहना की।

बैठक में शामिल प्रमुख अधिकारी

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक में दोनों देशों के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। श्रीलंका की ओर से जी.जी.वी. श्यामली (अतिरिक्त महानिदेशक, कृषि विभाग), बी.एस.एस. परेरा (निदेशक, पशुधन विकास) और गेशान (काउंसलर, श्रीलंका उच्चायोग) शामिल हुए।

वहीं भारत की ओर से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW), पीपीवीएफआरए, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और विदेश मंत्रालय (MEA) के संयुक्त सचिवों ने भाग लिया।

भविष्य के लिए साझा दृष्टिकोण

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक ने दोनों देशों के बीच खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में ठोस नींव रखी है। चर्चा के दौरान यह स्वीकार किया गया कि बदलते जलवायु परिदृश्य में सहयोगात्मक अनुसंधान और डेटा आधारित कृषि ही स्थायी समाधान बन सकते हैं।

डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि इस तरह की बैठकें दोनों देशों के किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएंगी। वहीं, श्रीलंका के सचिव डी.पी. विक्रमसिंघे ने भारत के सहयोग को “कृषि के भविष्य के लिए एक प्रेरक कदम” बताया।

साझा प्रतिबद्धता और कृषि नवाचार की दिशा में कदम

बैठक में भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि दोनों देश कृषि को न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से भी मजबूत करना चाहते हैं।

भारत की ओर से “मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन”, “जैविक खेती” और “कृषि शिक्षा” जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता साझा करने का प्रस्ताव दिया गया। वहीं श्रीलंका ने भी अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि इस सहयोग से किसान समुदाय की स्थिति और बेहतर होगी।

निष्कर्ष

भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक ने दोनों देशों के बीच कृषि सहयोग के एक नए युग की शुरुआत की है। इससे न केवल तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि किसानों को टिकाऊ खेती की दिशा में मार्गदर्शन मिले।

यह बैठक इस बात का प्रतीक है कि भारत और श्रीलंका मिलकर एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, जहां वैज्ञानिक सोच, आधुनिक तकनीक और सहयोगात्मक नीति से कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकेगा।

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