Agricultural Research Institutes In India And Abroad: भारत और विश्व के संगठन मिलकर बदल रहे दुनिया

कृषि को फायदे का सौदा बनाने में देश और विदेश के कृषि अनुसंधान संस्थानों (Agricultural Research Institutes In India And Abroad) की भूमिका अहम हो गई है। ये संस्थान अब सिर्फ अनाज पैदा करने की बात नहीं करते, बल्कि एक स्मार्ट, टिकाऊ और मुनाफे वाली कृषि का सपना संजोए हैं।

Agricultural Research Institutes In India And Abroad: भारत और विश्व के संगठन मिलकर बदल रहे दुनिया

भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली कृषि, आज एक नए युग के दहलीज पर खड़ी है। जहां एक ओर पारंपरिक ज्ञान का अपार भंडार है, वहीं दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी और सीमित संसाधनों का गंभीर संकट। इन चुनौतियों से निपटने और कृषि को फायदे का सौदा बनाने में देश और विदेश के कृषि अनुसंधान संस्थानों (Agricultural Research Institutes In India And Abroad) की भूमिका अहम हो गई है। ये संस्थान अब सिर्फ अनाज पैदा करने की बात नहीं करते, बल्कि एक स्मार्ट, टिकाऊ और मुनाफे वाली कृषि का सपना संजोए हैं।

Indian Institute: हरित क्रांति के स्तंभ और उसके आगे

भारत में कृषि अनुसंधान (Agricultural Research) की नींव Indian Council of Agricultural Research  (ICAR) ने रखी, जो दुनिया के सबसे बड़े कृषि अनुसंधान नेटवर्क्स में से एक है। ICAR ने हरित क्रांति का नेतृत्व किया, जिसने देश को अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बनाया। आज ICAR का फोकस केवल उत्पादन बढ़ाने पर नहीं, बल्कि Sustainable Agriculture पर है।

1.राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली: जिसे ‘पूसा संस्थान’ के नाम से जाना जाता है, ये भारतीय कृषि अनुसंधान का मंदिर है। यहां गेहूं और चावल की नई प्रजातियों के विकास से लेकर जैव-प्रौद्योगिकी और जलवायु-सहनशील किस्मों पर गहन शोध हो रहा है।

2.राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) करनाल : डेयरी क्षेत्र में श्वेत क्रांति के पीछे NDRI का बड़ा योगदान है। ये संस्थान दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार, दूध उत्पादन तकनीक और डेयरी उत्पादों पर शोध के लिए विख्यात है।

3.केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (CSSRI) करनाल:  देश की बढ़ती लवणीय और क्षारीय भूमि को उपजाऊ बनाने की दिशा में यह संस्थान अग्रणी है। यहां ऐसी तकनीकें विकसित की जा रही हैं जिनसे खारे पानी से भी खेती संभव हो सके।

इनके अलावा, IRRI (इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट) के साथ ICAR का सहयोग उल्लेखनीय है, जिसने धान की उन्नत किस्मों को विकसित करने में मदद की है।

International Institutes: Global Cooperation की बुनियाद

भारत की कृषि चुनौतियां अकेले देश तक सीमित नहीं हैं। इसलिए वैश्विक सहयोग जरूरी हो गया है। कुछ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थान जो भारत के साथ मिलकर काम कर रहे हैं:

1.अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) हैदराबाद

  ये संस्थान शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों जैसे चना, अरहर, मूंगफली पर शोध के लिए समर्पित है। इसने किसानों के लिए कम पानी और कम उर्वरक में अच्छी पैदावार देने वाली किस्में विकसित की हैं।

2.अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केंद्र (CIMMYT)

ये संस्थान भारत में गेहूं और मक्का की उत्पादकता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। हरित क्रांति के जनक नॉर्मन बोरलॉग CIMMYT से ही जुड़े थे।

3.विश्व बैंक और FAO (खाद्य एवं कृषि संगठन)

ये संस्थान भारत में कृषि ढांचा, सिंचाई परियोजनाओं, किसान कल्याण और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी नीतियों को बनाने और उन्हें वित्तपोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Artifical Intelligence और Internet of Things का साथ 

आज कृषि अनुसंधान का फोकस पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर डिजिटल खेती, प्रिसिजन फार्मिंग, जीनोम एडिटिंग और ड्रोन टेक्नोलॉजी पर केंद्रित है। संस्थान अब AI (artifical Intelligence) और IoT (Internet of Things) का यूज़ करके मौसम का पूर्वानुमान, मिट्टी की सेहत की निगरानी और फसलों में रोगों की पहचान करने जैसे समाधान विकसित कर रहे हैं।

हालांकि, अभी भी एक बड़ी चुनौती इन रिसर्च के नतीजों को छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचाने की है। लैब से लेकर खेत तक की इस दूरी को पाटने के लिए मजबूत एक्सटेंशन सर्विसेज और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ज़रूरत है।

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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