The Indo-Israeli Agriculture Project: मुरैना में इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना से उग रहीं बिन मौसम सब्ज़ियां

इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना से मुरैना में हाईटेक खेती से सब्ज़ी उत्पादन बढ़ा, किसान हो रहे आर्थिक रूप से सशक्त।

इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना The Indo-Israeli Agriculture Project

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के नूराबाद क्षेत्र में संचालित इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) आज किसानों की किस्मत बदलने का कार्य कर रही है। यह परियोजना, जो भारत और इज़राइल के बीच कृषि क्षेत्र में तकनीकी सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है, अब सब्ज़ी उत्पादन में क्रांति ला रही है। इससे न केवल मुरैना जिले के किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि यह पूरे राज्य के किसानों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है।

नूराबाद का सब्ज़ी उत्कृष्टता केंद्र बन रहा मॉडल (Nurabad’s vegetable excellence is becoming a model)

मुरैना के नूराबाद क्षेत्र में स्थापित “Centre of Excellence for Vegetables” नामक सब्ज़ी उत्कृष्टता केंद्र इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) के तहत संचालित हो रहा है। इस केंद्र में पॉलीहाउस, नेट हाउस, ड्रिप इरिगेशन जैसी हाईटेक तकनीकों के माध्यम से सब्ज़ी की आधुनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां लगभग 60,000 टमाटर और मिर्च की सीडलिंग तैयार की गई है और 20,000 शिमला मिर्च के पौधे लगाए जा चुके हैं। इन पौधों को किसानों में वितरित कर उन्हें आधुनिक खेती की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।

इजरायली वैज्ञानिकों का निरीक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन (Inspection and technical guidance of Israeli scientists)

हाल ही में इजरायली हॉर्टिकल्चर वैज्ञानिक यूरी रॉबस्टिन मुरैना पहुंचे और नूराबाद स्थित इस उत्कृष्टता केंद्र का दौरा किया। उन्होंने सीडलिंग उत्पादन, फ़सल संरक्षण और तकनीकी क्रियान्वयन की बारीकियों का गहन अवलोकन किया। उन्होंने किसानों को नई तकनीकों के बारे में मार्गदर्शन दिया, जिससे उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो सके।

बिना मौसम की सब्जियों से हो रही है अच्छी कमाई (Goods are earning good without weather vegetables)

इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) के अंतर्गत इस केंद्र में बिना मौसम की सब्ज़ियां जैसे कि शिमला मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी, तरबूज आदि उगाई जा रही हैं। इन सब्जियों की बाज़ार में भारी मांग होती है और दाम भी अच्छे मिलते हैं। इस तकनीक से किसान परंपरागत खेती की तुलना में कई गुना अधिक मुनाफ़ा कमा रहे हैं। मुरैना की यह सब्ज़ियां अब सिर्फ़ स्थानीय मंडियों में ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में भेजी जा रही हैं।

किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता का लाभ (Benefits of training and awareness to farmers)

इस परियोजना का एक प्रमुख उद्देश्य किसानों को केवल उन्नत बीज और पौधे प्रदान करना ही नहीं, बल्कि उन्हें वैज्ञानिक तरीकों से आधुनिक खेती का प्रशिक्षण देना भी है। इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) के तहत प्रशिक्षित किसान अब स्मार्ट और लाभकारी खेती की ओर बढ़ रहे हैं। ये प्रशिक्षण उन्हें पर्यावरण के अनुकूल खेती करने, कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने और फ़सल की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायता कर रहे हैं।

The Indo-Israeli Agriculture Project: मुरैना में इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना से उग रहीं बिन मौसम सब्ज़ियां

परियोजना का विस्तार पूरे जिले में (Extension of the project throughout the district)

यह परियोजना केवल नूराबाद तक सीमित नहीं है। कृषि विभाग की योजना है कि मुरैना जिले के अन्य गांवों में भी इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) के तहत ऐसे ही हाईटेक केंद्र स्थापित किए जाएँ। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे अपनी जमीन पर इस आधुनिक पद्धति को अपना सकें और आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।

तकनीकी नवाचार से बदलेगी खेती की दिशा (Technological innovation will change the direction of farming)

इस परियोजना में ड्रिप इरिगेशन, पॉलीहाउस और नेट हाउस जैसी तकनीकों का समावेश एक नई क्रांति ला रहा है। इन तकनीकों से पानी की बचत होती है, फ़सल बीमारियों से बची रहती है और उत्पादन में वृद्धि होती है। इस प्रकार इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) केवल उत्पादन का माध्यम नहीं, बल्कि खेती के स्वरूप को पूरी तरह बदलने वाली पहल बन चुकी है।

किसानों के लिए एक सशक्त पहल (A strong initiative for farmers)

उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक के अनुसार, यह परियोजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने, उनकी आमदनी बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) के जरिए अब छोटे और सीमांत किसान भी बड़ी सोच और नई तकनीकों के साथ कृषि में नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में बढ़ रहे हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

मुरैना का नूराबाद अब केवल एक कस्बा नहीं, बल्कि इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना (The Indo-Israeli Agriculture Project) का जीवंत उदाहरण बन गया है। यह परियोजना दिखाती है कि कैसे तकनीकी नवाचार, वैज्ञानिक सोच और सरकारी सहयोग मिलकर किसानों की आमदनी को बढ़ा सकते हैं और कृषि को एक सशक्त व्यवसाय में बदल सकते हैं। आने वाले समय में यह परियोजना न केवल मुरैना, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए बदलाव की मिसाल बनेगी।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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