रबी की फसल की बुवाई का समय चल रहा है। लहसुन की खेती मुख्य तौर पर रबी मौसम में की जाती है। कई किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा भी रहे हैं। सब्जी में जब तक प्याज़ और लहसुन का तड़का न लगे तब तक स्वाद फीका सा लगता है। लहसुन तो सब्जी का स्वाद बढ़ाता ही है, साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी ये फ़ायदेमंद माना जाता है।
लहसुन का ज़्यादातर इस्तेमाल मसाले के रूप में होता है। इसमें एल्सिन नाम का एक तत्व पाया जाता है। इसी वजह से लहसुन से एक खास तरह की गंध आती है और इसका स्वाद भी कड़वा और तेज तीखा सा होता है। इसके अलावा, आयुर्वेदिक दवाइयों के रूप में भी लहसुन का सेवन किया जाता है। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर, पेट के कई रोगों, फेफड़ों की बीमारियों, दमा और खून की बीमारी के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
इसी कारण बाज़ार में लहसुन की अच्छी मांग रहती है, और लहसुन की खेती किसानों के लिए फ़ायदे का व्यवसाय है। लहसुन की बुवाई का सही समय अक्टूबर-नवंबर के बीच होता है। लहसुन की पैदावार क्षमता उसकी किस्म पर निर्भर करती है। इसकी औसतन उपज प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल के आसपास रहती है।
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लहसुन की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु?
न ज़्यादा गरम और न ज़्यादा ठंडा, ऐसा मौसम लहसुन की खेती के लिए सबसे सही रहता है। अगर गर्मी ज्यादा होगी तो लहसुन का कंद ठीक तरह से नहीं बढ़ पायेगा । ज़्यादा ठंड में लहसुन की फसल उग तो जाती है, लेकिन पैदावार ज़्यादा नहीं मिल पाती। 29 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान ही लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त होता है।
किस तरह की होनी चाहिए मिट्टी और कैसे तैयार करें खेत?
लहसुन की खेती के लिए जल निकास वाली दोमट भूमि यानी हलकी मिट्टी वाली ज़मीन अच्छी होती है। मिट्टी का पी.एच. लेवल 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए। इसकी जांच के लिए आप अपने नज़दीकी मिट्टी परीक्षण केंद्र में जा सकते हैं, जहां से आपको मिट्टी की पूरी लैब रिपोर्ट मिल जाएगी। खेत में फसल लगाने से पहले अच्छे से 2 से 3 बार जुताई ज़रूरी होती है ताकि ज़मीन समतल हो सके। मिट्टी का भुरभुरा होना ज़रूरी है ताकि पानी की निकासी अच्छे से हो सके।
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जानिए लहसुन की उन्नत किस्में:
यमुना सफेद (जी-1)
इसके एक कंद में 28 से 30 कलियां होती हैं। ये किस्म 155 से 160 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार क्षमता 150 से 160 क्विंटल प्रति हेक्टयर हो जाती है। ये किस्म परपल ब्लाच रोग मुक्त है। इसका कंद ठोस और उजले सफ़ेद रंग का होता है।
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यमुना सफेद 2 (जी-50)
इसकी पैदावार क्षमता प्रति हेक्टयर 130 से 140 क्विंटल होती है। ये किस्म 165 से 170 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसपर लहसुन की फसल पर लगने वाले रोग बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग का प्रकोप नहीं रहता। इसके कंद का रंग क्रीम कलर का होता है। इसके कंद में 18 से 20 कलियां होती हैं।
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इसके एक कंद में 15 से 18 कलियां होती हैं। ये किस्म 140-150 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 175-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। इसकी एक कली एक से डेढ़ सेमी. मोटी होती है।
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यमुना सफेद-4 (जी-323)
इस किस्म के लहसुन को तैयार होने में 165 से 175 दिनों का समय लगता है। इसके कंद का आकार लगभग 4.5 सेंटीमीटर होता है। इसकी पैदावार 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इसके एक कंद में 18 से 23 कलियां होती हैं।
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कश्मीरी लहसुन या पोथी लहसुन
इस लहसुन की ख़ासियत ये है कि इसमें सिर्फ एक ही कली होती है। कश्मीरी लहसुन को दुनिया की सबसे शक्तिशाली जड़ी-बूटियों में गिना जाता है। इस लहसुन (Garlic) की कटाई साल में एक बार हिमालय के ऊंचे इलाकों में की जाती है। यह आकार में सामान्य लहसुन से छोटा होता है। यह देखने में पीले रंग का होता है। कश्मीरी लहसुन में मैंगनीज, विटामिन बी1, विटामिन बी 6, विटामिन सी, कॉपर, सेलेनियम, फास्फोरस, एलिन और एलिनेज एंजाइम, थायमिन, के साथ एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल तत्व भी पाए जाते हैं। कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण ये महंगा बिकता है।
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एग्रीफाउंड सफेद
इस किस्म की एक कंद में 20 से 25 कलियां होती हैं। इसकी उपज क्षमता 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। इस किस्म को तैयार होने में 160 से 165 दिन का वक़्त लग जाता है। इस किस्म पर परपल ब्लॉच रोग का असर नहीं होता।
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एग्रीफाउंड पार्वती
इसके कंद बड़े आकार और क्रिमी रंग के होते हैं। इसके एक कंद में 10 से 16 कलियां होती हैं। इस किस्म को तैयार होने में 160 से 165 दिन का समय लगता है, जबकि इसकी उपज क्षमता 175 से 225 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
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तो ये थी बात लहसुन की किस्मों की, इसके अलावा भी लहसुन की खेती में कई बातें ध्यान रखने की ज़रूरत होती है। इस लेख की अगली कड़ी में हम आपको लहसुन की खेती कैसे की जाए, उसका स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस बताएंगे। साथ ही लहसुन की उपज से ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफ़ा कैसे कमाया जाए, इसकी भी विस्तार से जानकारी देंगे।
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