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कश्मीर में कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से सशक्त बनाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक पहल की गई है। श्रीनगर में अत्याधुनिक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला (Static Soil Testing Laboratory) का शुभारंभ किया गया है, जो HADP-19 परियोजना के अंतर्गत स्थापित की गई है। इस प्रयोगशाला का उद्देश्य वैज्ञानिक और डेटा-आधारित खेती को बढ़ावा देना और किसानों को मिट्टी की सेहत से जुड़ी सटीक जानकारी प्रदान करना है।
कृषि में आधुनिकता की नई शुरुआत
श्रीनगर में हुई इस मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के उद्घाटन समारोह में निदेशक कृषि कश्मीर श्री सरताज अहमद शाह और CITH-ICAR के निदेशक डॉ. एम.के. वर्मा ने संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया। इस अवसर पर PGMC चेयरमैन HADP-19 डॉ. शब्बीर बांगरू सहित कृषि विभाग और CITH-ICAR के कई वैज्ञानिक, अधिकारी और विशेषज्ञ मौजूद रहे।
उद्घाटन के बाद अतिथियों ने प्रयोगशाला का निरीक्षण किया और इसमें मौजूद अत्याधुनिक उपकरणों और विश्लेषणात्मक क्षमताओं की जानकारी ली। यह मृदा परीक्षण प्रयोगशाला मिट्टी के पीएच स्तर, पोषक तत्वों की मात्रा, जैविक कार्बन और अन्य आवश्यक तत्वों की जांच करने में सक्षम है।
वैज्ञानिक खेती को मिलेगा बढ़ावा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरताज अहमद शाह ने कहा कि यह मृदा परीक्षण प्रयोगशाला कश्मीर के किसानों के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा, “वैज्ञानिक खेती का मूल आधार मिट्टी का सही विश्लेषण है। जब किसान अपनी मिट्टी की जरूरतों को समझकर फ़सल का चयन करते हैं, तो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रयोगशाला से किसानों को सटीक और डेटा-आधारित सुझाव मिलेंगे, जिससे उन्हें खाद, उर्वरक और फ़सल प्रबंधन में बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
मिट्टी की सेहत सुधारने में महत्वपूर्ण कदम
CITH-ICAR के निदेशक डॉ. एम.के. वर्मा ने कहा कि इस मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण कश्मीर की कृषि प्रणाली को वैज्ञानिक और टिकाऊ बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। “यह पहल न केवल मिट्टी की सेहत को सुधारने में मदद करेगी बल्कि कृषि उत्पादकता में भी दीर्घकालिक सुधार लाएगी,” उन्होंने कहा।
डॉ. शब्बीर बांगरू ने बताया कि मिट्टी आधारित सलाह किसानों को टिकाऊ खेती की दिशा में मार्गदर्शन करने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा, “मिट्टी के सही विश्लेषण से किसान यह समझ सकते हैं कि उनके खेतों में कौन से पोषक तत्वों की कमी है और उन्हें कौन से जैविक उपाय अपनाने चाहिए।”
कृषि और तकनीक का सफल संगम
इस अवसर पर सभी अतिथियों ने श्री मुऩीर अहमद भट और उनकी टीम की सराहना की, जिन्होंने इस मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह प्रयोगशाला आधुनिक कृषि तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने और कृषि क्षेत्र को डिजिटल दिशा में आगे बढ़ाने का उदाहरण है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी की नियमित जांच से न केवल उत्पादन में सुधार होता है, बल्कि उर्वरकों के संतुलित प्रयोग से मिट्टी की उर्वरकता भी लंबे समय तक बनी रहती है। इससे पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है और जलवायु-स्मार्ट खेती को बढ़ावा मिलता है।
डेटा-आधारित खेती से बढ़ेगी किसानों की आय
मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के माध्यम से अब किसानों को अपनी मिट्टी की विस्तृत रिपोर्ट मिल सकेगी, जिसमें पीएच वैल्यू, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सूक्ष्म पोषक तत्वों की जानकारी होगी। इसके आधार पर किसान यह तय कर पाएंगे कि किस फ़सल के लिए उनकी मिट्टी सबसे उपयुक्त है और कौन से जैविक या रासायनिक उपाय अपनाने चाहिए।
इस डेटा-आधारित खेती से उत्पादन लागत में कमी आएगी और लाभ में वृद्धि होगी। साथ ही, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के साथ टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
कश्मीर में कृषि अनुसंधान और व्यवहारिक खेती के बीच सेतु
इस मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह कृषि अनुसंधान और किसानों के बीच एक मजबूत कड़ी के रूप में काम करेगा। इससे किसानों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार सही मार्गदर्शन मिलेगा और कृषि योजनाओं का क्रियान्वयन अधिक प्रभावी रूप से हो सकेगा।
जम्मू-कश्मीर में सरकार की यह पहल टिकाऊ, वैज्ञानिक और डेटा-केंद्रित खेती को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान देंगी।
निष्कर्ष
श्रीनगर में स्थापित यह आधुनिक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला कश्मीर की कृषि प्रणाली में एक नई क्रांति का आरंभ है। यह न केवल किसानों को वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करेगी बल्कि मिट्टी की सेहत सुधारकर दीर्घकालिक कृषि विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगी।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अन्य जिलों में भी ऐसी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जाती हैं, तो जम्मू-कश्मीर देश के अग्रणी टिकाऊ कृषि राज्यों में शामिल हो सकता है।
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