देश में बासमती धान के उत्पादन में मध्य प्रदेश अग्रणी रहा है। यहां 25 साल से बासमती धान का उत्पादन हो रहा है। लेकिन यहां के किसानों को कम कीमत में धान बेचना पड़ता है। यहां के धान को उस स्तर की पहचान नहीं मिली है, जिसकी वह हकदार है। इसका कारण यह है कि यहां उत्पादित धान को जीआई टैग नहीं मिला है।
अब जल्दी ही मध्यप्रदेश को बासमती चावल उत्पादक राज्य का दर्जा मिल सकता है। इसके लिए एपीडा (Agricultural & Processed Food Products Export Development Authority) ने मध्यप्रदेश राज्य के शरबती गेहूं और बासमती चावल को जीआई टैग देने का प्रस्ताव मंजूरी के लिए कृषि मंत्रालय को भेजा है। उम्मीद है कि जल्द ही इसके प्रस्ताव पर सरकार की मुहर लग सकती है एपीडी जीआई टैग दे सकती है।
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पंजाब सरकार जीआई टैग देने को लेकर जता चुकी है आपत्ति
मध्यप्रदेश के बासमती चावल को लेकर कई विवाद भी सामने आते रहे हैं। इस पर अगस्त 2020 में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग न देने की बात की थी। उन्होंने इस संबंध में पीएम मोदी को एक लेटर लिखा था। इस लेटर में उन्होंने बताया था कि मध्य प्रदेश की बासमती को अगर जीआई टैग मिलता है, तो इससे पंजाब के किसानों को बहुत नुकसान होगा साथ ही दूसरे पड़ोसी देश इसका लाभ उठायेंगे। बता दें कि बासमती के मामले में पंजाब को पहले रही जीआई टैग मिला हुआ है।
एमपी के सीएम ने पीएम मोदी को लिखा है पत्र
बासमती धान को जीआई टैग दिलाने को लेकर यहां के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी पीएम मोदी को कई बार पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने इसके लिए कई दस्तावेज भी उपलब्ध कराये हैं। जीआई टैग मिलने से बासमती धान को एक पहचान मिलेगी। यहां के किसानों को इसकी बिक्री पर अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद है, इसलिए मध्यप्रदेश लंबे समय से जीआई टैग मिलने को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रही है।