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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan) ने नागपुर में एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस दौरान चौहान देश की पहली ‘राष्ट्रीय मृदा स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी’ (National Soil Spectral Library)’ का उद्घाटन करेंगे, जो डिजिटल कृषि की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। इस बैठक में ‘विकसित कृषि’ और ग्रामीण विकास योजनाओं की समीक्षा की जाएगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इस बैठक में शामिल होंगे।
मिट्टी की जांच अब होगी बिना छुए, AI और स्पेक्ट्रल तकनीक से
अब तक मिट्टी की जांच के लिए पारंपरिक रासायनिक विधियों का इस्तेमाल होता था, जिसमें समय और पैसा दोनों लगता था। लेकिन अब राष्ट्रीय मृदा स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी के जरिए मिट्टी का विश्लेषण बिना छुए, तेज और सस्ते तरीके से किया जा सकेगा। यह तकनीक ICAR-नेशनल ब्यूरो ऑफ सॉइल सर्वे एंड लैंड यूज प्लानिंग (नागपुर), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल साइंस (भोपाल) और इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (नई दिल्ली) ने मिलकर विकसित की है।
इस लाइब्रेरी में भारत के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों की मिट्टी का डेटा संग्रहित होगा, जिससे किसानों को उनकी जमीन के अनुसार सही फसल चुनने और उर्वरकों के इस्तेमाल में मदद मिलेगी।
कपास की फसल को बर्बाद करने वाले गुलाबी सूंडी कीट पर AI से नियंत्रण
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री एक और अहम तकनीक ‘AI-आधारित स्मार्ट ट्रैप’ लॉन्च करेंगे, जो कपास की फसल के दुश्मन ‘पिंक बॉलवर्म’ (गुलाबी सूंडी) को नियंत्रित करने में मदद करेगा। यह तकनीक ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कॉटन रिसर्च, नागपुर ने विकसित की है, जो मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके कीटों का पता लगाएगी और किसानों को सतर्क करेगी।
प्रगतिशील किसानों को मिलेगा सम्मान
इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में नवाचार करके दूसरे किसानों के लिए मिसाल कायम की है।
कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति
कृषि मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय मृदा स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी भारत के किसानों के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आएगी। इससे मिट्टी की गुणवत्ता का पता चंद मिनटों में लगाया जा सकेगा, जिससे किसानों को सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर ICAR के डायरेक्टर जनरल डॉ. मंगीलाल जाट, महाराष्ट्र के कृषि वैज्ञानिक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।
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मेंथा ऑयल की मंदी से उत्तर प्रदेश के बदायूं रामपुर सम्भल बरेली के किसानों के बारे में सरकार ने सोचना बंद कर दिया है जो कि किसानों की इनकम का अच्छा जरिया हो सकती थी लेकिन सरकार ने इस की तरफ देखना तक बंद कर दिया है चाइनीज सिंथेटिक मेंथा ऑयल की वजह से भारतीय मेंथा ऑयल की कीमतों में 2014 के बाद काफी गिरावट आई है इस से इन क्षेत्रों के किसानों को काफी हानि पहुंच रही हैं शर्कर को ऐश तरफ ध्यान देना चाहिए माननीय कृषि मंत्री शिव राज चौहान जी से आग्रह है कि चाइनीज सिंथेटिक मेंथा ऑयल पर रोक लगाए जाए