‘Per Drop More Crop’ की नई नीति से जल संरक्षण को बढ़ावा और किसानों को मिलेगा दोगुना फ़ायदा

जल संसाधनों का सही मैनेजमेंट करने की दिशा में केंद्र सरकार का ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (‘Per Drop More Crop’) स्कीन मील का पत्थर साबित हो रही है। इस योजना का सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण बदलाव वित्तीय सीमा में छूट है।

‘Per Drop More Crop’ की नई नीति से जल संरक्षण को बढ़ावा और किसानों को मिलेगा दोगुना फ़ायदा

भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन देश के ज़्यादातर हिस्सों में पानी की किल्लत एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसे में, किसानों की आमदनी बढ़ाने और जल संसाधनों का सही मैनेजमेंट करने की दिशा में केंद्र सरकार का ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (‘Per Drop More Crop’) स्कीन मील का पत्थर साबित हो रही है। हाल ही में इस योजना में किए गए बदलाव न केवल जल संरक्षण (Water Conservation) के लिए सरकार की गंभीरता को दिखाते हैं, बल्कि किसानों को मज़बूत बनाने की एक सोची-समझी स्ट्रैटजी भी हैं।

महत्वपूर्ण बदलाव वित्तीय सीमा में छूट

इस योजना का सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण बदलाव वित्तीय सीमा में छूट है। पहले, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए  Other Interventions  के तहत micro water storage projects पर खर्च की सीमा तय थी। राज्यों के लिए ये सीमा उनके कुल आवंटन (Allocation) का 20 फीसदी और पूर्वोत्तर हिमालयी राज्यों व जम्मू-कश्मीर लद्दाख (North-eastern Himalayan states and Jammu and Kashmir, Ladakh) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए 40 फीसदी थी।

New revised guidelines ने इस सीमा को हटा दिया है। अब हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी ज़रूरतों, भू-भाग और पानी की उपलब्धता के आधार पर इन परियोजनाओं पर ज़रूरत के अनुसार धनराशि खर्च कर सकते हैं। ये कदम वन साइज़ फिट्स ऑल की नीति से हटकर Localised Solutions की ओर एक बड़ा बदलाव है।

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माइक्रो लेवल पर बड़ा बदलाव 

स्कीम का मेन फोकस अब माइक्रो लेवल की वॉटर मैनेजमेंट एक्टिविटीज़ पर है। राज्य अब अपनी ज़रूरतों के आधार  पर  योजना बना और लागू कर सकते हैं- 

डिग्गी (छोटे तालाब) निर्माण: खेतों में छोटे-छोटे तालाब बनाकर बारिश के पानी को स्टोरेज किया जा सकेगा। ये पानी सूखे के दिनों में माइक्रो इरिगेशन के काम आएगा।

वॉटर हारवेस्टिंग सिस्टम: वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाकर सतही बहाव वाले पानी को रोका और संरक्षित किया जाएगा।

सामुदायिक इस्तेमाल: इन संरचनाओं को न  सिर्फ किसानों, बल्कि पूरे समुदाय के फायदे के लिए भी विकसित किया जा सकता है। इससे सामूहिक जल संरक्षण (collective water conservation) को बल मिलेगा और आपसी सहयोग बढ़ेगा।

 क्यों है ये कदम महत्वपूर्ण?

1.सिंचाई के लिए संसटेबल वॉटर अवेलेबिलिटी : माइक्रो इरिगेशन (ड्रिप और स्प्रिंकलर) की सफलता पानी की लगातार आपूर्ति पर निर्भर करती है। डिग्गी और सटेबल वॉटर अवेलेबिलिटी इसकी गारंटी देगीं।

2.भूजल स्तर में सुधार: जल संरक्षण की ये मैथड भूजल रीचार्ज को बढ़ावा देंगी, जिससे लगातार गिरते भूजल स्तर पर अंकुश लगेगा।

3.उत्पादकता और आमदनी में बढ़ोतरी: पानी की उपलब्धता बढ़ने से फसलों का रकबा और प्रोडक्शन बढ़ेगा। माइक्रो इरिगेशन से फर्टिलाइज़र की बचत भी होती है, जिससे लागत कम होकर आमदनी में बढ़ोतरी होगी।

4.जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता: अनियमित मानसून और सूखे की स्थिति में ये वॉटर सोर्स किसानों के लिए लाइफ लाइन साबित होंगे।

एक पॉजिटिव पहल

‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (‘Per Drop More Crop’) स्कीम में ये नया बदलाव भारतीय कृषि की जल संकट से जूझने की क्षमता को मजबूत करेगा। ये नीति किसानों को केवल सब्सिडी देने के बजाय, एक ऐसा मजबूत ढांचा तैयार करने पर केंद्रित है जो उन्हें लंबे वक्त तक आत्मनिर्भर बनाएगा। 

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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