भारत का कृषि क्षेत्र एक बार फिर एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। 11 अक्टूबर, 2025 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) देश के किसानों की ख़ुशहाली और देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) को नई दिशा देने वाली दो बड़ी स्कीम- ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (PM Dhan-Dhaanya Yojana and Self-Reliance in Pulses Mission) की शुरुआत करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan) ने इसकी पूरी डीटेल press conference में इन महत्वाकांक्षी योजनाओं की पूरी जानकारी दी।
दलहन आत्मनिर्भरता-एक राष्ट्रीय मिशन
भारत दालों का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता दोनों है, फिर भी वो सबसे बड़ा आयातक (importer) भी है। इस मिशन के लिए सरकार ने 2030-31 तक का साफ और मापने योग्य टारगेट रखा है-
1.बुवाई क्षेत्र: वर्तमान 275 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर करना।
2.उत्पादन: वर्तमान 242 लाख टन से बढ़ाकर 350 लाख टन करना।
3.उत्पादकता: वर्तमान 880 kg/ha से बढ़ाकर 1,130 kg/ha करना।
इन टारगेट को हासिल करने के लिए एक Multi-pronged strategy अपनाई जाएगी। रिसर्च और डेवलपमेंट पर जोर देते हुए हाई प्रोडक्टिविटी, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल किस्मों को विकसित किया जाएगा। किसानों तक 126 लाख क्विंटल सर्टिफाइड बीज और 88 लाख फ्री बीज किट पहुंचाई जाएंगी।
सबसे अहम बात, केंद्रीय एजेंसियां रजिस्टर्ड किसानों से Minimum Support Price (MSP) पर 100 प्रतिशत खरीद की गारंटी देंगी, जिससे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके। इसके अलावा, दलहन उत्पादक क्षेत्रों में ही 1,000 प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने का लक्ष्य है, जिन पर सरकार 25 लाख रुपये तक की सब्सिडी देगी।
पीएम धन-धान्य
दूसरी झोली में ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ है, जिसका फोकस देश के 100 कम उत्पादकता वाले जिलों पर होगा। इस योजना की खूबसूरती इसके ‘वन नेशन-वन एग्रीकल्चर-वन टीम’ के दृष्टिकोण (outlook) में है। सरकार का मानना है कि अगर इन पिछड़े जिलों की उत्पादकता को भी राष्ट्रीय औसत के स्तर पर लाया जाए, तो देश का कुल कृषि उत्पादन काफी बढ़ जाएगा और इन जिलों के किसानों की आमदनी में भी शानदार बढोतरी होगी।
इसके तहत सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, बेहतर भंडारण व्यवस्था, आसान ऋण और crop diversification जैसे उपाय किए जाएंगे। ये योजना सफल ‘आकांक्षी जिला’ मॉडल पर आधारित है। नीति आयोग के डैशबोर्ड के ज़रीये से इसकी निगरानी की जाएगी, जिससे ट्रांसपेरेंसी और efficiency बनी रहेगी।
एक साथ, एक टारगेट की ओर
11 अक्टूबर को होने वाले इस महाकुंभ में प्रधानमंत्री मोदी कृषि अवसंरचना कोष, पशुपालन और मत्स्य पालन की 1,100 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे, जिनकी कुल लागत 42,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा है। साथ ही, 10,000 FPOs से जुड़े 50 लाख किसान, 1,100 करोड़पति FPOs, और 10,000 नई PACS का कंप्यूटरीकरण जैसी उपलब्धियों को बताया जाएगा।
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