Chatbot In Punjabi Language: धुंए में घिरे पंजाब में पराली प्रबंधन की चुनौती और नई उम्मीद बना पंजाबी भाषा का Chatbot

'सांझ पंजाब' ('Sanjh Punjab') नामक एक गठबंधन ने एक ऐसी रिपोर्ट और टेक्नोलॉजी पेश (stubble management) की है, जो इस समस्या के समाधान (Chatbot in Punjabi Language) की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकती है।

Chatbot In Punjabi Language: धुंए में घिरे पंजाब में पराली प्रबंधन की चुनौती और नई उम्मीद बना पंजाबी भाषा का Chatbot

सर्दियों की आहट के साथ ही पंजाब और आसपास के इलाकों का आसमान एक बार फिर धुंध (stubble burning) से घिरने लगा है। जलती हुई पराली का धुआं न सिर्फ लाखों लोगों की सांसों में जहर घोल रहा है, बल्कि यह एक गहरे कृषि संकट का भी संकेत है। इसी चुनौती के बीच, ‘सांझ पंजाब’ (‘Sanjh Punjab’) नामक एक गठबंधन ने एक ऐसी रिपोर्ट और टेक्नोलॉजी पेश (stubble management) की है, जो इस समस्या के समाधान (Chatbot in Punjabi Language) की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकती है।

सांझ पंजाब की ऐतिहासिक पहल

‘सांझ पंजाब’ (‘Sanjh Punjab’) जो क्लाइमेटा-रेजिलिएंट एग्रीकल्चर (Climatically-resilient agriculture) को बढ़ावा देने वाले प्रमुख संगठनों का एक गठबंधन है, ने आज अमृतसर के खालसा कॉलेज फॉर वूमेन में एक ऐतिहासिक रिपोर्ट ‘लिसनिंग टू फार्मर्स ऑन सीआरएम मशीनरी’ (‘Listening to Farmers on CRM Machinery’) जारी की। साथ ही, एक ऐसा Chatbot लॉन्च किया जो किसानों को पराली प्रबंधन की जानकारी रियल टाइम में प्रोवाइड कराएगा। ये चैटबॉट पंजाबी लैंगवेज में एक साधारण, बातचीत जैसा इंटरफेस प्रदान करता है, जिसके जरिए किसान Crop Residue Management (CRM) की मशीनरी बुक कर सकते हैं, मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी पा सकते हैं और crop diversification के लिए Guidance  ले सकते हैं।

रिपोर्ट में उजागर हुए चौंकाने वाले फैक्ट्स

ये रिसर्च पंजाब के 10 जिलों में सीआरएम मशीनरी के इस्तेमाल का अब तक का Comprehensive mapping पेश करता है। रिपोर्ट में मशीनरी तक पहुंच, आड़े आने वाली बाधाओं और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के अवसरों के पैटर्न को बताता है। गहन शोध (In-depth research) बताता है कि मशीनों की उपलब्धता के बावजूद, छोटे और मझोले किसानों तक उनकी पहुंच एक बड़ी चुनौती है। लागत, तकनीकी ज्ञान की कमी और बिचौलियों पर निर्भरता ऐसी रुकावटें हैं जो टिकाऊ खेती की राह में बाधक हैं।

कैसे काम करता है चैटबॉट?

इस चैटबॉट को ए2पी एनर्जी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और सीईO सुखमीत सिंह (Sukhmeet Singh, Founder and CEO, A2P Energy Solutions Pvt Ltd) ने डिजाइन किया है। सुखमीत कहते हैं, ‘ये पायलट चैटबॉट किसानों के फोन पर सीधे रियल-टाइम सहायता पहुंचाता है – जो उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और चतुर खेती के फैसले लेने में मदद करता है। सरल, बातचीत वाला और पंजाबी में, इसे वास्तव में किसान-प्रथम और सभी के लिए accessible technology बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।’

kisan of india instagram

केवल मशीनें नहीं, बदलाव की ज़रूरत

सीम्मिट (CIMMYT) के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनीष का कहना है कि ये conclusion इस बात पर रोशनी डालते हैं कि प्रौद्योगिकी के साथ-साथ पूरक सहायता प्रणालियों की ज़रूरत है। तकनीक अकेले समाधान नहीं है, बल्कि उसे प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए ज्ञान, प्रशिक्षण और सहयोगात्मक वातावरण की जरूरत होती है।

किसान और खेत का टूटता रिश्ता

खेती विरासत मंच के उमेंद्र दत्त इस चर्चा को और गहराई तक ले जाते हैं। वे कहते हैं, ‘फसल अवशेष प्रबंधन सिर्फ मशीनों के बारे में नहीं है-ये किसान और खेत के बीच के बंधन को बहाल करने के बारे में है। ये पहल दिखाती है कि जब सही तकनीक किसानों में भरोसे के साथ जुड़ती है, तो हम स्वस्थ मिट्टी, स्वच्छ पानी और अधिक गरिमा का पोषण करते हैं।” 

 एक साझी ज़िम्मेदारी

सांझ पंजाब का ये प्रयास बताता है कि पराली का संकट सिर्फ एक ‘किसान समस्या’ नहीं है, बल्कि ये एक सिस्टमिक विफलता है। इसके समाधान के लिए तकनीक, नीति, जागरूकता और किसानों के साथ विश्वास का एक सहज मेल जरूरी है। ये चैटबॉट एक छोटा सा, लेकिन महत्वपूर्ण कदम है जो ज्ञान के अंतर को पाटकर और बिचौलियों पर निर्भरता कम करके किसानों की उत्पादकता और लचीलेपन को मजबूत कर सकता है। 

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

इसे भी पढ़िए: Climate Crisis: भारत का किसान प्रकृति के प्रकोप के सामने क्यों हार रहा? बाढ़, सूखा और बादल फटना बना नई ख़तरनाक ‘सामान्य’ स्थिति 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top