SMAM Scheme: अब महिला किसानों की मेहनत पर सरकार का पूरा साथ, 4.5 लाख के ट्रैक्टर पर 50 फीसदी तक की छूट

SMAM ने भारतीय कृषि क्षेत्र, ख़ासकर महिला किसानों के लिए एक नई क्रांति की शुरूआत (Women empowerment) की है। ये स्कीम न सिर्फ खेती को मॉर्डर्न और सक्षम बना रही है, बल्कि महिला किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने का एक मजबूत ज़रिया भी बन गई है।

SMAM Scheme: अब महिला किसानों की मेहनत पर सरकार का पूरा साथ, 4.5 लाख के ट्रैक्टर पर 50 फीसदी तक की छूट

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन’ यानि Sub Mission on Agricultural Mechanization Scheme (SMAM) ने भारतीय कृषि क्षेत्र, ख़ासकर महिला किसानों के लिए एक नई क्रांति की शुरूआत (Women empowerment) की है। ये स्कीम न सिर्फ खेती को मॉर्डर्न और सक्षम बना रही है, बल्कि महिला किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने का एक मजबूत ज़रिया भी बन गई है। आइए, गहराई से जानते हैं कि कैसे ये योजना किसानों, ख़ासकर  महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है।

क्या है कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM)?

इस उप-मिशन की शुरुआत साल 2014-15 में की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के छोटे और सीमांत किसानों को किफायती दरों पर आधुनिक कृषि मशीनें उपलब्ध कराना है। इसका टार्गेट खेती की लागत कम करना, उत्पादकता बढ़ाना और किसानों के श्रम को कम करना है। वित्त वर्ष 2025 के लिए इस योजना का बजट 1,000 करोड़ रुपये से अधिक रखा गया है, जिसमें केंद्र सरकार 90 फीसदी  और राज्य सरकारें 10 फीसदी हिस्सेदारी करती हैं।

महिला सशक्तिकरण 

इस योजना की सबसे अच्छा बात है महिला किसानों के लिए ख़ास प्रावधान। सरकार ने माना है कि देश की खेती-किसानी में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है, लेकिन उनके पास संसाधनों की कमी है। इसी को ध्यान में रखते हुए सब्सिडी के स्तर में भारी अंतर रखा गया है:

  • सामान्य पुरुष किसानों के लिए: मशीन की लागत पर 40 प्रतिशत सब्सिडी (अधिकतम 2 लाख रुपये तक)।
  • महिला किसानों, SC/ST और छोटे व सीमांत किसानों के लिए: मशीन की लागत पर 50 प्रतिशत सब्सिडी (अधिकतम 2.5 लाख रुपये तक)।

इस नीति का सीधा-साधा मतलब है कि महिला किसानों को पुरुष किसानों के मुकाबले कहीं अधिक सहायता मिल रही है।

आंकड़ों में समझें: 4.5 लाख का ट्रैक्टर आधे दाम पर!

इस फार्मूला को एक उदाहरण से समझते हैं:

मान लीजिए, एक महिला किसान 4.5 लाख रुपये का एक ट्रैक्टर खरीदना चाहती हैं।

  • ट्रैक्टर की कुल कीमत: 4,50,000 रुपये
  • 50 फीसदी सब्सिडी: 2,25,000 रुपये
  • महिला किसान का भुगतान: सिर्फ 2,25,000 रुपये

अब अगर एक सामान्य पुरुष किसान वही ट्रैक्टर खरीदे:

  • ट्रैक्टर की कुल कीमत: 4,50,000रुपये
  • 40 फीसदी सब्सिडी: 1,80,000 रुपये
  • पुरुष किसान का भुगतान: 2,70,000 रुपये

 इस हिसाब से महिला किसानों को पुरुष किसानों की तुलना में 45,000 प्रतिशत की अतिरिक्त बचत हो रही है। ये छूट न केवल आर्थिक राहत है, बल्कि महिलाओं को फैसले लेने और खेती को आधुनिक बनाने के लिए प्रोत्साहन भी है।

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किन मशीनों पर मिलती है सब्सिडी?

ये योजना सिर्फ ट्रैक्टर तक सीमित नहीं है। इसके तहत किसानों को पावर टिलर, सीड ड्रिल, हैरो, रीपर, थ्रेशर, और स्प्रेयर जैसे आधुनिक कृषि उपकरण भी सब्सिडी पर दी जाती है।  

आवेदन की प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप गाइड

  1. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन: सबसे पहले आधिकारिक पोर्टल https://agrimachinery.nic.in या https://myscheme.gov.in पर जाएं।
  2. फॉर्म भरना: अपने आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन करने के बाद आवेदन फॉर्म भरें और इच्छित मशीन/ट्रैक्टर का चयन करें।
  3. दस्तावेज अपलोड करना: जरूरी दस्तावेजों की स्कैन कॉपी अपलोड करें।
  4. वैरिफ़िकेशन: राज्य सरकार का कृषि विभाग आपके दस्तावेजों का सत्यापन करेगा।
  5. सब्सिडी:  एप्लिकेशन अप्लाई करने के बाद, सब्सिडी की राशि सीधे आपके बैंक खाते में DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के ज़रीये से जमा कर दी जाएगी।

जरूरी दस्तावेज:

  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक
  • ज़मीन का रिकॉर्ड (खसरा/खतौनी)
  • पासपोर्ट साइज़ फोटो
  • आय एवं जाति प्रमाण पत्र (अगर ज़रूरी हो)
  • महिला किसान होने का प्रमाण (राशन कार्ड, किसान रजिस्ट्रेशन वगैरह)

कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) सिर्फ एक स्कीम नहीं, बल्कि भारतीय कृषि को बदलने का एक विज़न है। ये महिला किसानों को केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र की मुख्य धारा में एक नेता के रूप में स्थापित करने का प्रयास है। 

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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