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देश की कृषि अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने वाले महत्वपूर्ण रबी सीज़न की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए आज 15 सितंबर 2025 को पूसा स्थित भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम (Bharat Ratna C. Subramaniam Auditorium) में एक ऐतिहासिक दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-रबी अभियान 2025’ (Two-day ‘National Agriculture Conference – Rabi Abhiyan 2025’) का आगाज़ हुआ। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan) की अगुवाई में हो रहे इस सम्मेलन का उद्देश्य न सिर्फ आगामी रबी सीज़न 2025-26 (Upcoming Rabi Season 2025-26) के उत्पादन लक्ष्यों को तय करना है, बल्कि Integrated Strategy के ज़रिए देश के किसानों की आमदनी बढ़ाना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (National Food Security) के लिए स्ट्रैटजी बनानी है।
‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’-थीम
सम्मेलन की शुरूआत पर कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने जिस ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ की थीम को रखा, वो इस पूरे अभियान की आत्मा है। ये थीम केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय, सहयोग और सामूहिक जिम्मेदारी (Co-ordination, cooperation and collective responsibility) की भावना को दिखाती है। इसका मूल मंत्र है कि देश का हर किसान, चाहे वह किसी भी कोने में हो, उसे वक्त पर और सही तकनीक मिले। डिजिटल इंडिया की इस दौर में ये सम्मेलन सुनिश्चित करेगा कि नये कृषि शोध, उन्नत बीज, और जानकारी हर स्तर तक पहुंचे।
‘दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन- रबी अभियान 2025’
पहले दिन के सत्र-
-:जलवायु लचीलापन
-: गुणवत्तापूर्ण इनपुट: बीज (साथी पोर्टल), उर्वरक, कीटनाशक, कृषि ट्रेसेबिलिटी
-: दलहन और तिलहन पर विशेष ज़ोर के साथ फसलों का विविधीकरण
पहली बार दो दिन का सम्मेलन: गहन चर्चा और रणनीतिक नियोजन
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर इस बार ये सम्मेलन पहली बार दो दिनों का आयोजित किया गया है, जो इसकी गंभीरता और व्यापकता को दिखाता है। पहले दिन केंद्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने तकनीकी चुनौतियों, संसाधनों की उपलब्धता, और बुनियादी ढांचे पर चर्चा हो रही है। जबकि 16 सितम्बर को सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों और केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में एक उच्च-स्तरीय बैठक होगी, जहां अंतिम रणनीति तय की जाएगी।
इस सम्मेलन की एक और ख़ास बात ये है कि इसमें पहली बार कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के वैज्ञानिकों को भी सीधे तौर पर बुलाया गया है। ये वैज्ञानिक जमीनी हकीकत, क्षेत्रीय चुनौतियों और सफलताओं की जानकारी शेयर करेंगे, जिससे नीति निर्माण में और आसानी हो सकेगी।
मुख्य एजेंडा: तकनीक, टिकाऊपन और आमदनी में बढ़ोत्तरी
इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर गहन मंथन हो रहा है:
1.तकनीक का प्रसार: ड्रोन टेक्नोलॉजी, सटीक सिंचाई, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी तकनीकों को किसानों तक कैसे पहुंचाया जाए, इस पर विस्तृत चर्चा।
2.उर्वरक प्रबंधन: जैविक और जैव-उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देकर लागत कम करना और मिट्टी की सेहत में सुधार लाना।
3.जलवायु अनुकूलन: मौसम पूर्वानुमान के आधार पर फसल चक्र की योजना बनाना ताकि जलवायु जोखिम को कम किया जा सके।
4.बीजों की गुणवत्ता: उन्नत और जलवायु-अनुकूल बीज varieties के उत्पादन और वितरण को मज़बूत करना।
5.बेस्ट प्रेक्टिस : अलग-अलग राज्यों की सफल कहानियों (जैसे मध्य प्रदेश की गेहूं उत्पादन तकनीक, पंजाब की कृषि विविधीकरण योजना) को अन्य राज्यों में दोहराने की योजना।
क्यों है ये सम्मेलन महत्वपूर्ण?
रबी की फसलें, विशेषकर गेहूं, चना, सरसों, देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ हैं। एक सफल रबी सीज़न न सिर्फ देश के खाद्य भंडार को भरता है बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मज़बूत करता है। ये सम्मेलन इन्हीं लक्ष्यों को फोकस में रखकर एक overall action plan बनाने का मंच है। ये सुनिश्चित करेगा कि किसानों को बुवाई से पहले ही सभी संसाधन, जानकारी और समर्थन मिल जाए।
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