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दूध उत्पादन (Milk production) के मामले में भारत न सिर्फ वर्ल्ड में पहले स्थान पर है, बल्कि इसे ‘World Dairy Capital’ भी कहा जाता है। चौंकाने वाला फैक्ट ये है कि दुनिया का हर चौथा कप दूध भारत में उत्पादित होता है। ग्लोबल मिल्क प्रोडक्शन (Global Milk Production) में भारत की हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है। बीते साल देश में 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ, जो लगातार 5-6 फीसदी की सलाना दर से बढ़ रहा है। ये बढ़ोतरी ‘ऑपरेशन फ्लड’ की वजह से रखी गई मजबूत बुनियाद का सीधा रिज़ल्ट है, जिसने देश के छोटे और सीमांत किसानों को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था (National economy) की मुख्यधारा से जोड़ दिया।
ग्लोबल मार्केट में भारतीय डेयरी प्रोडक्ट्स की धमक
भारत सिर्फ घरेलू जरूरतें पूरी नहीं कर रहा, बल्कि दुनिया के 136 से अधिक देशों को अपने डेयरी प्रोडक्ट्स को एक्सपोर्ट कर रहा है। यानी, दुनिया के 136 देश रोजाना भारतीय घी और मक्खन का स्वाद चख रहे हैं। हर साल भारत से लगभग 65,000 से 70,000 टन डेयरी उत्पादों का एक्सपोर्ट होता है। कोविड-19 महामारी के बाद तो इसने ऐतिहासिक उछाल देखा और निर्यात एक लाख टन के आंकड़े को पार कर गया।
यहां एक और रोचक फैक्ट सामने आता है, भारतीय डेयरी प्रोडक्ट्स के शीर्ष 10 खरीदार देशों में से छह मुस्लिम बहुल देश शामिल हैं, जैसे यूएई, सऊदी अरब, बहरीन, कतर, ओमान और बांग्लादेश। इसकी एक बड़ी वजह भारतीय उत्पादों को मिलने वाला हलाल सर्टिफिकेशन है, जिसने मिडिल ईस्ट और इस्लामिक देशों के विशाल बाजार के दरवाज़े भारत के लिए खोल दिए हैं।
घी का साम्राज्य: 4 लाख करोड़ का ‘लिक्विड गोल्ड’
भारत में घी सिर्फ एक Food ingredient नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक और एक विशाल आर्थिक यूनिट है।
1.वर्तमान बाजार: भारत में घी का कुल कारोबार 3.5 से 4 लाख करोड़ रुपये का है। ये आकार कई बड़े उद्योगों से भी बड़ा है।
2.कैसा रहेगा फ्यूचर : अनुमान है कि साल 2032 तक यह बाजार 7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। ये growth rate खुद इसकी शोहरत का उदाहरण है।
3.सरकारी रेवन्यू: घी पर एक साल में 7,500 से 8,000 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्ट हुआ। जो सरकार के लिए रेवन्यू का एक अहम ज़रिया है।
4.घरेलू बनाम निर्यात: एक फैक्ट है कि निर्यात के मुकाबले घरेलू बाजार में घी की खपत कहीं ज़्यादा है। ये दिखाता है कि भारतीयों की खुद की खपत और खरीदने की शक्ति कितनी मज़बूत है।
मक्खन बाजार: 60 हजार करोड़ से ऊपर उठती हुई संभावना
मक्खन का मार्केट भी किसी से कम नहीं है। देश में मक्खन का बाजार 55,000 से 60,000 करोड़ रुपये का है और 2032 तक इसे 1 से 1.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन भारत की सबसे बड़ी अचीवमेंट मक्खन प्रोडक्शन (Butter Production) में उसकी हिस्सेदारी है।
दुनिया का 58 फीसदी मक्खन भारत में प्रड्यूस किया जाता है। ये आंकड़ा हैरान करने वाला है। इसकी तुलना में, यूरोपियन यूनियन का योगदान 18 फीसदी, अमेरिका का 8 प्रतिशत और न्यूजीलैंड का मात्र 4 प्रतिशत है। भारत वाकई में इस मामले में एकाधिकार रखता है।
भविष्य की राह और भी चमकदार
भविष्य और भी चमकीला दिखाई दे रहा है। बकरी के दूध के उत्पादन में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले 10 सालों में 52 लाख टन से बढ़कर 75 लाख टन पर पहुंच गया है। ये खासकर आहार और स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता को दिखाता है। सबसे ज़रूरी बात, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता बढ़कर 479 ग्राम प्रतिदिन हो गई है, जो दर्शाता है कि देश की बढ़ती आबादी के बावजूद, उत्पादन ने मांग को पूरा करने में सफलता हासिल की है।
सहकारिता से आत्मनिर्भरता तक का सफ़र
भारत का डेयरी उद्योग ‘सहकारिता’ और ‘स्वावलंबन’ (‘Co-operation’ and ‘Self-reliance’) की एक जीती-जागती मिसाल है। ये बिज़नेस लाखों किसानों की आजीविका का आधार है, देश की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है, और ग्लोबल मार्केट में ‘मेड इन इंडिया’ का परचम लहरा रहा है। घी और मक्खन के मामले में तो भारत ने एक वैश्विक दबदबा कायम कर लिया है।
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