भारत के Food Processing Sector के इतिहास में एक गोल्डन चैप्टर जुड़ गया है। दिल्ली में प्रगति मैदान के भारत मंडपम (Bharat Mandapam) में चार दिनों 25-28 सितंबर तक चले वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 (World Food India 2025) के सफल समापन ने न केवल रिकॉर्ड बनाया, बल्कि भारत को ग्लोबल एग्री-फूड वैल्यू चेन का एक ‘सशक्त और विश्वसनीय भागीदार’ (‘Strong and reliable partner’) घोषित कर दिया। 95,000 से अधिक प्रतिभागियों वाला ये आयोजन अब तक का सबसे बड़ा फूड और एग्रीकल्चर कन्वर्जेंस प्लेटफॉर्म साबित हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी का रोडमैप
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में चीफ गेस्ट रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री पात्रुशेव (Russian Deputy Prime Minister Dmitry Patrushev) की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो स्ट्रैटजिक विज़न दिखाया, वो इस पूरे आयोजन की बैकबोन बनी। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अब सिर्फ एक उभरता हुआ बाजार नहीं, बल्कि दुनिया का भरोसेमंद सप्लायर है। उन्होंने भारत की ताकत को तीन पिलर्स पर पेश किया-
कृषि विविधता: कई तरह की जलवायु क्षेत्रों के कारण भारत में फलों, सब्जियों, अनाज और मसालों की शानदार वैरायटी मौजूद है।
बढ़ती मांग: तेजी से मांग में इज़ाफा हो रहा है। हाई क्वालिटी वाले खाद्य उत्पादों की मांग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सक्षम नीतियां: 100 फीसदी एफडीआई, प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) स्कीम और मेगा फूड पार्क जैसी पहलों ने निवेश के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया है।
सूक्ष्म उद्यमियों को मिली बड़ी ताकत
इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PMFME) योजना के तहत एक बड़ी सौगात दी। देशभर के 26,000 micro food processing projects के लिए 2,518 करोड़ रुपये की क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी जारी की गई। ये कदम लोकल लेवल पर रोजगार पैदा करने और ‘वोकल फॉर लोकल’ के विजन को मजबूत करेगा।
1.02 लाख करोड़ रूपये का ऐतिहासिक निवेश
वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धि रही एक लाख दो हज़ार करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर सिग्नेचर। ये फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी निवेश कमिटमेंट है, जो ग्लोबल इनवेस्टर्स के भारत में बढ़ते विश्वास को दिखाती है।
सीईओ राउंडटेबल
कार्यक्रम का एक और प्रमुख आकर्षण था सीईओ राउंडटेबल, जिसकी सह-अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और चिराग पासवान ने की। इसमें 100 से ज़्यादा टॉप भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ शामिल हुए। चर्चा का केंद्र सतत विकास था, जिसमें बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग, कचरे का मूल्यांकन (Waste Valorisation), ब्लू इकॉनमी की संभावनाओं और लॉजिस्टिक्स सुधार के जरिए लागत कम करने पर विचार हुआ।
वैश्विक सहयोग के नए द्वार
भारत ने इस मंच का इस्तेमाल रूस, श्रीलंका, मोरक्को, मालदीव, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, युगांडा सहित कई देशों के साथ सरकार-से-सरकार (G2G) बैठकें आयोजित कर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए रास्ते खोले। साथ ही, NIFTEM जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, फूड फोर्टिफिकेशन और स्टार्टअप इनक्यूबेशन को गति मिलेगी।
आंकड़ों में वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 की सफलता
- कुल प्रतिभागी: 95,000+
- निवेश प्रतिबद्धता: ₹1,02,000+ करोड़
- B2B मीटिंग्स: 10,500+
- G2G मीटिंग्स: 261
- बायर-सेलर इंटरैक्शन: 18,000+
वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का सफल आयोजन साबित करता है कि भारत अब Food Processing के क्षेत्र में दुनिया का अगुआ बनने को तैयार है। यहां हुए निवेश, सहयोग और इनोवेशन ने न सिर्फ बिज़नेस को नई दिशा दी है, बल्कि किसानों, सूक्ष्म उद्यमियों और पूरे देश की आर्थिक ताकत को बढ़ाया है। भारत अब Global food supply chain का एक अहम और अटूट हिस्सा बन चुका है।
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