10 फरवरी को दुनियाभर में विश्व दलहन दिवस यानी World Pulses Day मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को दालों के महत्व के बारे में जागरूक करना है। संयुक्त महासभा ने 2018 में विश्व दलहन दिवस हर वर्ष 10 फ़रवरी को मनाए जाने की घोषणा की थी। दालें, पोषण और खाद्य सुरक्षा (Nutrition And Food Security) के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। कई पोषक तत्वों से भरपूर दाल न सिर्फ़ सेहत को लाभ देती है, बल्कि मिट्टी को भी उपजाऊ बनाती है।
मिट्टी की सेहत के लिए वरदान हैं दलहनी फसलें
दलहनी फसलें न सिर्फ़ इंसान और पशुओं के पोषण के लिए बेहद ज़रूरी हैं, बल्कि जिस ज़मीन पर इन्हें उगाया जाता है उसे भी ये आगामी फसलों के लिए उपजाऊ बना देती हैं। देश के किसानों के लिए दलहनी फसलों का ख़ास महत्व है। दलहनी फसलों में पानी की कम खपत होती है। सूखाग्रस्त और वर्षा सिंचित क्षेत्रों में दलहन उगाई जा सकती हैं। ये भूमि में नाइट्रोजन संरक्षित करके मिट्टी की उर्वरता में सुधार करती हैं। इससे खेत की पैदावार क्षमता बढ़ती है। उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है।
यह किसानों को वित्तीय तौर पर मजबूत बनाने के साथ ही उनके परिवार को कुपोषण से भी बचाती है। यही वजह है कि दुनिया भर की सरकारें पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के लिए दालों का महत्व समझाने के लिए विश्व दलहन दिवस मनाती हैं।
![विश्व दलहन दिवस world pulses day](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/02/Untitled-design-2022-02-10T180333.929.jpg)
दालों का सबसे बड़ा उत्पादक भारत
भारत विश्व में पैदा होने वाली कुल दालों का लगभग 25 फ़ीसदी उत्पादन करता है। इस तरह भारत दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। देश में 2020-21 में 25.72 मिलियन टन दाल का उत्पादन हुआ।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2021-22 के लिए मुख्य खरीफ़ फसलों के उत्पादनके प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार 2021-22 के दौरान कुल दलहन उत्पादन 9.45 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया गया है। यह 8.06 मिलियन टन औसत खरीफ दलहन उत्पादन (Pulses Production) की तुलना में 1.39 मिलियन टन अधिक है।
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इस बार दलहन के रकबे में भी पिछले साल के मुकाबले 50,000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। भारत में रबी और खरीफ, दोनों ही सीजन में दालों का उत्पादन होता है। भारत के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और अन्य कार्यक्रमों में दलहन को प्रमुख स्थान मिलता है।
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