Black Gram Cultivation: इस महिला ने उड़द दाल की खेती में अपनाई नई तकनीक, हासिल की उन्नत पैदावार

कुछ नया करने की ललक ने दिलाई कामयाबी

पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले की रहने वाली तापसी पात्रा जिस क्षेत्र से आती हैं, वहां ज़्यादातार किसानों में खेती की उन्नत तकनीकों के में जानकारी का अभाव था। आज इसी क्षेत्र के कई किसान उड़द दाल की खेती में अच्छी पैदावार ले रहे हैं।

देश के मैदानी इलाकों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाण, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार और राजस्थान में प्रमुख रूप से उड़द दाल की खेती (Black Gram Cultivation) की जाती है। जबकि उड़द दाल की सबसे ज़्यादा खपत दक्षिण भारत में है क्योंकि मेंदू वड़ा, इडली, डोसा आदि बनाने के लिए यह मुख्य सामग्री के रूप में इस्तेमाल होती है। उड़द मुख्य दलहनी फसल है और इसकी वैज्ञानिक खेती करके किसान अधिक पैदावार ले सकते हैं जैसे पश्चिम बंगाल की तापसी पात्रा कर रही हैं।

कौन हैं तापसी पात्रा?

पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के रुपपुर गांव की रहने वाली तापसी अपने क्षेत्र की प्रगतिशील किसान हैं। तापसी पात्रा ने 2019-20 में रथिंद्र कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित फसल विविधिकरण (Crop Diversification) पर एक स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने खरीफ सीज़न में धान की बजाय, दाल (उड़द दाल) की खेती में दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने दूसरे किसानों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया। ट्रेनिंग प्रोग्राम में उड़द दाल की जिस नई और उन्नत किस्म का प्रदर्शन किया गया उसका नाम है WBU-109।

क्या है WBU-109 की ख़ासियत?

उड़द डाल की WBU-109 किस्म से पहले तापसी और इलाके के अन्य किसान उड़द की काली-50 किस्म की खेती किया करते थे। जब बतौर ट्रायल खेतों में उड़द डाल की WBU-109 किस्म लगाई गई, तो किसानों को कम समय में बंपर पैदावार का लाभ मिला। ये किस्म काली-50 की तुलना में 15 से 20 दिन पहले ही तैयार हो जाती है। साथ ही इसमें 6 से 8 शाखाएं अधिक होती हैं। काली-50 के प्रत्येक पौधे में जहां सिर्फ़ 30-35 फली ही होती है, वहीं नई किस्म में 60-65 होती हैं। WBU-109 की गुणवत्ता अच्छी होती है, जिससे बाज़ार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है।

Black Gram Cultivation उड़द दाल की खेती
तस्वीर साभार: agricoop

नई तकनीक और बुवाई विधि

रुपपुर गांव के किसान उड़द दाल की काली-50 किस्म का पारंपरिक रूप से उत्पादन करते थें। उन्हें फसल के विकास के लिए ज़रूरी पोषक तत्वों और कीटनाशकों में कोई जानकारी नहीं थी। इस क्षेत्र के किसान न ही कोई खाद और उर्वरक (Fertilizer) का इस्तेमाल किया करते थें। बीरभूम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों को ट्रेनिंग के दौरान उड़द दाल की खेती की नई और उन्नत तकनीक के बारे में बताया।

इस नई तकनीक में छिड़काव विधि का इस्तेमाल किया गया। ये विधि आसान और कम समय लेती है। इसमें पहले खेत की जुताई कर ली जाती है। फिर हाथ से बीजों को खेत में छिड़का जाता है और उसके बाद हल्की जुताई कर बीजों को मिट्टी में मिलाकर पाटा चला दिया जाता है।

उड़द दाल की उन्नत किस्म WBU-109 का प्रति हेक्टेयर में 30 किग्रा की दर से इस्तेमाल किया गया। बुवाई के 1 से 3 दिन बाद खरपतवार की समस्या से निपटारे के लिए प्रति हेक्टेयर पर तीन लीटर पेंडिमेथालिन दवा (pendimethalin) का इस्तेमाल किया गया। बुवाई के 25 से 45 दिन बाद पौधों के पोषक तत्वों के लिए दो ग्राम बी-20 दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर स्प्रे किया गया।

Black Gram Cultivation उड़द दाल की खेती

WBU-109 के अलावा, उड़द दाल की कुछ अन्य उन्नत किस्में हैं:

पंत यू-19- यह किस्म प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल तक पैदावार देती है।

पंत यू 30- 75-80 दिनों में तैयार होने वाली यह किस्म लगभग 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टर पैदावार देती है।

कृष्णा-  भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त यह किस्म प्रति हेक्टेयर करीब 10-12 क्विंटल तक पैदावार देती है।

खारगोन- करीब 80 दिनों में तैयार होने वाली यह किस्म 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है।

टी-9-19- इस किस्म का दाना मोटा और काला होता है। दोमट मिट्टी के लिए उपयुक्त यह किस्म प्रति हेक्टेयर करीब 9-13 क्विंटल तक पैदावार देती है।

के यू 96-3-  इस किस्म की उड़द दाल के दाने छोटे और काले होते हैं। इसमें प्रति हेक्टेयर करीब 8-10 क्विंटल तक पैदावार होती है।

जवाहर उड़द 2- इस किस्म की उड़द दाल के दाने बड़े और काले होते हैं और प्रति हेक्टेयर औसतन 13 क्विंटल तक उपज होती है।

शेखर 2- यह उड़द की बहुत उन्नत किस्म मानी जाती है, जिसकी औसतन पैदावार 10-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

ये भी पढ़ें: Pulse Processing: जयश्री ने ‘दाल का कटोरा’ कहे जाने वाले लातूर ज़िले के किसानों की सबसे बड़ी मुश्किल की हल

अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत। 

ये भी पढ़ें:

 
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.