सोलर चलित धान थ्रेसिंग मशीन (Paddy Threshing Machine): छोटे किसानों के लिए कैसे है फ़ायदेमंद?

धान की बुवाई और कटाई के साथ ही इसकी थ्रेसिंग का काम भी बहुत मेहनत वाला होता है। पहाड़ी इलाकों और छोटे किसानों तक धान थ्रेसिंग मशीन पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने पैडल वाली और सोलर चालित थ्रेसिंग मशीनें विकसित की हैं, जो किफ़ायती और हल्की हैं।

धान थ्रेसिंग मशीन Paddy Threshing Machine

सोलर चलित धान थ्रेसिंग मशीन (Paddy Threshing Machine): चावल उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान आता है। उत्पादन के साथ ही यहां चावल की खपत भी अधिक है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के लोगों का ये मुख्य भोजन है। हमारे देश में चावल का सबसे अधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु में होता है। कड़ी मेहनत के बावजूद धान की खेती से छोटे किसानों को अधिक फ़ायदा नहीं हो पाता है, क्योंकि वो पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं।

कृषि की आधुनिक महंगी मशीनों तक उनकी पहुंच नहीं होती है। धान की थ्रेसिंग का काम भी बहुत सी जगहों पर किसान खुद ही करते हैं। इसमें समय और श्रम दोनों अधिक लगता है। साथ ही पहाड़ी इलाकों में भारी थ्रेसिंग मशीन को पहुंचाना भी संभव नहीं होता। इसके अलावा सभी इलाकों में बिजली न होना भी एक अलग समस्या है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने सोलर चलित और पैडल से चलने वाली धान थ्रेसिंग मशीन बनाई है, जो अच्छे से चावल के दानों को बिना टूटे अलग करता है।

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क्या होती है थ्रेसिंग?

थ्रेसिंग का मतलब होता है भूसी से अनाज को अलग करना। धान की थ्रेसिंग (Paddy Threshing) करके भूसी से चावल को अलग किया जाता है। पारंपरिक विधि में किसान हाथ से ही थ्रेसिंग का काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे श्रम की कमी की समस्या को दूर करने और समय की बचत के लिए कई थ्रेसिंग मशीनें बनाई गईं।

हालांकि, ये मशीनें महंगी होती हैं और वज़न अधिक होने के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से लाना संभव नहीं होता है। इसलिए वैज्ञानिकों ने किफ़ायती, हल्की और सौर ऊर्जा से चलने वाली थ्रेसिंग मशीन बनाई। इसकी ख़ासियत ये है कि अगर कभी खराब मौसम के कारण सौर ऊर्जा न मिले, तो इसे पैडल से भी चलाया जा सकता है।

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छोटे किसान और पहाड़ों के लिए उपयुक्त

सोलर चलित ख़ास धान थ्रेसिंग मशीन में सोलर पैनल लगा हुआ है और एक बैटरी भी है, जो सौर ऊर्जा से चार्ज होती है। इसके साथ ही इसमें पैडल यूनिट भी लगी हुई है ताकि कभी बैटरी चार्ज न होने पर मशीन बंद न पड़े और इसे मैन्युअली चलाया जा सके। ये मशीन हल्की होने के कारण कहीं भी आसानी से ले जाई जा सकती है और पहाड़ी इलाकों के लिए भी उपयुक्त है। साथ ही इसकी कीमत भी बाकी थ्रेसिंग मशीन से कम है और चूंकि ये सोलर ऊर्जा से चलती है, तो जिन इलाकों में बिजली नहीं है, वहां के किसान भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

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मशीन की ख़ासियत

इस मशीन की ऊंचाई 750 मि.मी. से 1267 मि.मी. तक है और इसके पैडल की ऊंचाई को सुविधा के अनुसार एडजस्ट किया जा सकता है। इससे धान की 31 प्रतिशत नमी पर गहाई की जाती है। इसकी दक्षता का मूल्यांकन करने पर पाया गया कि सौर ऊर्जा के साथ ये 99.58 प्रतिशत और पैडल के साथ 98.54 प्रतिशत पर रही। जबकि प्रति घंटा थ्रेसिंग दर सोलर पैनल के साथ 231.67 किलो प्रति घंटे रही और पैडल के साथ 66.3 किलो प्रति घंटे रही।

मूल्यांकन में इस मशीन की थ्रेसिंग दक्षता 98 प्रतिशत तक पाई गई और थ्रेसिंग के दौरान चावल के दाने टूटे नहीं, जबकि बिना थ्रेस हुए अनाज की मात्रा केवल 1.8 से 1.9 प्रतिशत ही रही।

इस तरह कहा जा सकता है कि ये मशीन छोटे किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इससे उनके समय, श्रम की बचत होगी और मुनाफ़ा भी बढ़ेगा।

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