Natural Farming: प्राकृतिक तरीके से ड्रैगन फ्रूट और सब्ज़ियों की खेती कर रहे जीवन सिंह राणा

हिमाचल के किसान जीवन सिंह राणा ने प्राकृतिक खेती अपनाकर ड्रैगन फ्रूट व सब्जियों से आमदनी बढ़ाई और रासायनिक खेती छोड़ दी।

Natural Farming प्राकृतिक खेती

हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले के नगरोटा सूरियां ब्लॉक के किसान जीवन सिंह राणा ने अपने जीवन में बड़ा बदलाव तब देखा जब उन्होंने रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की राह अपनाई। पहले जहाँ वे फ़सलों में कीटनाशक और रासायनिक खाद का उपयोग करते थे, वहीं अब वे पूरी तरह से देसी तरीकों पर आधारित खेती करते हैं।

वे बताते हैं कि “रासायनिक खेती में ख़र्च ज़्यादा और उत्पादन कम होता है। वर्ष 2020 में मौसम प्रतिकूल रहा, लेकिन मुझे ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ क्योंकि मैं प्राकृतिक खेती (Natural Farming) कर रहा था। इसमें बाहर से कुछ खरीदने की ज़रूरत नहीं होती, इसलिए बचत भी होती है और ज़मीन की उर्वरता भी बनी रहती है।”

30 कनाल भूमि पर प्राकृतिक खेती का विस्तार

जीवन सिंह राणा के पास कुल 30 कनाल (15 बीघा) भूमि है, जिस पर वे पूरी तरह प्राकृतिक खेती (Natural Farming)  करते हैं। उनके खेत में मटर, फूलगोभी, मूली, भिंडी, फ्रासबीन, गेहूं, खीरा, ड्रैगन फ्रूट और आम जैसी फ़सलें उगाई जाती हैं।

उनका कहना है कि पहले रासायनिक खेती में लागत ज़्यादा और लाभ कम होता था, लेकिन अब प्राकृतिक खेती (Natural Farming) अपनाने के बाद ख़र्च केवल लगभग ₹3,000 होता है और आय भी बढ़ गई है।  साथ ही प्राकृतिक खेती (Natural Farming) अपनाने से उनकी मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर हुई है, फ़सलें स्वस्थ और कीटों से सुरक्षित रहती हैं, और साथ ही उनका स्वास्थ्य भी पहले से बेहतर हुआ है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती बनी नई पहचान

जीवन सिंह राणा ने अपनी 6 कनाल ज़मीन में करीब 500 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए हैं। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने ड्रैगन फ्रूट लगाने का निर्णय लिया, तब आस-पास के लोग हैरान थे। लेकिन आज वे इस फ़सल को देखकर प्रेरित हो रहे हैं।

जीवन सिंह कहते हैं, “ड्रैगन फ्रूट की खेती में पानी और खाद का कम उपयोग होता है। मैंने जब ये शुरू किया था, तब तीसरे साल में 10 से 15 लाख रुपये की आमदनी की उम्मीद थी, और अब वह सपना सच होता दिख रहा है।” वे आगे कहते हैं कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के कारण उन्हें अब बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। फ़सलें अच्छी तरह बढ़ती हैं, मिट्टी उपजाऊ रहती है और लागत कम आती है।

Natural Farming: प्राकृतिक तरीके से ड्रैगन फ्रूट और सब्ज़ियों की खेती कर रहे जीवन सिंह राणा

बेटे का साथ और नई सोच

जीवन सिंह राणा के पुत्र आशीष राणा, जो एक सिविल इंजीनियर हैं, अपने पिता के इस मिशन में पूरा साथ दे रहे हैं। वे भी खेतों में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के तरीके सीख रहे हैं और इसे तकनीकी रूप से बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

आज पूरा परिवार अपने खेतों में भिंडी, मूली, टमाटर, लौकी और गोभी जैसी सब्जियां भी उगा रहा है। उनकी खेती का मॉडल देखने आसपास के कई किसान आते हैं और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के तरीकों की जानकारी लेकर अपने खेतों में अपनाते हैं।

मिश्रित खेती से बढ़ती आमदनी

जीवन सिंह राणा ने अपने खेत में मिश्रित खेती का सिद्धांत अपनाया है। फल, सब्जियां और अनाज सभी फ़सलें वे एक साथ उगाते हैं। इससे न सिर्फ़ मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, बल्कि फ़सलों को कीटों से भी सुरक्षा मिलती है। वे कहते हैं – “जब तक मैंने ड्रैगन फ्रूट की खेती को प्राकृतिक विधि से नहीं किया, तब तक मुझे इसकी असली ताकत का अंदाज़ा नहीं था। अब मैं खुद भी इस खेती से आत्मनिर्भर हूँ और दूसरों को भी प्रेरित कर रहा हूँ।”

किसानों के लिए प्रेरणा बनी प्राकृतिक खेती

आज जीवन सिंह राणा अपने क्षेत्र में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के मार्गदर्शक के रूप में पहचाने जाते हैं। वे किसानों को बताते हैं कि यह खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है बल्कि ख़र्च घटाकर आय बढ़ाने का सबसे सशक्त तरीका है।
वे कहते हैं –

“इस खेती विधि के सफल सिद्धांतों से किसान-बागवानों का लाभ बहुत बढ़ा है। अब लोग खेतों और बागों में बहुफ़सलीय प्रणाली से अतिरिक्त आमदनी पा रहे हैं।”

राणा का मानना है कि आने वाले समय में उनका गांव पूरी तरह से रासायनिक-मुक्त खेती वाला क्षेत्र बन जाएगा।

निष्कर्ष

जीवन सिंह राणा की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर इच्छाशक्ति और सही दिशा में मेहनत हो, तो खेती में सफलता निश्चित है। प्राकृतिक खेती (Natural Farming) ने न केवल उनके खेतों की मिट्टी को पुनर्जीवित किया, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मज़बूत की। आज वे अपने अनुभव से आसपास के किसानों को प्रेरित कर रहे हैं कि किस तरह कम लागत में भी खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है।

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