Table of Contents
भारत में कृषि का क्षेत्र हमेशा से पुरुष प्रधान रहा है, लेकिन आजकल महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हो रही है। ख़ासतौर पर ग्रामीण इलाकों में, जहां महिलाएं न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए कृषि में नए-नए प्रयोग कर रही हैं। जैविक खेती (Organic Farming), जो न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है, में महिलाएं विशेष रूप से नेतृत्व कर रही हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ ऐसी महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियां जानेंगे, जिन्होंने जैविक खेती (Organic Farming) के माध्यम से न केवल अपनी ज़िंदगी बदली, बल्कि दूसरों के लिए भी एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की दिशा दिखाई।
रूबी पारीक: जैविक खेती से समाज की दिशा बदलने वाली महिला किसान (Ruby Pareek a woman farmer who changed the direction of society through organic farming)
रूबी पारीक की कहानी एक संघर्ष और समर्पण की मिसाल है। राजस्थान के दौसा जिले की इस महिला किसान ने जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाकर न केवल अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाया, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित किया। उन्होंने अपनी जमीन पर मौसम के अनुसार विभिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई हैं, जैसे गेहूं, चना, आंवला, नींबू और करौंदा। इन फ़सलों ने उनके खेतों को हरा-भरा रखा और जैविक फार्म के लिए लाभकारी साबित हुईं।
रूबी पारीक ने जैविक खेती (Organic Farming) के साथ-साथ समाज में बदलाव लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 2008 में, उन्होंने नाबार्ड के सहयोग से राजस्थान में 200 मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाली वर्मी कंपोस्ट इकाई स्थापित की। इस इकाई ने न केवल कई ग़रीब और असमर्थ मजदूरों को रोजगार प्रदान किया, बल्कि उन्होंने अपने कार्य के माध्यम से किसानों को मुफ्त वर्मी कंपोस्ट, केंचुआ और अजोला फर्न भी उपलब्ध कराए, ताकि वे भी जैविक खेती (Organic Farming) की ओर रुझान कर सकें।
रूबी के इन प्रयासों के चलते, 2011-12 में “किसान क्लब खटवा” को राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो उनके कार्य की एक महत्वपूर्ण सराहना थी। जैविक खादों जैसे वर्मी कंपोस्ट और जीवामृत का उपयोग करके वे अपनी फ़सलों की गुणवत्ता में वृद्धि करती हैं और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती हैं। जैविक खेती (Organic Farming) के इन उपायों से उन्होंने न केवल अपनी ज़मीन को समृद्ध किया, बल्कि अपने फार्म को जैविक कृषि की मिसाल बना दिया।
रेणु अग्रवाल: टेरेस गार्डनिंग से जैविक खेती को बढ़ावा (Renu Agarwal promotes organic farming through terrace gardening)
लखनऊ की रेणु अग्रवाल का जीवन भी एक प्रेरणा है। बचपन से बागवानी का शौक रखने वाली रेणु ने अपने इस शौक को बखूबी साकार किया। जब उनके बच्चे बड़े हो गए और घर की जिम्मेदारियां थोड़ी कम हो गईं, तो उन्होंने अपने इस शौक को नया आयाम दिया। रेणु और उनके पति ने अपनी छत पर जैविक खेती (Organic Farming) की शुरुआत की और टेरेस गार्डनिंग को अपनाया।
टेरेस गार्डनिंग के जरिए उन्होंने न केवल घर के पर्यावरण को बेहतर किया, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को भी बढ़ावा दिया। उनकी छत पर औषधीय, सजावटी, फल और सब्ज़ियों के सैकड़ों पौधे लहलहा रहे हैं। रेणु ने अपनी छत को विभिन्न सेक्शनों में बांट रखा है, जैसे कि छाया वाली जगह पर पेरेनियल प्लांट्स, धूप में फूलों के पौधे और एक सेक्शन में सब्ज़ियां। इस तरह उन्होंने जैविक खेती को एक नई दिशा दी और पूरे समाज को यह संदेश दिया कि जैविक खेती न केवल खेतों तक सीमित है, बल्कि यह शहरी जीवन में भी अपनाई जा सकती है।
महिला किसान मयालमित: जैविक बैंगन खेती से क्षेत्र में बदलाव (Women farmers bring change to the region through organic brinjal farming)
लेपचा जनजाति की महिला किसान मयालमित ने जैविक बैंगन की खेती में एक नई मिसाल पेश की। उन्होंने अपने छोटे से खेत से 446 किलो बैंगन की पैदावार की, जो न केवल बाज़ार में बेचा गया, बल्कि भारतीय सेना के कैंप में भी आपूर्ति किया गया। मयालमित की सफलता ने अन्य किसानों को प्रेरित किया और उनके प्रयासों से क्षेत्र में जैविक खेती (Organic Farming) को एक नई दिशा मिली।
सुमन पटेल: प्राकृतिक खेती से स्वस्थ भविष्य की दिशा (Natural farming leads to a healthy future)
मध्य प्रदेश के देवास जिले के धतुरिया गांव की सुमन पटेल और उनका परिवार जैविक खेती (Organic Farming) के माध्यम से एक प्रेरणादायक कहानी लिख रहे हैं। सुमन पटेल का मानना है कि खेती केवल आजीविका का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का माध्यम भी हो सकती है। सुमन और उनके परिवार ने जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाकर न केवल अपनी ज़िन्दगी को बेहतर किया, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित किया कि वे भी इस दिशा में कदम बढ़ाएं।
जैविक खेती के प्रति महिलाओं का उत्साह (Women’s enthusiasm for organic farming)
यह महिलाएं केवल अपनी ज़िन्दगी ही नहीं बदल रही हैं, बल्कि वे पूरी दुनिया को यह दिखा रही हैं कि जैविक खेती (Organic Farming) न केवल एक व्यवसाय हो सकती है, बल्कि यह एक स्थायी और पर्यावरण-समर्थ विकल्प भी है। आज, जैविक खेती को अपनाने के कारण ना केवल खेतों की उर्वरता बढ़ रही है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी कम हो रही हैं। इन महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि जैविक खेती सिर्फ़ किसानों के लिए नहीं, बल्कि समग्र समाज के लिए एक स्थायी समाधान हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
जैविक खेती (Organic Farming) ने न केवल खेतों की उपज बढ़ाई है, बल्कि महिलाओं ने इसे एक सामाजिक आंदोलन के रूप में अपनाया है। आज महिलाएं जैविक खेती (Organic Farming) के माध्यम से न केवल अपने परिवारों को पोषित कर रही हैं, बल्कि वे पूरे समाज को एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर ले जा रही हैं। इन महिलाओं की प्रेरणा से यह साबित होता है कि जैविक खेती एक ऐसी क्रांति है, जो पर्यावरण के साथ-साथ समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचा सकती है।
ये भी पढ़ें: पोल्ट्री फ़ार्म व्यवसाय की शुरुआत कैसे करें? जानिए पूरी जानकारी
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।