किसानों-बागवानों को लोन चुकाने के लिए मिला 2021 तक का समय

किसानों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस समय वे किसान क्रेडिट कार्ड के तहत लिए गए अपने लोन को चुकाने में असमर्थ हैं, इसलिए उन्हें राज्य सरकार ने एक बड़ी राहत देते हुए मार्च 2021 तक लोन चुकाने का समय देने की घोषणा की है।

किसानों-बागवानों

कोरोना काल के दौरान हिमाचल प्रदेश के लाखों किसानों और बागवानों को सरकार के द्वारा एक बड़ी राहत दी गई है। किसानों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस समय वे किसान क्रेडिट कार्ड के तहत लिए गए अपने लोन को चुकाने में असमर्थ हैं, इसलिए उन्हें राज्य सरकार ने एक बड़ी राहत देते हुए मार्च 2021 तक लोन चुकाने का समय देने की घोषणा की है।

एनपीए घोषित नहीं होंगे किसानों के खाते

बता दें कि किसानों के केसीसी खाता को एनपीए (नॅान पर्फामिंग एसेट) घोषित नहीं किया जाएगा। किसानों को बैंकों में इस महीने के लिए ब्याज की धनराशि भी चुकता नहीं करनी पड़ेगी। यदि कोई किसान इसे अपनी इच्छानुसार चुकता करना चाहता है तो वह कर सकता है। जो किसान इस धनराशि को जमा कराने की स्थिति में नहीं है, वे इसे मार्च 2021 तक के लिए टाल सकते हैं।

Kisan of India Twitter

जानकारी के अनुसार ब्याज की राशि जमा करने के लिए किसानों के अलग से लोन खाते खोले जाएंगे। हालांकि, किसानों को इस पर अलग से ब्याज भी देना होगा। उल्लेखनीय है कि ब्याज की राशि जमा करने हेतू खोले गए अलग-अलग बैंक खातों पर साढ़े आठ प्रतिशत तक ब्याज लिया जाएगा।

9 लाख किसानों ने लिया है लोन

इस वर्ष राज्य के कई क्षेत्रों में सेब की फसल भी कम हुई है। इस वजह से कई बागवान अपने दैनिक खर्चों के बीच ब्याज की राशि चुकता करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए आरबीआई के निर्देश आने के बाद ऐसा फैसला लिया जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में करीब 9 लाख किसानों (बागवानों) ने केसीसी के द्वारा लोन ले रखा है। इनमें से बहुत से किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड बनवा रखे हैं, जिनसे लिया गया लोन नहीं चुकाने पर हर साल बड़ी संख्या में क्रेडिट कार्ड एनपीए बन जाते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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