Integrated Livestock Farming: कैसे अरुणाचल के इस युवा ने अपने पशुपालन फ़ार्म से बढ़ाई कमाई?

अरुणाचल प्रदेश के मोनभाई थामोउंग ने आधा एकड़ ज़मीन पर अपने पशुपालन फ़ार्म में एकीकृत पशुपालन (Integrated Livestock Farming) का तरीका अपनाया।

एकीकृत पशुपालन integrated livestock farming

अरुणाचल प्रदेश के नामसाई ज़िले में पशुपालन और मुर्गीपालन के तरीकों से यहां के युवाओं की ज़िंदगी बेहतर हो रही है। इससे उनकी कमाई में इज़ाफा हो रहा है। पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें लगातार आमदनी होती है। मुर्गीपालन से तो रोजाना ही अंडे और मांस मिलता है। इसके अलावा गाय, बकरी और सुअर से भी नियमित कमाई होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे एक युवा ने अपने पशुपालन फ़ार्म में एकीकृत पशुपालन (Integrated Livestock Farming) का तरीका अपनाया और अपनी आमदनी को बेहतर किया।

इस तरह नामसाई ज़िले के युवाओं को रोज़गार के साधन मिल रहे हैं। इस व्यवसाय की एक बड़ी ख़ासियत ये भी है कि इसमें लगने वाला ख़र्च कम है। साथ ही जोखिम भी कम होता है क्योंकि गांव में ही इसके लिए ज़रूरी सामग्री मिल जाती है। ऐसे में पशुपालन एक आदर्श व्यवसाय माना जाता है।

एकीकृत पशुपालन तकनीक (Integrated Livestock Farming)

मोनभाई थामोउंग एक पढ़े-लिखे आदिवासी युवक हैं। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के नामसई ज़िले में आधा एकड़ ज़मीन पर पशुपालन फ़ार्म खोल कर अपना काम शुरू किया था। इस फ़ार्म में मुर्गीपालन, सूअर पालन, दुधारू पशुपालन होता है। उन्होंने नामसई के कृषि विज्ञान केंद्र से पशुपालन संबंधी जानकारी ली थी। अभी उनके पास 525 मुर्गियां (217 अच्छी नस्ल की, 200 ब्रॉयलर और 108 चूजे), 17 सूअर (5 मादा, 3 नर, 9 हैम्पशायर और यॉर्कशायर नस्ल के बच्चे), 5 अच्छी नस्ल की बकरियां और दूध देने वाली गायें हैं।  

मुर्गीपालन से होने वाली कमाई (Income From Poultry Farming)

पशुपालन फ़ार्म में मोनभाई थामोउंग के पशुपालन का ये तरीक़ा हर साल लगभग उन्हें 6-7 लाख रुपये की आमदनी दे रहा है। इसका लाभ और खर्च का अनुपात 2.8 है। उनके फ़ार्म के अंडे और मुर्गियां नामसाई ज़िले और आसपास के इलाकों में बिकती हैं। उन्होंने 36,900 अंडे और 1,350 किलो मुर्गी का मांस बेचकर अपने मुर्गीपालन से लगभग 3-4 लाख रुपये की कमाई की है।

सूअर पालन और डेयरी व्यवसाय से कमाई (Income From Pig Farming & Dairy Farming Business)

मार्केट में उन्होंने सिर्फ़ मुर्गी और अंडे ही नहीं बेचे हैं। उन्होंने सूअरों के 40 बच्चे और 2 मोटे सुअर भी सीधे बाज़ार में बेचे हैं, जिससे उनको लगभग 3-4 लाख रुपये की आय मिली है। साथ ही, डेयरी व्यवसाय से भी वो कमाई करते हैं। अपनी 3 गायों से 1620 लीटर दूध बेचा और 61,000 रुपये की शुद्ध कमाई की। इसके अलावा, एक बकरी बेचकर भी उन्होंने 15,000 रुपये की कमाई की है।

पशुपालन कारोबार के लिया मिला सम्मान (Received Honour For Animal Husbandry Business)

मोनभाई थामोउंग की इस सफलता और तरक्की की ज़िला प्रशासन ने भी तारीफ़ की है। उन्हें अरुणाचल प्रदेश स्टेटहुड डे 2023 के दौरान सबसे अच्छा स्टॉल लगाने के लिए सम्मानित किया गया। उनकी ये उपलब्धि उनके क्षेत्र के दूसरे युवाओं को भी पशुपालन कारोबार में आने के लिए प्रेरित कर रही है। अगर आप भी मोनभाई थामोउंग की तरह पशुपालन करना चाहते हैं तो सही ट्रेनिंग और कोशिश के साथ एक बिज़नेसमैन की तरह सोचना शुरू कर दें। क्योंकि छोटे-छोटे प्रयासों से ही आप भी उनकी तरह एक सफल पशुपालक बन सकते हैं। 

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एकीकृत पशुपालन के फ़ायदे? (Integrated Livestock Farming Benefits)

पारंपरिक पशुपालन में आमतौर पर केवल एक ही तरह के पशुओं की देखभाल की जाती है, जैसे कि गाय, भैंस या बकरियों का पालन। लेकिन, एकीकृत पशुपालन में, पशुपालन फ़ार्म पर कई तरह के पशुओं के साथ-साथ फसलों और मछली पालन जैसी गतिविधियों को भी सम्मिलित किया जाता है।

एकीकृत पशुपालन के कई फ़ायदे हैं। सबसे पहले, ये कृषि की उत्पादकता को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, जब पशुपालन और मछली पालन को एक साथ किया जाता है, तो मछलियों के अपशिष्ट को खाद के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है, जिससे फसलों की उर्वरता बढ़ती है। इसी तरह, फसलों के अवशेषों को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, जिससे खाद्यान्न की बर्बादी कम होती है।

इसके अलावा, एकीकृत पशुपालन पर्यावरण के लिए भी फ़ायदेमंद माना जाता है। एकीकृत पशुपालन मृदा संरक्षण और जल संचयन को प्रोत्साहित करता है। पशुपालन फ़ार्म में पशुओं के मल-मूत्र को जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे रासायनिक खादों की ज़रूरत कम होती है और मृदा की गुणवत्ता बनी रहती है।

एकीकृत पशुपालन से जुड़ी अहम बातें (Integrated Livestock Farming Key Points)

एकीकृत पशुपालन को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव और रणनीतियां हैं जिन्हें किसानों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहले, पशुपालन फ़ार्म जैसे उद्यमों के बारे में पूरी जानकारी जुटाना और उनकी कार्यप्रणाली को समझना ज़रूरी है। शुरुआत में, किसानों को अपने मौजूदा संसाधनों का आकलन करना चाहिए और ये तय करना चाहिए कि वो किन-किन पशुओं का एक ही जगह पालन कर सकते हैं।

प्रशिक्षण और शिक्षा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों को एकीकृत पशुपालन की नई तकनीकों के बारे में जानकारी लेने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों (Training Programs)  में भाग लेना चाहिए। इससे उन्हें एकीकृत पशुपालन के सफ़ल मॉडल के बारे में जानने में मदद मिलेगी। कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से भी संपर्क करें।

सरकारी योजनाएं भी एकीकृत पशुपालन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों को सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जानकारी होनी चाहिए जो एकीकृत पशुपालन को प्रोत्साहन देने के लिए बनाई गई हैं। इसके लिए अपने नज़दीकी कृषि निदेशालय या अपने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र में जाएं।

सामुदायिक सहयोग की महत्वपूर्णता को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। किसानों को अपने स्थानीय समुदाय के अन्य किसानों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। सामूहिक प्रयासों से न केवल ज्ञान और संसाधनों का साझा करना संभव होगा, बल्कि बड़े पैमाने पर उत्पादन और मार्केटिंग में भी सहूलियत होगी।

इस तरह, एकीकृत पशुपालन को अपनाने के लिए इन सुझावों और रणनीतियों का पालन करके किसान न केवल अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं, बल्कि इसे एक टिकाऊ और लाभदायक कृषि प्रणाली भी बना सकते हैं।

एकीकृत पशुपालन (Integrated Livestock Farming) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल 1: एकीकृत पशुपालन क्या है?

जवाब: एकीकृत पशुपालन वो प्रणाली है जिसमें पशुपालन को कृषि और अन्य कृषि-आधारित गतिविधियों के साथ जोड़ा जाता है। इसमें खेती, मछली पालन, मुर्गी पालन, और मधुमक्खी पालन जैसी गतिविधियों को एक साथ मिलाकर टिकाऊ उत्पादन प्रणाली तैयार की जाती है।

सवाल 2: एकीकृत पशुपालन के क्या लाभ हैं?

जवाब: एकीकृत पशुपालन के कई लाभ हैं:

  • संसाधनों का अधिकतम उपयोग
  • एक ही तरह के उत्पादन पर निर्भर नहीं और मात्रा में भी बढ़ोतरी
  • पर्यावरणीय स्थिरता
  • आय के एक नहीं, कई स्रोत
  • खाद और जैविक अपशिष्ट का सही उपयोग

सवाल 3: एकीकृत पशुपालन में किस तरह के पशुओं को शामिल किया जा सकता है?

जवाब: एकीकृत पशुपालन में कई तरह के पशुओं को शामिल किया जा सकता है जैसे:

  • गाय और भैंस
  • बकरी
  • मुर्गी
  • मछली
  • बत्तख
  • मधुमक्खी
  • इनके अलावा, आप अपने क्षेत्र के हिसाब से भी पशु का चुनाव कर सकते हैं।

सवाल 4: एकीकृत पशुपालन में जैविक खाद का क्या महत्व है?

जवाब: जैविक खाद एकीकृत पशुपालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि ये खेती के लिए पोषक तत्वों का एक प्राकृतिक स्रोत है। पशुओं के अपशिष्ट बतौर जैविक खाद इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है।

सवाल 5: एकीकृत पशुपालन कैसे पर्यावरण के लिए लाभदायक है?

जवाब: एकीकृत पशुपालन पर्यावरण के लिए कई तरह से लाभदायक है:

  • जैविक अपशिष्ट का फिर से इस्तेमाल
  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की कम ज़रूरत
  • जल संरक्षण और जल प्रबंधन में सुधार
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी

सवाल 6: एकीकृत पशुपालन में जल प्रबंधन कैसे किया जाता है?

जवाब: एकीकृत पशुपालन में जल प्रबंधन कई तरीकों से किया जाता है:

  • फसल और मछली पालन को साथ में करके पानी का फिर से इस्तेमाल
  • पालतू पशुओं के पीने के पानी के लिए जल संग्रहण प्रणालियां
  • सूखा और जलभराव से बचाने के लिए नालियों और तालाबों का निर्माण

सवाल 7: एकीकृत पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कौन-सी सरकारी योजनाएं उपलब्ध हैं?

जवाब: एकीकृत पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजयाएं हैं, जैसे:

सवाल 8: एकीकृत पशुपालन में मुर्गी पालन कैसे फ़ायदेमंद है?

जवाब: मुर्गी पालन एकीकृत पशुपालन में लाभदायक है:

  • ये अंडों और मांस का स्थायी स्रोत
  • खाद के रूप में मुर्गियों का मल उपयोगी
  • कीट नियंत्रण में मददगार
  • आय का एक सस्ता और प्रभावी स्रोत

सवाल 9: एकीकृत पशुपालन में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

जवाब: एकीकृत पशुपालन में कई चुनौतियां होती हैं:

  • शुरुआती निवेश की ज़रूरत
  • उचित प्रबंधन और ज्ञान की कमी
  • रोग प्रबंधन की जटिलताएं
  • बाजार की अस्थिरता और सही मूल्य की जानकारी का अभाव

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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