जानिए मखाने की किस्म ‘स्वर्ण वैदेही’ के बारे में, सुपरफ़ूड की खेती का वैज्ञानिक तरीका

मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने मखाने की किस्म 'स्वर्ण वैदेही' विकसित की है। ये भारत की पहली किस्म है जो पारंपरिक बीजों से करीब डेढ़ गुना अधिक पैदावार देती है। स्वर्ण वैदेही किस्म में रोग और कीटों से नुकसान पहुंचने की आशंका कम होती है।

मखाने की किस्म 'स्वर्ण वैदेही'

मखाने की किस्म ‘स्वर्ण वैदेही’: मखाना प्रोटीन, फाइबर समेत दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय फसल है, जो हड्डियों की मज़बूती के बहुत ही फायदेमंद होता है। सुपरफूड मखाना की ख़ासियत ये है कि आप इसकी खेती पूरे साल बड़े आराम से कर सकते हैं। बता दें कि मखाने की खेती पानी से भरे तालाब, गड्ढे, कीचड़ और गोखुर झीलों में होती है।

हमारे देश में मखाने की व्यवसायिक खेती चुनिंदा राज्यों में ही की जाती है। उत्तरी बिहार, मणिपुर, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मखाना तैयार किया जाता है। मखाना का सबसे ज़्यादा उत्पादन बिहार में ही होता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दरभंगा के मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने मखाने की बहुत ही बेहतरीन और उन्नत किस्म स्वर्ण वैदेही विकसित की है, जिससे दूसरी किस्मों की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा मखाने का उत्पादन होता है।

मखाने की उन्नत ‘स्वर्ण वैदेही’ किस्म

मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने स्वर्ण वैदेही मखाना की किस्म विकसित की है, जिसकी ना सिर्फ उत्पादन क्षमता काफी ज्यादा है, बल्कि इसमें पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में हैं। ये भारत की पहली किस्म है जो पारंपरिक बीजों से करीब डेढ़ गुना अधिक पैदावार देती है।

मखाने की किस्म ‘स्वर्ण वैदेही’ का इस्तेमाल

स्वर्ण वैदेही किस्म उच्च गुणवत्ता के साथ ही रोगों और कीटों के लिए भी प्रतिरोधी है। मखाना की स्वर्ण वैदेही किस्म का इस्तेमाल खीर, हलवा, दूध की मिठाई बनाने, स्नैक्स, दाल मखनी, सब्ज़ियों का स्वाद बढ़ाने के लिए रोजमर्रा के खानपान में बड़े आराम से किया जाता है। वहीं इसके साथ ही स्वर्ण वैदेही किस्म औषधि बनाने, सौंदर्य उत्पादों को तैयार करने में इस्तेमाल की जाती है।

मखाने की किस्म ‘स्वर्ण वैदेही’ की ख़ासियत

स्वर्ण वैदेही किस्म ( Swarna Vaidehi ) की उपज प्रति हेक्टेयर 28-30 क्विंटल है, जबकि पारंपरिक बीजों की औसत उपज 20-21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही है। इससे उच्च गुणवत्ता वाले मखाना आपको मिलते हैं। स्वर्ण वैदेही किस्म में रोग व कीटों की संभावना भी बहुत कम होती है।

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स्वर्ण वैदेही किस्म की बाज़ार में मांग

स्वर्ण वैदेही मखाना की किस्म 110 सेंटीमीटर व्यास की गोलाकार पत्तियां पानी के ऊपर तैरती रहती हैं। इस प्रजाति में 50 फीसदी फूल 120-125 दिनों में ही आ जाते हैं। स्वर्ण वैदेही किस्म मखाना के बीजों का व्यास 9.5-10.2 मिली मीटर और 100 दानों का भार 92-98 ग्राम तक होता है। इसका रंग दूध की तरह सफेद होता है। स्वर्ण वैदेही किस्म में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। स्वर्ण वैदेही किस्म की बाज़ार में काफी मांग है।

स्वर्ण वैदेही की उन्नत किस्म की खेती कैसे करें?

उन्नत स्वर्ण वैदेही किस्म से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन पाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक तरीके से बताई विधि से ही उगाना होगा।

भूमि और बिजाई का समय

स्वर्ण वैदेही किस्म के मखाना को मखाना उत्पादन करने वाले सभी इलाकों में लगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए  चिकनी और दोमट मिट्टी दोनों ही सबसे अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इसमें पानी सोखने की क्षमता ज्यादा होती है।

अच्छे उत्पादन के लिए नर्सरी की बुवाई दिसंबर में कर देनी चाहिए और पौध रोपाई का काम फरवरी के पहले हफ्ते से अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक पूरा कर लेना चाहिए।

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स्वर्ण वैदेही की बिजाई का तरीका

स्वर्ण वैदेही किस्म के मखाना की खेती पारंपरिक तालाब विधि या आधुनिक खेत प्रणाली विधि दोनों ही तरीकों से की जा सकती है। तालाब विधि में प्रति हेक्टेयर 70 किलो बीज डाले जाते हैं, जबकि खेत प्रणाली विधि में 20 किलो बीज से तैयार 500 वर्गमीटर की नर्सरी में लगे पौधे एक हेक्टेयर खेत में रोपाई के लिए काफी होते हैं। स्वर्ण वैदेही किस्म की रोपाई करते वक्त पौधे से पौधे की दूरी 1.25 मीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1.25 मीटर रखें। ज़्यादा उत्पादन के लिए रोपाई फरवरी के पहले हफ्ते से अप्रैल के दूसरे हफ्ते में कर लें।

मिथिला मखाना को जीआई टैग

मखाना की खेती के लिए बिहार का मिथिलांचल इलाका काफी मशहूर है। यहां अच्छी गुणवत्ता वाले मखाना का उत्पादन किया जाता है। ख़ास बात ये हैं कि ‘मिथिला मखाना’ को जीआई टैग भी मिल चुका है।

मखाने पर सरकार दे रही सब्सिडी

राज्य सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए मखाना की स्वर्ण वैदेही किस्म समेत  कई विकास की योजनाएं चला रही है। जिसके तहत मखाना की खेती के स्टोरेज हाउस पर भी किसानों को 75 फीसदी तक सब्सिडी भी दी जा रही है।

योजनाओं का लाभ इस तरह से उठाएं

मखाना की स्वर्ण वैदेही समेत दूसरी किस्मों के मखाना योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसान भाई विभाग की आधिकारिक वेबसाइट http://horticulture.bihar.gov.in पर मौजूद ‘मखाना विकास योजना’ के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए दिये हुए लिंक पर क्लिक करके सभी तरह की जानकारी फॉर्म भरकर पा सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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