Digital Mushroom Conclave: मशरूम उत्पादन के बारे में ‘मशरूम लेडीज़ ऑफ़ इंडिया’ से जानिए टिप्स और इस बिज़नेस का पूरा गणित

किसान ऑफ़ इंडिया पर मशरूम का पहला #DigitalConclave "Mushgroom - मशरूम से बढ़ाएँ आय" का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दूसरे सेशन में हमने मशरूम उत्पादन को लेकर बात की मशरूम लेडीज़ ऑफ़ इंडिया कहलायीं जाने वाली कुछ महिलाओं से।

मशरूम उत्पादन बिजनेस mushroom ladies of india

28 फरवरी को किसान ऑफ़ इंडिया के पहले डिजिटल कॉन्क्लेव ‘Mushgroom-मशरूम से बढ़ाएँ आय’ का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग कोनों के चित परिचित कई मशरूम उत्पादकों से हमने बात की। मशरूम के उत्पादन, प्रोसेसिंग, बाज़ार और चुनौतियों के बारे में उनसे जाना। कुल चार सेशन में ये Digital Conclave चला। पहले सेशन में मेरे सहयोगी परमेन्द्र मोहन ने मशरूम के एग्री स्टार्टअप में संभावनाओं और रोज़ गार को लेकर एक्स्पर्ट्स उत्पादकों से चर्चा की। दूसरे सेशन में मैंने मशरूम उत्पादन में महिलाओं की भूमिका को लेकर महिला मशरूम उत्पादकों से बात की। इसके बाद तीसरे सेशन में मेरे अन्य सहयोगी अर्पित दुबे ने मशरूम की किस्मों और प्रोसेसिंग को लेकर ख़ास मेहमानों से बातचीत की। आखिरी और चौथे सेशन में गौरव मनराल ने बीज की उपलब्धता और इसके बाज़ार को लेकर मशरूम उत्पादकों से चर्चा की। 

मशरूम लेडीज़ ऑफ़ इंडिया से सीधी बात 

दूसरे सेशन में मेरी बातचीत महिला मशरूम उत्पादकों से हुई। उत्तराखंड से रोशनी, राजस्थान से अन्नू कंवर और बिहार से अनीता देवी ने मशरूम उत्पादन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर बात की। ये तीनों ही अपने-अपने क्षेत्र में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दे रही है और ट्रेनिंग देती हैं। कई ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं को इन्होंने अपने साथ जोड़ा है।  मशरूम उत्पादन से जुड़ी जानकारी देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं। 

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बिहार की ‘मशरूम लेडी’ कहलाईं अनीता देवी

नालंदा जिले के चंडीपुर प्रखंड स्थित अनंतपुर गांव की अनिता देवी अपने ज़िले का एक चर्चित नाम हैं। उन्हें बिहार की ‘मशरूम लेडी’ कहा जाता है। अनीता देवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि एक वक़्त ऐसा था कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ग्रैजूएट डिग्री होल्डर अनीता देवी ने पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी की तलाश की, लेकिन हर जगह निराशा हाथ लगी। फिर उन्होंने कृषि से जुड़े व्यवसाय में उतरने की सोची। कॉन्क्लेव में उन्होंने बताया कि वो ऐसे कृषि व्यवसाय की तलाश में लग गईं, जिसे पूरा परिवार मिलकर कर सके। अनीता देवी ने रांची में आयोजित दो दिवसीय सेमीनार में भाग लिया। इस सेमीनार में उन्हें मशरूम के बारे में जानकारी मिली। वो वापस बिहार आईं और अपने परिवारवालों से मशरूम की खूबियों को लेकर बात की। इसके बाद उन्होंने मशरूम की खेती करने का फैसला किया।

इसकी ट्रेनिंग के लिए वो कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र के तहत उत्तराखंड गईं। उत्तराखंड स्थित देश के जाने माने पहले कृषि विश्वविद्यालय गोविन्द बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी से मशरूम उत्पादन को लेकर 10 दिन की ट्रेनिंग ली। वहां से वो मशरूम के बीज लेकर आईं और अपने गाँव आकार मशरूम की खेती करने लगीं। शुरू में जब उन्होंने मशरूम की फसल लगाई तो उन्हें नुकसान ज़रूर हुआ, लेकिन वो डटी रहीं। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क किया। इसके बाद फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपने साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी जोड़ा और बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन करने लगीं। महिलाओं को बीज देना शुरू किया। उन्हें मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी। उनसे मशरूम खरीदकर बाज़ार की उपलब्धता की समस्या को भी दूर किया। वो कहती हैं कि मशरूम एक ऐसी फसल है, जिसमें कृषि योग्य भूमि की ज़रूरत नहीं होती। जो महिलाएं घर की चार दीवारी में रहती हैं उनके लिए मशरूम उत्पादन का व्यवसाय एक बेहतरीन विकल्प है। 

मशरूम उत्पादन में किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी?

अनीता देवी ने बताया कि जिस जगह पर भी आप मशरूम उगा रहे हैं, वहां साफ-सफाई होना बहुत ज़रूरी है। वरना रोग लगने का खतरा रहता है। मशरूम की उपज के लिए तय मापदंडों का पालन करना चाहिए। मशरूम के अच्छे बीज (Spawn) से लेकर भूसे के रखरखाव के बारे में जानकारी होनी चाहिए। अनीता देवी कहती हैं कि कई बार भूसा पहले से ही खराब होता है। बारिश में भीगने की वजह से भूसे के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं भूसा कई बार लाल या काला भी हो जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि ताज़ा और साफ भूसा लें। 

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Digital Mushroom Conclave: मशरूम उत्पादन के बारे में 'मशरूम लेडीज़ ऑफ़ इंडिया' से जानिए टिप्स और इस बिज़नेस का पूरा गणितरोशनी ने अपने कदम से दिखाई महिलाओं औ युवाओं को नई राह 

उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग ज़िले की रहने वाली मशरूम उत्पादक रोशनी अपने क्षेत्र में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं। रोशनी ने मशरूम की खेती (Mushroom Farming ) के जरिए पहाड़ की महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार की राह दिखाने का काम किया है। कॉन्क्लेव में रोशनी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में रोज़गार के साधन ज़्यादा नहीं होते। ख़ासकर महिलाओं के लिए विकल्प तो न के बराबर ही हैं। महिलाओं पर घर परिवार संभालने की ज़िम्मेदारी भी होती है। ऐसे में घर में रहकर ही महिलाएं मशरूम की खेती कर सकती हैं। ये उनके लिए एक अच्छा विकल्प है। 

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खेती में  आती हैं किस तरह की समस्याएं?

रोशनी ने बताया कि आज की तारीख में उत्तराखंड के कई किसान जानवरों से परेशान हैं। जंगली जानवर खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। बंदर की समस्या भी बहुत बड़ी है। मशरूम उत्पादन में इन जंगली जानवारों का डर नहीं रहता क्योंकि ये बंद कमरे में किया जाता है। आगे रोशनी कहती हैं कि जितनी मेहनत आप अपने खेतों में करते हैं, उतनी ही मेहनत मशरूम की खेती में करें तो गाँवों में ही रोजगार के अवसर खोल सकते हैं। इससे पलायन की समस्या को भी कम किया जा सकता है। 

अन्नू कंवर ने तैयार किया 10 दिन में तैयार होने वाला कंपोस्ट 

कॉन्क्लेव की हमारी एक और मेहमान राजस्थान से अन्नू कंवर ने मशरूम की प्रोसेसिंग को लेकर हमसे कई बातें साझा की। अन्नू ने बताया कि उन्होंने जब शुरुआत में मशरूम का उत्पादन किया तो उसकी बिक्री में दिक्कतें आईं। मशरूम जल्दी खराब हो जाता है। इसके लिए फिर उन्होंने मशरूम को प्रोसेस करने की शुरुआत की। बाय प्रॉडक्ट्स बनाकर मशरूम को लंबे समय के लिए रख सकते हैं। अन्नू ने बताया कि वक़्त रहते बिक्री न होने की वजह से किसानों को मशरूम की फसल कम दामों में भी बेचनी पड़ती है। ऐसे में इसे प्रोसेस कर किसानों को अपनी उपज के सही दाम से समझौता नहीं करना पड़ेगा। 

अन्नू कंवर मशरूम को लेकर रिसर्च के कामों से भी जुड़ी हैं। उन्होंने किसान ऑफ़ इंडिया को बताया कि वो ऐसे कंपोस्ट पर काम कर रही हैं जो 10 दिन में तैयार हो जाता है। अमूमन मशरूम के लिए कंपोस्ट तैयार करने में करीब 28 दिन का वक़्त लगता है। वो जल्द ही 10 दिन में तैयार हो जाने वाले कंपोस्ट को पेटेंट भी कराने वाली हैं। ये रिसर्च उनकी एक साल की मेहनत का नतीजा है। 

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Digital Mushroom Conclave: मशरूम उत्पादन के बारे में 'मशरूम लेडीज़ ऑफ़ इंडिया' से जानिए टिप्स और इस बिज़नेस का पूरा गणितमशरूम खाने के फ़ायदे (Mushroom Health Benefits)

अन्नू कंवर ने मशरूम के फ़ायदों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि मशरूम इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है। इसे एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक माना जाता है। मशरूम का सेवन आपको कई गंभीर बीमारियों से दूर रखने में कारगर है। मशरूम प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होता है। 

मसरूम लेडीज़ ऑफ़ इंडिया से बातचीत का पूरा वीडियो आप शुरुआत में दिए गए लिंक पर देख सकते हैं। अनीता देवी, रोशनी और अन्नू कंवर ने मशरूम उत्पादन से जुड़ी कई जानकारियां हमारे पाठकों के साथ शेयर की हैं। आगे भी हम मशरूम को लेकर कॉन्क्लेव का आयोजन करेंगे। अगर मशरूम की खेती, उत्पादन, मार्केट, प्रोसेसिंग को लेकर आपका कोई सवाल हो तो आप हमें नीचे दिए गए नंबर पर भेज सकते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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