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भारत ने पशु स्वास्थ्य (animal Health) के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देश की पहली स्वदेशी ‘इंफेक्शन बोवाइन राइनोट्रेकाइटिस’ (Bovine Rhinotracheitis) वैक्सीन डेवलप करने में कामयाबी पाई है। ये वैक्सीन गाय-भैंसों में होने वाली इस खतरनाक बीमारी के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करेगी।
‘रक्षा-IBR’ ( Raksha-IBR) नाम की ये वैक्सीन हैदराबाद स्थित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के साथ मिलकर विकसित की है। इसके सफल विकास से देश के करोड़ों डेयरी किसानों और पशुपालकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
एक खतरनाक बीमारी जो डेयरी उद्योग को कर रही थी बर्बाद
IBR एक बेहद संक्रामक बीमारी है जो ‘बोवाइन हर्पीज वायरस’ (BHV-1) की वजह से होती है। ये हवा के ज़रीये से तेज़ी से फैलती है और पशुओं के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालती है। संक्रमित पशुओं में नाक और आंख से स्राव, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
इस बीमारी का सबसे गंभीर प्रभाव दूध उत्पादन पर पड़ता है। संक्रमित होने पर दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन तेजी से गिरने लगता है। इससे भी ज़्यादा टेंशन वाली बात ये है कि ये बीमारी प्रजनन अंगों को प्रभावित करती है, जिससे पशुओं में बांझपन और गर्भपात की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
18 हजार करोड़ रुपये का सालाना नुकसान
एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में IBR के मामलों की दर 32 फीसदी से ज़्यादा है, जो एक बेहद चिंताजनक स्थिति है। इस बीमारी के कारण देश के डेयरी उद्योग को हर साल लगभग 18 हजार करोड़ रुपये का भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। ये नुकसान मुख्य रूप से दूध उत्पादन में कमी, प्रजनन क्षमता में गिरावट और पशुओं की मृत्यु दर के कारण होता था।
सबसे बड़ी समस्या यह थी कि अब तक देश में IBR के खिलाफ कोई प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी, न ही इस बीमारी का कोई पुख़्ता इलाज मौजूद था। ऐसे में रोकथाम ही एकमात्र उपाय बचा था, जो पर्याप्त नहीं था।
‘रक्षा-IBR’ वैक्सीन की ख़ासियते
‘रक्षा-IBR’ एक GE-डिलीटेड DIVA (Differentiating Infected from Vaccinated Animals) मार्कर वैक्सीन है। इस तकनीक का मतलब है कि ये न केवल बीमारी से बचाव करती है, बल्कि इससे यह भी आसानी से पता लगाया जा सकता है कि कोई पशु संक्रमित है या केवल वैक्सीन लगा हुआ है। ये ख़ासियत बीमारी के प्रबंधन और नियंत्रण (Management and control) में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी।
इस वैक्सीन को ख़ासतौर से दुधारू पशुओं की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जिससे ये उनके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।
किसानों को मिलेंगे महत्वपूर्ण लाभ
इस स्वदेशी वैक्सीन के विकसित होने से देश के किसानों और पशुपालकों को अनेक ज़रूरी लाभ मिलेंगे:
:- दूध उत्पादन: बीमारी के कारण दूध उत्पादन में होने वाली गिरावट पर effective नियंत्रण मिलेगा
:- आर्थिक नुकसान में कमी: हर साल होने वाले 18 हजार करोड़ रुपये के भारी नुकसान से बचाव होगा
:- बेहतर प्रजनन क्षमता: पशुओं में बांझपन और गर्भपात जैसी समस्याओं में significant कमी आएगी
:- स्वस्थ नस्लें: सांडों के वीर्य की गुणवत्ता बनी रहेगी, जिससे आगे की पीढ़ी अधिक स्वस्थ और उत्पादक होगी
:- आत्मनिर्भरता: अब विदेशी वैक्सीन पर निर्भरता ख़त्म होगी
‘रक्षा-IBR’ वैक्सीन का विकसित होना भारत के पशुधन स्वास्थ्य और डेयरी उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल देश के करोड़ों किसानों की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भरता को भी मजबूती प्रदान करेगा।
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