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हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने पराली जलाने की समस्या (Problem Of Stubble Burning ) से निपटने के लिए इस बार कोई कोताही नहीं बरतने का फैसला किया है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की एक बड़ी वजह बनने वाली पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए दोनों राज्यों ने ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है, जिसमें सख्त निगरानी, भारी जुर्माना और तकनीकी समाधान शामिल हैं।
हरियाणा: हर खेत की मैपिंग और ‘रेड एंट्री’ का डर
हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन (stubble management) को लेकर एक व्यवस्थित और सख्त रणनीति पर काम शुरू किया है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने सभी विभागों को 100 फीसदी अमल कराने के निर्देश दिए हैं। सरकार की ओर से उठाए गए अहम कदम हैं-
हर खेत की मैपिंग
अब हर गांव के हर खेत की मैपिंग की जाएगी। इसका मकसद ये तय करना है कि किस खेत में पराली का प्रबंधन (stubble management) किस तरह से किया जाएगा। ये कदम निगरानी को पुख़्ता करेगा।
जीरो टॉलरेंस नीति
पराली जलाने वालों (Stubble Burning) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब तक फतेहाबाद, जींद और कुरुक्षेत्र में तीन मामलों में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। दोषी किसानों के जमीन रिकॉर्ड में ‘Red Entry’ की गई है और पर्यावरण हानि का जुर्माना (EC चार्ज) भी लगाया गया है।
मशीनों पर ज़ोर
सरकार पराली प्रबंधन मशीनों पर अच्छी-ख़ासी सब्सिडी दे रही है। छोटे किसानों के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) के जरिए ये मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं।
डिजिटल निगरानी
किसानों के रजिस्ट्रेशन, मशीन बुकिंग और प्रोत्साहन राशि के वितरण के लिए कृषि पोर्टल और MFMB सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए ‘जोन’ बनाए गए हैं। रेड और येलो जोन में हर अधिकारी 50 किसानों की निगरानी करेगा, जबकि ग्रीन जोन में 100 किसानों की।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक राज्य के 5.65 लाख किसान पराली प्रबंधन (stubble management) के लिए रजिस्टर हो चुके हैं, जो 39.33 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र को कवर करता है। करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद और जींद इस मामले में अग्रणी जिले हैं।
उत्तर प्रदेश: कंबाइन पर पाबंदी और 30 हज़ार का जुर्माना
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पराली जलाने पर कार्रवाई तेज़ कर दी है, ख़ासतौर पर अलीगढ़ मंडल जैसे धान उत्पादक इलाकों में। यहां की गई कार्रवाई कहीं ज्यादा सख़्त और Tech-Centric है:
सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) अनिवार्य
अब कोई भी कंबाइन हार्वेस्टर बिना SMS के धान की कटाई नहीं कर सकता। यह सिस्टम पराली को बारीक काटकर खेत में ही फैला देता है, जिससे उसे जलाने की जरूरत नहीं रहती। बिना SMS वाले कंबाइन को सीज कर दिया जाएगा।
पहले लेना होगा ‘पास’
कंबाइन मशीन से कटाई कराने से पहले किसानों या मशीन मालिकों को कृषि विभाग से परमीशन लेनी होगी। विभाग ये देखेगा कि मशीन में SMS सिस्टम लगा है।
निगरानी के लिए ड्यूटी
हर कंबाइन हार्वेस्टर के साथ एक अधिकारी की ड्यूटी लगाई जाएगी, जो यह सुनिश्चित करेगा कि कटाई के दौरान नियमों का पालन हो और पराली न जलाई जाए।
भारी जुर्माना
पराली जलाने पर किसानों पर 5,000 से 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, जो ज़मीन के आकार पर डिपेंड करेगा।
एक पॉजिटिव चेंज
साफ है कि इस बार हरियाणा और यूपी की सरकारें पराली प्रदूषण को गंभीरता से ले रही हैं। सिर्फ दिशा-निर्देश जारी करने के बजाय ठोस ज़मीनी रणनीति पर काम हो रहा है। हर खेत की मैपिंग, तकनीक का उपयोग, मशीनों की उपलब्धता और सख्त कानूनी कार्रवाई का ये मेल एक उम्मीद जगाता है। हालांकि, इसकी सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि इन नीतियों को ज़मीन पर कितनी ईमानदारी से लागू किया जाता है और किसानों को ऑप्शनल समाधान मुहैया कराने में कितनी सफलता मिलती है।
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