Biostimulant products पर अब QR Code अनिवार्य: किसानों के हित में कृषि मंत्रालय का बड़ा फैसला

बायोस्टिमुलेंट (Biostimulant products) प्रोडक्ट्स के लेबल पर क्यूआर कोड (QR code) अनिवार्य कर दिया है। ये कदम किसानों को नकली और घटिया क्वालिटी वाले प्रोडक्ट से बचाने और Transparency करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Biostimulant products पर अब QR Code अनिवार्य: किसानों के हित में कृषि मंत्रालय का बड़ा फैसला

कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी और किसानों के हितों के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) ने सभी बायोस्टिमुलेंट (Biostimulant products) प्रोडक्ट्स के लेबल पर क्यूआर कोड (QR code) अनिवार्य कर दिया है। ये कदम किसानों को नकली और घटिया क्वालिटी वाले प्रोडक्ट से बचाने और Transparency करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि निदेशकों को ज़रूरी निर्देश जारी कर दिए हैं।

क्यों लिया गया ये फैसला?

मंत्रालय को कुछ उद्योग संघों की ओर से इस बारे में निवेदन मिले थे। बाजार में नकली बायोस्टिमुलेंट प्रोडक्ट की बढ़ती घटनाओं ने किसानों की फसलों और आर्थिक स्थिति को ख़तरे में डालना शुरू कर दिया था। एक जैसे दिखने वाले पैकेटों में मिलने वाले नकली प्रोडक्ट्स न केवल किसान की मेहनत बर्बाद कर रहे थे, बल्कि उनके भरोसे को भी ठेस पहुंचा रहे थे। ऐसे में, क्यूआर कोड (QR code) एक कारगर हथियार साबित होगा।

इसकी मदद से अब कोई भी किसान अपने स्मार्टफोन से उत्पाद के पैकेज पर छपे क्यूआर कोड (QR code) को स्कैन करके तुरंत ये क्लियर कर सकता है कि वो जो प्रोडक्ट ख़रीद रहा है, वो असली  है या नहीं। इससे नकली प्रोडक्ट्स पर अंकुश लगेगा और किसानों को सही और अच्छी क्वालिटी प्रोडक्ट  मिल सकेंगे। ये व्यवस्था फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO), 1985 की अनुसूची-VI के तहत अधिसूचित सभी बायोस्टिमुलेंट प्रोडक्ट पर लागू होगी।

आख़िर क्या होते हैं बायोस्टिमुलेंट?

Biostimulant, जैविक या प्राकृतिक पदार्थों से बने ऐसे प्रोडक्ट हैं जो पौधों की बढ़ोतरी और विकास को बढ़ाते हैं। ये खुद कोई खाद या उर्वरक नहीं हैं, बल्कि ये पौधों की Natural Functioning  को बेहतर बनाकर उनकी पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता, पानी की  इस्तेमाल की ताकत और   सूखा, गर्मी, ठंड को सहने की क्षमता को बढ़ाते हैं।

मूल रूप से, ये पौधों के लिए ‘हेल्थ टॉनिक’ का काम करते हैं। इनमें मुख्य रूप से समुद्री शैवाल के अर्क, ह्यूमिक एसिड, फुल्विक एसिड, अमीनो एसिड, Beneficial बैक्टीरिया और फफूंद (माइक्रोऑर्गेनिज्म) आदि शामिल होते हैं।

kisan of india instagram

किसान इनका इस्तेमाल कैसे और क्यों करते हैं?

पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाना: बायोस्टिमुलेंट मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम) को पौधों के लिए आसानी से सोखने में मदद करते हैं। 

स्ट्रेस मैनेजमेंट: मौसम की मार झेल रहे पौधों के लिए ये रामबाण साबित होते हैं। चाहे बहुत अधिक गर्मी हो, पानी की कमी हो या लवणीय मिट्टी का दबाव, बायोस्टिमुलेंट पौधों को इस तनाव से लड़ने की शक्ति देते हैं। 

जड़ विकास को बढ़ावा: ये उत्पाद पौधों की जड़ प्रणाली को अधिक मजबूत और घना बनाते हैं, जिससे पौधा मिट्टी से अधिक से अधिक पोषण और पानी ले पाता है।

फसल की क्वालिटी और पैदावार में बढ़ोत्तरी: बेहतर बढ़ोत्तरी और कम तनाव का सीधा असर फसल की उपज और उसकी गुणवत्ता (जैसे फलों का आकार, रंग और शेल्फ लाइफ) पर पड़ता है।

कृषि मंत्रालय का ये कदम ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ की दिशा में एक सराहनीय कदम है। क्यूआर कोड (QR code) की मदद से नकली उत्पादों पर अंकुश लगेगा, किसानों का भरोसा बढ़ेगा और देश के कृषि क्षेत्र में क्वालिटी बायोस्टिमुलेंट प्रोडक्ट के इस्तेमाल को बल मिलेगा।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

इसे भी पढ़िए: PM Krishi Dhan Dhanya Yojana: उत्तर प्रदेश के 12 पिछड़े ज़िलों के लिए कृषि क्रांति का ऐलान, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर Focus

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top