उत्तर प्रदेश अब एक नए और टिकाऊ कृषि मॉडल की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देने के लिए एक डीटेल और ठोस रणनीति (Detailed and concrete strategy) पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य न केवल किसानों की आमदनी में इज़ाफा करना है, बल्कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकना और भावी पीढ़ियों के लिए उपजाऊ भूमि देना शामिल है।
ज़मीनी स्तर पर जोर (Emphasis On The Grassroots)
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Mission on Natural Farming) की रिव्यू मीटिंग में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही (Agriculture Minister Surya Pratap Shahi) ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि योजनाओं को बेहतर और ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से उतारना काफी ज़रूरी है। उन्होंने नियमित निरीक्षण और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया। ये सख्त रवैया सरकार की इस initiative को लेकर गंभीरता को दर्शाता है।
बताते चलें कि प्रदेश की मिट्टी में केमिकल खादों और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से भारी धातुओं की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है, जो मानव स्वास्थ्य और भूमि की उर्वरा शक्ति (human health and soil fertility) दोनों के लिए एक गंभीर ख़तरा है। प्राकृतिक खेती (Natural Farming) इस समस्या का एक प्राकृतिक और कारगर समाधान पेश करती है।
किसानों को डबल फायदा : स्वास्थ्य और आमदनी (Double Benefit To Farmers: Health And Income)
मंत्री शाही ने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) अपनाने से न केवल मिट्टी की उर्वरता और जल संरक्षण (Soil fertility and water conservation) सुनिश्चित होगा, बल्कि किसानों को जैविक उत्पादों (Organic Products) के रूप में बाजार में अच्छी कीमत भी मिलेगी। आज कीमती जैविक उत्पादों की मांग देशी और अंतरराष्ट्रीय बाजार (domestic and international markets) दोनों में तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में प्राकृतिक खेती किसानों की आय बढ़ाने का एक सशक्त ज़रिया बन सकती है। उन्होंने किसानों से प्रशिक्षण केंद्रों (Training Centers) का फायदा उठाकर इस तकनीक को अपनाने की अपील की।
प्रगति के आंकड़े (Progress Statistics)
यूपी सरकार के efforts के ठोस परिणाम सामने आ रहे हैं-
:- 75 ज़िलों और 318 विकास खंडों में 1886 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं।
:- 3772 कृषि सखियों/सीआरपी का सेलेक्शन और ट्रेनिंग पूरा हो चुका है, जो ग्रामीण स्तर (Village Level) पर इस मिशन की रीढ़ हैं।
:- 2.20 लाख से ज़्यादा किसान पहले ही प्रशिक्षित हो चुके हैं।
:- मिट्टी की सेहत जांचने के लिए 82,000 से अधिक मृदा (Soil) नमूने लिए गए हैं।
:- 38 मॉडल फार्म डेवलप गए हैं ताकि किसानों को प्राकृतिक खेती का live model दिख सके।
शिक्षा और शोध पर जोर: विज़न डॉक्यूमेंट का निर्देश (Emphasis on education and research: Guidelines of the vision document)
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार केवल बुनियादी ढांचा खड़ा करने तक सीमित नहीं रहना चाहती। कृषि मंत्री ने सभी कृषि विश्वविद्यालयों को एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने का निर्देश दिया है। इस दस्तावेज में यह स्पष्ट होना चाहिए कि आने वाले वर्षों में उनका शोध किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने और लागत कम करने में कैसे सीधे तौर पर मददगार होगा। कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने भी जोर दिया कि शोध व्यावहारिक और किसान-हितैषी होनी चाहिए।
भविष्य की राह: बायो इनपुट रिसर्च सेंटर (Way Forward: Bio Input Research Centre)
सरकार की योजना अब हर जिले में दो ‘बायो इनपुट रिसर्च सेंटर’ स्थापित करने की है। इन केंद्रों पर जैविक खाद, कीटनाशक आदि तैयार करने और उनपर शोध किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी योजना पर अगले दो साल में 2500 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है, जो इसके प्रति सरकार के commitment को दिखाता है।
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