भारत अपनी विशाल समुद्री संपदा (vast marine wealth) को आर्थिक विकास (Economic development) की नई कहानी में बदलने जा रहा है। नीति आयोग (NITI Aayog) ने ‘India’s Blue Economy: Strategy for Harnessing Deep-Sea and Offshore Fisheries’ नाम से एक ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की है, जो देश के गहरे समुद्री संसाधनों (deep sea resources) के दोहन का रोडमैप पेश करती है। इस रिपोर्ट का दावा है कि अगर इन संसाधनों का रणनीतिक और जिम्मेदारी (Strategic and responsible) से इस्तेमाल किया जाए तो न सिर्फ मछली उत्पादन और निर्यात (Fish production and export) में भारी इज़ाफा होगा, बल्कि लाखों नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
विशाल क्षमता, पर अधूरा दोहन
भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है और ग्लोबल प्रोडक्शन में लगभग 8 फीसदी का योगदान देता है। ये ऐरिया लगभग तीन करोड़ लोगों की आजीविका का सोर्स है। सिर्फ वित्त वर्ष 2023-24 में ही भारत ने मछली उत्पादों (fish products) से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का एक्सपोर्ट किया।
इस सफलता के बावजूद, देश की असली समुद्री शक्ति अभी भी बेकार पड़ी है। भारत के पास 20 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ), Continental belt से अलग गहरे समुद्र का विशाल क्षेत्र (vast deep sea area) और 11,098 किलोमीटर लंबा तटीय इलाका है, जो 9 तटीय राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के EEZ में सालाना 7.16 मिलियन टन मत्स्य उत्पादन (fish production) की क्षमता है, जिसका अभी तक बहुत कम इस्तेमाल हो पाया है।
6 प्वाइंट स्ट्रैटजी : साइंस और बिज़नेस पर ज़ोर
इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, नीति आयोग ने गहरे समुद्री मछली पालन (Deep sea fisheries) को बढ़ावा देने के लिए एक Six-point strategy पेश की है, जो पूरी तरह से साइंस और टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है-
1.नीतियों और रेग्युलेशन में सुधार: ट्रांसपेरेंट और अनुकूल नीतियां बनाना।
2.संस्थागत क्षमता को मजबूत बनाना: रिसर्च और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट को पावरफुल बनाना।
3.नौकाओं का आधुनिकीकरण: मछुआरों को आधुनिक जहाज और तकनीक उपलब्ध कराना।
4.फिशरीज़ मैनेजमेंट को बढ़ावा देना: संसाधनों के over-exploitation को रोकना और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखना।
5.वित्तीय संसाधन जुटाना: क्षेत्र में इनवेस्टमेंट को अट्रैक्ट करना।
6.स्थानीय समुदायों की भागीदारी और साझेदारी को बढ़ाना: मछुआरा समुदायों को इस विकास यात्रा का केंद्र बनाना।
2033 तक ग्लोबल लीडर बनने का टारगेट
इस योजना को तीन चरणों में लागू करने का सुझाव दिया गया है:
First stage (2025-28)
इस दौरान बुनियादी ढांचा तैयार करने और शुरुआती बढ़ोतरी को बढ़ावा देने पर फोकस रहेगा।
Second phase (2029-32)
इस स्टेज में भारतीय गहरे समुद्री मत्स्य क्षेत्र को Global competition के लेवल तक पहुंचाना टारगेट है।
Third stage (2033 और आगे)
इस Duration का टारगेट भारत को deep sea fishing area में एक ग्लोबल लीडर के रूप में पेश करना है।
राज्यों ने दिखाई दिलचस्पी
रिपोर्ट जारी होने के बाद आयोजित एक वर्कशॉप में गोवा, गुजरात, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, ओडिशा और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने गहरे समुद्र में मछली पालन बढ़ाने की अपनी स्ट्रेटजी शेयर की। एक्सपर्ट्स ने नियामक सुधार, बेहतर शोध और वित्तपोषण (Regulatory reforms, improved research and funding) के जरिए इस क्षेत्र को गति देने के रास्ते सुझाए।
नीति आयोग की ये रिपोर्ट भारत की ‘ब्लू इकॉनमी’ के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। ये सिर्फ मछली पकड़ने की बात नहीं, बल्कि एक समग्र आर्थिक परिवर्तन की रणनीति है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
इसे भी पढ़िए: PM Krishi Dhan Dhanya Yojana: उत्तर प्रदेश के 12 पिछड़े ज़िलों के लिए कृषि क्रांति का ऐलान, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर Focus