One Fish, One Paddy: ‘एक मछली, एक धान’ मॉडल से बदलेगी किसानों की किस्मत,मछुआरों के लिए सरकार की पायलट स्कीम

किसानों और मछुआरों के लिए केंद्र सरकार ने एक गेम-चेंजिंग पायलट योजना (Game-changing pilot scheme) की घोषणा की है। इस योजना का मूल मंत्र है – ‘एक मछली, एक धान’(One Fish, One Paddy)। ये न सिर्फ आय बढ़ाने का एक मॉडल है, बल्कि टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) और इंटिग्रेटेड कृषि (Integrated Farming) की ओर एक बड़ा कदम है।

One Fish, One Paddy: ‘एक मछली, एक धान’ मॉडल से बदलेगी किसानों की किस्मत,मछुआरों के लिए सरकार की पायलट स्कीम

भारत की कृषि अर्थव्यवस्था (Agricultural Economy of India) में एक नया और इनोवेटिव चैप्टर (Innovative Chapters) जुड़ने जा रहा है। केरल के फेमस धान कटोरे (Rice Bowl of Kerala) कुट्टनाड क्षेत्र के किसानों और मछुआरों के लिए केंद्र सरकार ने एक गेम-चेंजिंग पायलट योजना (Game-changing pilot scheme) की घोषणा की है। इस योजना का मूल मंत्र है – ‘एक मछली, एक धान’(One Fish, One Paddy)। ये न सिर्फ आय बढ़ाने का एक मॉडल है, बल्कि टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) और इंटिग्रेटेड कृषि (Integrated Farming) की ओर एक बड़ा कदम है।

 ‘एक मछली, एक धान’ मॉडल क्या है?

‘वन फिश, वन राइस’ मॉडल (One Fish, One Paddy) एक प्राचीन लेकिन वैज्ञानिक रूप से समृद्ध खेती की पद्धति है, जिसे अब आधुनिक तकनीक के साथ दोबारा जिंदा किया जा रहा है। इसके तहत एक ही खेत में धान की फसल के साथ-साथ मछली पालन भी किया जाता है।

पारस्परिक लाभ (Symbiotic Relationship)

 ये मॉडल प्रकृति के सिद्धांत पर काम करता है। मछलियां खेत में मौजूद कीटों और खरपतवार को खाकर प्राकृतिक कीटनाशक का काम करती हैं। उनके मल-मूत्र से खेत को प्राकृतिक उर्वरक (जैविक खाद) मिलता है, जिससे रासायनिक खाद (Chemical Fertilizers) पर निर्भरता कम होती है और धान की गुणवत्ता बेहतर होती है।

दोहरी आय (Double income)

किसान को एक ही मौसम में और एक ही ज़मीन से धान की फसल और मछली दोनों की बिक्री से आमदनी होगी, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी सुधार आएगा।

kisan of india instagram

सिर्फ एक मॉडल नहीं, एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन (Union Minister of State for Fisheries, Animal Husbandry and Dairying George Kurien) द्वारा घोषित ये योजना अत्यंत व्यापक और बहुआयामी है। इसमें शामिल प्रमुख घटक हैं।

बहु-प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण 

यह योजना किसानों को सिर्फ एक ही विकल्प नहीं देगी। इसमें कुट्टनाड के विविध जलीय वातावरण (मीठा पानी, खारा पानी, ऊपरी और निचले इलाके) के अनुसार अलग-अलग तकनीकों को शामिल किया गया है:

एकीकृत मत्स्य पालन (Integrated Fish Farming):

मछली पालन के साथ मुर्गी पालन या बत्तख पालन को जोड़ना।

पिंजरा पालन (Cage Culture) 

नहरों और जलाशयों में पिंजरों में मछली पालन, जो जल संसाधनों का ज़्यादा इस्तेमाल पूरा यक़ीन वाला काम करेगा।

बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technology)

ये एक उन्नत तकनीक (Advanced Technologies) है जो कम पानी और कम जगह में उच्च घनत्व पर मछली पालन को संभव बनाती है। ये पानी की गुणवत्ता बनाए रखते हुए मछलियों के लिए प्रोटीनयुक्त आहार भी पैदा करती है।

 FFPO का गठन और सशक्तिकरण

योजना की सबसे महत्वपूर्ण बात है मत्स्य कृषक उत्पादक संगठन (Fishery Farmer Producer Organisation – FFPO) का गठन। यह स्थानीय मछुआरों और किसानों को एक मंच पर लाएगा, जिससे उनकी सामूहिक सौदेबाजी की ताकत बढ़ेगी। वे महंगे इनपुट्स (जैसे बीज, फीड) सामूहिक रूप से खरीद सकेंगे और अपनी उपज को बेहतर दाम पर बेच पाएंगे।

स्टार्टअप्स और रोज़गार पैदा करना 

ये योजना सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं है। इसमें मूल्यवर्धन (Value Addition) पर जोर दिया गया है। मछली की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन (मार्केटिंग) के क्षेत्र में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे न केवल युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे, बल्कि किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य भी मिलेगा।

वैज्ञानिक समर्थन

इस पायलट परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ICAR-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI), कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और अन्य विशेषज्ञ संस्थानों की टीम किसानों को वैज्ञानिक मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता प्रदान करेगी।

कुट्टनाड के लिए क्यों है ख़ास?

कुट्टनाड, जो समुद्र तल से नीचे मौजूद है, अपने अनूठे aquaculture ecosystem के लिए जाना जाता है। यहां की Geographical location इसे मछली पालन और धान की खेती के एकीकरण के लिए आदर्श बनाती है। इस योजना से न केवल किसानों की आय दोगुनी होगी, बल्कि इस क्षेत्र की पारंपरिक कृषि पद्धतियों (traditional agricultural practices) को एक नया रंग और वैज्ञानिक आधार भी मिलेगा।

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

इसे भी पढ़िए: बैलों से AI तक: भारतीय कृषि क्रांति की कहानी जो है हल से हार्वेस्टर तक, Agricultural Mechanization का सदियों लंबा सफ़र

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top