उत्तर प्रदेश की खेत-तालाब योजना पूरी तरह से ऑनलाइन हुई

खेत-तालाब योजना बुन्देलखंड समेत कम वर्षा और अत्यधिक भूजल दोहन करके नाज़ुक (क्रिटिकल) श्रेणी में पहुँच गये 44 ज़िलों के 167 ब्लॉक के किसानों से जुड़ी है। 27.88 करोड़ रुपये की इस योजना में 3,384 तालाब के निर्माण का लक्ष्य है। वैसे बुन्देलखंड में साल 2018 और 2019 में केन्द्र सरकार के विशेष पैकेज़ की बदौलत 166 चेक डैम का भी निर्माण हुआ है। इससे सूखा पीड़ित क्षेत्र के किसानों को ख़ासी राहत भी मिली है।

kisan farm pond scheme ( किसान फ़ार्म तालाब योजना )

कोरोना लॉकडाउन के मौजूदा माहौल को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2013 से जारी अपनी खेत-तालाब योजना को पूरी तरह से ऑनलाइन बनाने का फ़ैसला किया है। ये योजना बुन्देलखंड समेत कम वर्षा और अत्यधिक भूजल दोहन करके नाज़ुक (क्रिटिकल) श्रेणी में पहुँच गये 44 ज़िलों के 167 ब्लॉक के किसानों से जुड़ी है।

इसके तहत किसानों को अपनी ज़मीन पर छोटे और मझोले स्तर के तालाब खोदने की लागत का 50 फ़ीसदी अनुदान मिलता है।

लघु सिंचाई और जलसंरक्षण पर केन्द्रित खेत-तालाब योजना में होने वाले इस सुधार का मक़सद लाभार्थी किसानों को आवेदन से लेकर सत्यापन और सब्सिडी पाने तक की सारी सुविधा को ऑनलाइन बनाना है। ताकि लाभार्थी किसानों को भागदौड़ नहीं करनी पड़े और अनुदान की रकम सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जा सके।

कितना मिलेगा अनुदान?

खेत-तालाब योजना के तहत छोटे तालाब की लागत 1.05 लाख रुपये और मझोले तालाब के लिए 2.28 लाख रुपये निर्धारित है। इस तरह किसानों को अपनी सिंचाई व्यवस्था ख़ुद करने और वर्षा-जल की संरक्षण करके भूजल स्तर को सुधारने में सहयोग देने के बदले 52,500 रुपये से लेकर 1.14 लाख रुपये तक का अनुदान मिल सकता है।

कैसे होगा लाभार्थी किसान का चयन?

योजना के तहत लाभार्थी किसानों का चयन ज़िलाधिकारी कार्यालय करता है। इसमें ज़िलाकारी की ओर अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा अल्पसंख्यक तथा छोटे और सीमान्त श्रेणी के आवेदक किसानों को प्राथमिकता दी जाती है। सीमान्त किसान वो हैं जिनके पास 1 हेक्टेयर या 2.5 एकड़ तक की जोत हैं और छोटे किसान वो हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर या 5 एकड़ तक की जोत है। एक किसान को सिर्फ़ एक तालाब बनाने के लिए ही अनुदान मिलता है। इसके लिए किसान जिस ज़मीन पर तालाब खोदने के लिए आवेदन देंगे, वो उनकी अपनी होनी चाहिए।

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ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया

  • आवेदक किसान को पारदर्शी किसान सेवा योजना के पोर्टल http://upagripardarshi.gov.in/staticpages/FarmPondScheme-hi.aspx पर जाकर निर्धारित फ़ॉर्म में आवेदन करना होगा।
  • यहाँ ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर अनुदान पाने के लिए बुकिंग होगी।
  • बुकिंग होते ही किसान को एक टोकन नम्बर जारी होगा।
  • इसके बाद, विभागीय अधिकारी आवेदन की जाँच-पड़ताल करके जब टोकन को कन्फ़र्म करेगें।
  • तब आवेदक किसान को इसकी सूचना उसके मोबाइल पर एसएमएस से भेजी जाएगी।
  • इसके मुताबिक किसान को निर्धारित अवधि में बैंक चालान के ज़रिये टोकन राशि जमा करवानी होगी।
  • लघु तालाब के लिए टोकन मनी 1,000 रुपये और मझोले तालाब के लिए 2,000 रुपये होगी।
  • इसके बाद किसान के बैंक खाते में अनुदान की पहली किस्त भेज दी जाएगी।
  • तालाब खोदने का काम किसान ख़ुद करवाएँगे।
  • खुदाई की प्रगति की तस्वीरें भी किसानों की ओर इसी पोर्टल पर अपलोड की जाती रहेंगी।
  • इसी हिसाब से उन्हें अनुदान की दूसरी और तीसरी किस्त जारी की जाएगी।
  • तालाब बन जाने के बाद शुरुआती आवेदन के जमा हुई टोकन राशि भी किसानों के खाते में वापस भेज दी जाएगी।

तालाब का आकार

छोटे तालाब का आयतन 1320 घन मीटर यानी 22×20×3 मीटर से कम नहीं होना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि इस आकार का तालाब खोदने का खर्च 1.05 लाख रुपये होगा। लेकिन अनुदान का लाभ उठाकर किसान इसे 50-55 हज़ार रुपये के निजी खर्च से बनवा सकते हैं। इस तालाब में बारिश का पानी जमा करके सिंचाई में इस्तेमाल किया जा सकता है।

मझोले स्तर का तालाब का आयतन 3150 घन मीटर यानी 35×30×3 मीटर से कम नहीं होना चाहिए। इसे खोदने की अनुमानित लागत को 2,28.400 रुपये तय किया गया है।

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खेत-तालाब योजना का प्रदर्शन

अभी खेत-तालाब योजना की दूसरा फेज चल रहा है। इसमें 167 ब्लॉक में 3384 तालाब के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इसका बजट 27.88 करोड़ रुपये है। जबकि पहले फेज के तहत बुन्देलखंड अंचल के 7 ज़िलों – चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, जालौन, झाँसी, ललितपुर और महोबा के सभी ब्लॉक को खेत-तालाब योजना के दायरे में रखा गया था और उसमें 12.2 करोड़ रुपये के खर्च से 2,000 तालाबों का निर्माण हुआ था।

बुन्देलखंड पैकेज़ में चेक डैम

उत्तर प्रदेश के सूखा पीड़ित क्षेत्र बुन्देलखंड के लिए साल 2018 और 2019 में केन्द्र सरकार के विशेष पैकेज़ की बदौलत 166 चेक डैम का निर्माण करवाया गया। इससे वहाँ बारिश के पानी के संरक्षण और खेती-किसानी को मदद पहुँचाने की दिशा में सराहनीय कामयाबी मिली। इन वाटर हार्वेटिंग चैक डैम की औसत लागत 15 लाख रुपये रही और कुलमिलाकर, इस पर 25.25 करोड़ रुपये खर्च हुए।

इस प्रयास से पूरे बुन्देलखंड की समस्या तो ख़त्म नहीं हुई लेकिन ऐसे कई इलाके खुशहाल हुए जहाँ इसका सीधा लाभ किसानों तक पहुँच पाया। जल संरक्षण उसी प्रक्रिया को और व्यापक बनाने के लिए खेत-तालाब योजना को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

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