Seed Sowing Machine VL Line Maker: बीजों की बुवाई के लिए अलग-अलग तरीके हैं, जिसमें से छिड़काव विधि सबसे आसान होती है, लेकिन इसकी अंकुरण दर मात्र 50 फ़ीसदी ही है, यानी इस विधि में बीजों की बर्बादी काफ़ी ज़्यादा होती है, जिससे खेती में लागत बढ़ जाती है। कुछ बीज ऊपर रह जाते हैं और कुछ ज़्यादा गहराई में चले जाते हैं, जिससे अंकुरण एक समान नहीं हो पाता। ऐसे में वी.एल. लाइन मेकर यंत्र किसानों के लिए बहुत कारगर हो सकता है।
पर्वतीय इलाकों में अधिकतर छिड़काव विधि का इस्तेमाल होता है जिससे किसानों की खेती की लागत अधिक होती है और मुनाफ़ा कम होता है। ऐसे में वी.एल. लाइन मेकर यंत्र किसानों के लिए मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि इस छोटे से यंत्र की मदद से वो खेत में आसानी से पंक्तियां बनाकर बुवाई कर सकते हैं। पंक्तिबद्ध बुवाई में बीजों की अंकुरण दर अच्छी होती है, निराई-गुड़ाई भी आसान हो जाती है और इससे पहाड़ी इलाकों के किसानों की खेती की लागत में भी कमी आती जाती है। इस यंत्र को अल्मोड़ा के आईसीएआर-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है।
क्यों ज़रूरी है पंक्तिबद्ध बुवाई?
कृषि वैज्ञानिक और जानकारों का कहना है कि ज्यादा उत्पादन के लिए किसानों को लाइन यानी पंक्ति में बुवाई करनी चाहिए। पंक्ति में बुवाई का एक फायदा तो ये होता है कि बीज कम लगते हैं, दूसरा ये कि निराई-गुड़ाई आसान हो जाती है और उत्पादन भी ज्यादा होता है।
वी. एल. लाइन मेकर का विकास किसने किया?
मज़दूरों की कमी को दूर करने के लिए कई तरह के कृषि यंत्रों का विकास कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। ऐसा ही एक छोटा मगर बहुत कारगर यंत्र है वी. एल. लाइन मेकर, इसको बनाया है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा ने। हल्का होने के कारण इसे पहाड़ी इलाकों में आसानी लाया जा सकता है और इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका वज़न महज़ 2.2 किलोग्राम है, जिसे एक व्यक्ति आसानी से खींच सकता है।
आसानी से बनाता है पंक्तियां?
वी.एल लाइन मेकर के इस्तेमाल से एक व्यक्ति आसानी से एक घंटे में 3-4 नाली की पंक्ति बना सकता है। वी.एल. लाइन मेकर से बुवाई करने पर बीजों का अंकुरण अच्छी तरह होता है, क्योंकि बुवाई के दौरान बीज एक निश्चित गहराई में रहता है जिसे बाद में बंद कर दिया जाता है। वी.एल. लाइन मेकर में आप पंक्ति के बीज की दूरी को फसल के हिसाब से एडजस्ट कर सकते हैं, इसके लिए इसके फालों को स्थिर करना होता है। अगर आपको गेहूं, धान और मिलेट्स जैसी फसल लगानी हो तो दूरी को 20 सेंटीमीटर तक फिक्स करें। मटर और मसूर जैसी फसल की बुवाई के लिए पंक्ति के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी फिक्स करें। सोयाबीन और मक्का की बुवाई के लिए फालों को 45 या 60 सेंटीमीटर की दूरी पर फिक्स करें।
वी.एल लाइन मेकर इस्तेमाल में आसान
वी.एल लाइन मेकर पूरी तरह से लोहे से तैयार किया जाता है और जहां से इसे पकड़ा जाता है उस जगह पर रबड़ के हत्थे लगे हुए हैं, जिससे पकड़ने पर ग्रिप अच्छी मिलती है। रबड़ के हत्थों की वजह से इसे आसानी से खींचा जा सकता है, इससे हाथों में फिसलन नहीं होती है और हथेलियों पर दबाव भी नहीं पड़ता है। इस यंत्र की मदद से एक साथ पांच और कम से कम एक पंक्ति निकाली जा सकती है। हल्का होने के कारण महिला किसान भी इसे आसानी से खींच सकती हैं।
बीज बुवाई मशीन का प्रदर्शन
इस यंत्र का पहली बार प्रदर्शन 2019 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के दो गांव में हुआ था। सफल प्रदर्शन के बाद कई किसानों ने इसका इस्तेमाल करके बुवाई की और बेहतर नतीजे मिलने के बाद आसपास के बाकी किसानों को भी अपनाने के लिए प्रेरित किया। किसानों ने अरहर, सोयाबीन, गहत, मसूर जैसी फसलों की बुवाई के लिए इस यंत्र का इस्तेमाल किया और अधिक पैदावार का फायदा मिला।
पहाड़ी इलाकों में इस यंत्र के इस्तेमाल के फायदों के बारे में किसानों को जागरूक किया गया। कैसे इसके इस्तेमाल से वक्त और मेहनत दोनों की बचत होती है इसके बारें में किसानों को संदेशों के ज़रिये समझाया गया, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा किसान इस यंत्र का लाभ उठा सकें।
पंक्ति बनाने के पारंपरिक तरीके में झुक कर काम करना पड़ता है, जिससे कमर और मांसपेशियों से संबंधित परेशानियां और बीमारियां होने की संभावनी बनी रहती है, जबकि इस यंत्र के इस्तेमाल के लिए झुकना नहीं पड़ता है जिससे मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं नहीं होती और न ही थकान होती है।
निराई-गुड़ाई में सुविधा
पंक्ति में बुवाई करने से निराई-गुड़ाई आसानी से की जा सकती है, साथ ही फसलों में शाखाएं भी ज़्यादा बनती है। इस यंत्र के इस्तेमाल से किसानों के बीज की भी बचत होती है।