Mustard Variety: सरसों की उन्नत किस्म से बढ़ाई पैदावार, जानिए बलवंत सिंह ने क्यों चुनी ये किस्म

सरसों की उन्नत किस्म (Mustard Hybrid Variety): सरसों की खेती अगर उन्नत तरीके से की जाए, तो किसानों को अच्छा मुनाफ़ा देगी, लेकिन इसके लिए सही किस्म का चुनाव ज़रूरी है। गोरखपुर ज़िले के एक किसान की किस्मत उन्नत किस्म के चुनाव के बाद बदल गई।

सरसों की उन्नत किस्म mustard variety giriraj

सरसों की उन्नत किस्म | सरसों की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। सितंबर से इसकी बुवाई शुरू हो जाती है। ये देश की प्रमुख रबी फसलों में से एक है। सरसों का सबसे अधिक उत्पादन राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में होता है। ये प्रमुख तिलहनी फसल है, इसके बीज में तेल की मात्रा 30 से 48 प्रतिशत तक होती है। बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में सरसों का तेल प्रमुख खाद्य तेल है। गोरखपुर के पाली ब्लॉक के उसरी गांव के किसान बलवंत सिंह कई साल से सरसों की खेती कर रहे थे, मगर मुनाफ़ा नहीं हो पा रहा था, लेकिन सरसों की उन्नत किस्म गिरिराज की खेती के बाद उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा और अब वो अपने इलाके के प्रगतिशील किसान बन चुके हैं।

सरसों की उन्नत किस्म mustard variety giriraj
सरसों की उन्नत किस्म गिरिराज (तस्वीर साभार: ICAR)

कम उत्पादन का कारण

गोरखपुर के पाली ब्लॉक के उसरी गांव के किसान बलवंत सिंह कई साल से अपनी 1 से 2 एकड़ ज़मीन पर सरसों की खेती कर रहे हैं, मगर 2017 के पहले उन्हें इससे कुछ खास मुनाफ़ा नहीं होता था। उन्हें प्रति हेक्टेयर 10-14 क्विंटल ही उपज प्राप्त होती थी। फिर वो ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra, KVK) के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए। वैज्ञानिकों ने उनके खेत का मूल्यांकन किया और कम उत्पादन का कारण पता लगाने की कोशिश की। उन्हें पता चला कि सरसों के कम उत्पादन की कई वजहें हैं, जैसे पुराने मिश्रित बीजों का इस्तेमाल, उचित खरपतवार प्रबंधन नहीं करना, देर से बुवाई, खाद का असंतुलित उपयोग, बीज उपचार न करना, अधिक मात्रा में बीजों की बुवाई, कीटनाशकों का अत्यधिक इस्तेमाल।

सरसों की उन्नत किस्म mustard variety giriraj
तस्वीर साभार- -agrifarming

Mustard Variety: सरसों की उन्नत किस्म से बढ़ाई पैदावार, जानिए बलवंत सिंह ने क्यों चुनी ये किस्म

नई किस्मों के उत्पादन की दी सलाह

वैज्ञानिकों ने बलवंत सिंह की स्थिति का मुआयना करने के बाद उनके खेत को फ्रंट लाइन प्रदर्शन के लिए चुना और कम उत्पादन की समस्या को दूर करने के लिए सरसों की उन्नत किस्म (High Yielding Varieties, HYV) गिरिराज को उगाने की सलाह दी, साथ ही कृषि के लिए उचित स्थिति क्या हो सकती है, इसके बारे में जानकारी दी। उन्हें सरसों की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी दी। जिसमें खेती की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक का काम शामिल है।

सरसों की उन्नत किस्म mustard variety giriraj
तस्वीर साभार- -agrifarming

खेती की वैज्ञानिक तकनीक

वैज्ञानिकों ने उन्हें मिट्टी की जांच के लिए प्रोत्साहित किया और उसके आधार पर ही उन्हें रासायनिक खाद की सही मात्रा के बारे में जानकारी दी गई। अक्टूबर 2017 में HYV गिरिराज की बुवाई, लाइन विधि से की गई और खाद का इस्तेमाल बेसल प्रयोग के साथ किया गया, जिसमें नाइट्रोन की आधी मात्रा के साथ SSP और MOP की पूरी मात्रा के इस्तेमाल की सलाह दी गई। नाइट्रोन की आधी बची मात्रा का उपयोग पहली सिंचाई के बाद करने की सलाह दी गई।

सरसों की उन्नत किस्म mustard variety giriraj
तस्वीर साभार: ICAR

बढ़ा उत्पादन

HYV गिरिराज का वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन करने से सरसों के उत्पादन में 53.57 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई। प्रति एकड़ पहले जहां 5.60 क्विंटल फसल का उत्पादन होता था, नई किस्म और उन्नत तकनीक अपनाने के बाद ये 8.60 क्विंटल पर पहुंच गया। प्रति एकड़ मुनाफ़ा लगभग 25,760 रुपये रहा। नई किस्म की सफलता को देखते हुए गोरखपुर ज़िले के 9 गांव के 10 हेक्टेयर के क्षेत्र में इस किस्म को लगाया गया और इसके उत्साहजनक नतीज़ों ने अन्य किसानों को भी सरसों की इस उन्नत किस्म की खेती के लिए प्रेरित किया गया।

बलवंत सिंह सरसों की नई किस्म उगाकर बहुत खुश है, क्योंकि उन्हें स्थायी आजीविका तो मिली ही। साथ ही उनका मुनाफ़ा भी बढ़ा और अब वह इस किस्म को लोकप्रिय बना रहे हैं।

सरसों की उन्नत किस्म mustard variety giriraj
तस्वीर साभार: ICAR

Mustard Variety: सरसों की उन्नत किस्म से बढ़ाई पैदावार, जानिए बलवंत सिंह ने क्यों चुनी ये किस्म

सरसों की गिरिराज किस्म की ख़ासियत

सरसों की गिरिराज किस्म से करीब 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती हैं। सरसों की नई किस्म शुद्ध होने से फसल में फली ज़्यादा आती है और इसके दाने भी भारी होते हैं। फसल में रोग नहीं  लगते और तेल ज़्यादा निकलता है। सामान्य प्रजाति की एक क्विंटल फसल में 30 किलो तेल निकलता है, जबकि गिरिराज प्रजाति की फसल से करीब 45 किलोग्राम तेल मिल जाता है।

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