Mustard Seed: बेहतर अंकुरण के लिए सरसों के बीज के साथ शुरुआती प्रबंधन कैसे करें?

सरसों के बीज (Mustard Seed) के बेहतर अंकुरण के लिए सही मिट्टी चयन, खेत की तैयारी और बुआई विधि अपनाएं और फसल में शानदार बढ़ोतरी पाएं।

Mustard Seed सरसों के बीज

सरसों की खेती भारत में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है। लेकिन अच्छी उपज पाने के लिए सबसे जरूरी है कि सरसों के बीज (Mustard Seed) का बेहतर अंकुरण हो। यदि शुरुआती प्रबंधन सही ढंग से किया जाए, तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में बढ़ोतरी होती है। आइए जानते हैं कि कैसे हम सरसों के बीज (Mustard Seed) के साथ बेहतर अंकुरण के लिए सही शुरुआत कर सकते हैं।

मिट्टी का चयन (Soil selection) 

सरसों के बीज (Mustard Seed) का सही तरीके से अंकुरण तभी संभव है जब मिट्टी उपयुक्त हो। सरसों के लिए दोमट और हल्की मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। यदि मिट्टी क्षारीय या लवणीय होगी, तो फसल का उत्पादन कम हो सकता है। इसलिए मिट्टी का चयन करते समय इस बात का विशेष ध्यान देना जरूरी है कि वह नरम और उपजाऊ हो।

खेत की तैयारी (Preparation of field)

बेहतर अंकुरण के लिए खेत की अच्छी तैयारी बेहद जरूरी है। सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करें। इसके बाद कल्टीवेटर से दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाएं और पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें। यदि आप सिंचित क्षेत्र में खेती कर रहे हैं, तो बुवाई से 3-4 सप्ताह पहले प्रति हेक्टेयर 8-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में अच्छी तरह मिला दें और सिंचाई कर दें। वहीं, बारानी क्षेत्र में 4-5 टन गोबर की खाद वर्षा से पहले खेत में मिला देना चाहिए। इससे सरसों के बीज (Mustard Seed) को अंकुरण के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है और पौधे मजबूत बनते हैं।

बीज की मात्रा (Seed quantity)

सरसों के बीज (Mustard Seed) की मात्रा भी अंकुरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। असिंचित क्षेत्रों में प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। वहीं, सिंचित क्षेत्रों में 2.5 से 3 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर काफी है। सही मात्रा में बीज डालने से पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह और पोषक तत्व मिलते हैं।

बीज उपचार (Seed Treatment)

अच्छे अंकुरण और रोगों से सुरक्षा के लिए सरसों के बीज (Mustard Seed) का उपचार बहुत जरूरी है। बुवाई से पहले बीजों को थायरस या केप्टान नामक दवा से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। इससे फसल की प्रारंभिक अवस्था में लगने वाले रोगों से बचाव होता है और पौधों की बढ़वार भी बेहतर होती है। यदि बीज उपचार सही ढंग से किया जाए, तो अंकुरण की दर भी काफी बढ़ जाती है।

बुआई का सही समय (right time for sowing)

सरसों के बीज (Mustard Seed) का अंकुरण मौसम पर भी निर्भर करता है। बुवाई के लिए 10 से 20 अक्टूबर का समय सबसे उपयुक्त माना गया है। इस अवधि में तापमान और मिट्टी की नमी दोनों अंकुरण के लिए अनुकूल होते हैं। यदि इससे अधिक देर कर दी जाए या तापमान बहुत अधिक हो जाए, तो पौधों के मरने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है।

बुआई विधि (Sowing Method)

सरसों के बीज (Mustard Seed) को कतारों में बोना चाहिए। एक कतार से दूसरी कतार की दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर रखें। पौधे से पौधे के बीच 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
यदि खेत में पर्याप्त नमी नहीं है, तो बुवाई से पहले हल्की सिंचाई जरूर करें। खासकर शुष्क क्षेत्रों में पलेवा (हल्की सिंचाई) करना बहुत जरूरी है ताकि बीज को अंकुरित होने के लिए जरूरी नमी मिल सके।

सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management)

सरसों के बीज (Mustard Seed) के अच्छे अंकुरण के बाद सही सिंचाई प्रबंधन भी जरूरी है। पहली सिंचाई बुआई के 25-30 दिन बाद करनी चाहिए, जब पौधे बढ़ने लगते हैं। इसके बाद 15-20 दिन के अंतराल पर दूसरी और तीसरी सिंचाई करें।

फूल और फली बनने के समय की सिंचाई बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस समय नमी की कमी होने पर उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है। ध्यान रहे कि सरसों की फसल में चार से ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती, वरना जलभराव से फसल को नुकसान हो सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion) 

सरसों के बीज (Mustard Seed) के साथ शुरुआती प्रबंधन अगर सही तरीके से किया जाए, तो अंकुरण अच्छा होता है और फसल से बेहतर उत्पादन मिलता है। मिट्टी का चुनाव, खेत की तैयारी, बीज उपचार, बुवाई का समय और सिंचाई प्रबंधन – इन सभी बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है। सही प्रबंधन से न सिर्फ पौधे मजबूत बनते हैं, बल्कि किसान को मेहनत का पूरा फल भी मिलता है। इसलिए यदि आप भी सरसों की अच्छी फसल चाहते हैं, तो शुरुआती प्रबंधन में कोई कोताही न करें।

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