Top 5 Types of Mushrooms: मशरूम की इन 5 किस्मों की भारत में होती है सबसे ज़्यादा खेती, कम लागत और ज़्यादा मुनाफ़ा
छोटे और सीमांत किसानों की आय में बढ़ोतरी करने में कारगर मशरूम की खेती
सरकार मशरूम की खेती पर बड़े स्तर पर बढ़ावा दे रही है। जानिए मशरूम की 5 उन्नत किस्मों (Top 5 Types of Mushrooms) के बारे में, जिनकी खेती किसानों के लिए मुनाफ़े का सौदा बनी है।
पिछले कुछ सालों में किसानों का रुझान पारंपरिक खेती के अलावा, मशरूम की खेती की तरफ़ बढ़ा है। मशरूम एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती कम लागत में और कम जगह में की जा सकती है। पहले मशरूम की फसल को लेकर किसानों में जानकारी का अभाव था, लेकिन अब स्थितियां बदली हैं।
देश के कई राज्यों के किसान मशरूम की खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कम जगह, कम समय और कम लागत में तैयार होने वाला मशरूम, उच्च मूल्य वाली कृषि फसल (High Value Agricultural Crops) है यानी ये महंगी बिकती है और मुनाफ़ा अच्छा होता है। ये छोटे और सीमांत किसानों की आय में बढ़ोतरी करने में कारगर साबित हो सकता है। मशरूम की अलग-अलग किस्मों की खेती कर किसान अच्छी आमदनी कर रहे हैं। आज मशरूम की ऐसी ही 5 उन्नत किस्मों (Top 5 Type of Mushrooms) के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनकी खेती किसानों के लिए मुनाफ़े का सौदा बनी है। भारत में मुख्य तौर पर मशरूम की इन 5 किस्मों की खेती ही व्यावसायिक स्तर पर की जाती है।
ढिंगरी मशरूम/ऑएस्टर मशरूम (Oyster Mushroom)
तापमान और जलवायु: ढिंगरी मशरूम की खेती पूरे साल में 5 से 6 बार की जा सकती है। ये मशरूम ढाई से तीन महीने में तैयार हो जाता है। 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 80 से 90 प्रतिशत की नमी ढिंगरी मशरूम की खेती के लिए सबसे सही मानी जाती है। आसानी से उपलब्ध होने वाले भूसे में ढिंगरी मशरूम की खेती की जा सकती है। इसकी फसल ढाई से तीन महीने में तैयार हो जाती है।
लागत और मुनाफ़ा: 10 क्विंटल भूसे में ढिंगरी मशरूम की उत्पादन लागत करीब 25 हज़ार रुपये पड़ती है। इससे करीबन 48 हज़ार रुपये की मशरूम हो सकती है। फसल के एक चक्र से लगभग 23 हज़ार रुपये का मुनाफ़ा कमा सकते हैं। ऑयस्टर मशरूम 120 रुपए प्रति किलोग्राम से लेकर एक हज़ार रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बिक जाता है। ऑयस्टर मशरूम का दाम उपज की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।
बटन मशरूम (Button Mushroom)
तापमान और जलवायु: बटन मशरूम की खेती के लिए ठंडी जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है। इस किस्म की अच्छी उपज के लिए 22 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान और 80 से 85 प्रतिशत नमी की ज़रूरत होती है। अक्टूबर से मार्च का मौसम, मशरूम की खेती के लिए सबसे अनुकूल होता है। इन 6 महीनों में बटन मशरूम की दो उपज ली जा सकती हैं । इसका एक फसल चक्र 6 से 8हफ़्तों का होता है।
लागत और मुनाफ़ा: 4 से 5 क्विंटल कम्पोस्ट बनाने में करीब 50 हज़ार की लागत आती है। प्रति क्विंटल डेढ़ किलोग्राम बीज लगते हैं। 4 से 5 क्विंटल में 2 हजार किलो बटन मशरूम का उत्पादन हो जाता है। बटन मशरूम का दाम बाज़ार में 140 से 180 रुपये प्रति किलो तक रहता है। इस तरह से करीबन 2 लाख तक का मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।
दूधिया मशरूम (Milky Mushroom)
तापमान और जलवायु: दूधिया मशरूम की खेती के लिये अधिक तापमान सही माना जाता है। पहाड़ी इलाकों को छोड़कर, लगभग सारे मैदानी इलाकों में दूधिया मशरूम की एक फसल ली जा सकती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान और 80 से 90 प्रतिशत की नमी उपयुक्त होती है। 40 डिग्री तक तापमान होने पर भी इसकी उपज होती है। मार्च से अक्टूबर तक का समय दूधिया मशरुम की खेती के लिए सबसे अच्छा रहता है।
लागत और मुनाफ़ा: एक किलोग्राम सूखे भूसे से एक किलो दूधिया मशरूम का उत्पादन हो जाता है। इसकी उत्पादन लागत 20 से 25 रूपये प्रति किलोग्राम पड़ती है। दूधिया मशरुम की कीमत बाजार में 100 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक रहती है।
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पैडीस्ट्रा मशरूम (Paddy Straw Mushroom)
तापमान और जलवायु: पैडीस्ट्रा मशरूम ज़्यादा तापमान में तेज़ी से बढ़ने वाला मशरूम है। इसलिए इस किस्म की खेती के लिए उच्च तापमान बेहतर होता है। पैडीस्ट्रा मशरूम की खेती के लिए 28 से 35 डिग्री का तापमान और 60 से 70 प्रतिशत की नमी वाला क्षेत्र उपयुक्त होता है। पैडीस्ट्रा मशरूम की फसल 20 से 25 दिन में तैयार हो जाती है। पैडीस्ट्रा मशरूम की खेती मई से सितंबर तक की जाती है।
लागत और मुनाफ़ा: 100 किलाग्राम भूसे से लगभग 12 से 15 किलो पैडीस्ट्रा मशरूम तैयार हो जाता है। पैडीस्ट्रा मशरूम का दाम बाज़ार में करीबन 360 रुपये रुपये प्रति किलो तक रहता है।
शिटाके मशरूम (Shiitake Mushroom)
तापमान और जलवायु: मशरूम की ये किस्म दुनियाभर में उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर आती है। साल भर में 3 बार इसकी फसल ली जा सकती है। इसकी फसल एक से दो महीने में तैयार हो जाती है। इसकी बीजाई के दौरान शुरुआत में 22 से 27 डिग्री तापमान की ज़रूरत होती है। फिर फसल के अंकुरित होने के दौरान 15 से 20 डिग्री तापमान रहना ज़रूरी होता है।
लागत और मुनाफ़ा: 10x10x10ft आकार के कमरे से एक फसल चक्र में 160-200 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन लिया जा सकता है। प्रति किलोग्राम पर इसकी 10 से 15 रुपये लागत लगती है। बाजार में ताज़े शिटाके मशरूम काफी मंहगी दरों पर बिकते हैं। शिटाके मशरूम की कीमत 2 हज़ार से लेकर 5 हज़ार रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है।
मशरूम के पापड़, प्रोटीन का सप्लीमेंट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, कूकीज, नूडल्स, जैम (अंजीर मशरूम), सॉस, सूप, चिप्स, सेव और भी कई उत्पाद बनाए जाते हैं। मशरूम के पापड़ 300 रुपये प्रति किलो, मशरूम का पाउडर 500 से हज़ार रुपये प्रति किलो, 200 ग्राम के मशरूम अचार की कीमत करीब 300 रुपये, 700 ml की मशरूम सॉस की बोतल 300 से 400 रुपये, मशरूम के चिप्स 1099 प्रति किलो के हिसाब से बाज़ार में बिक जाते हैं।
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यहां से ले सकते हैं ट्रेनिंग
सरकार भी मशरूम के उत्पादन को कई योजनाओं के ज़रिए बढ़ावा दे रही है। मशरूम की खेती के लिए किसान अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण ले सकते हैं। यही नहीं, ICAR-मशरूम अनुसंधान निदेशालय द्वारा मशरूम की खेती पर ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिसकी पूरी जानकारी आप इस लिंक dmrsolan.icar.gov.in पर जाकर देख सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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