लोगों में बिना केमिकल वॉश वाले लोकल मशरूम की ज़्यादा डिमांड है। इसके फ़ायदों को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग मशरूम की खरीदारी भी कर रहे हैं और इसके प्रोसेस किए गए प्रॉडक्ट्स को भी बाज़ार में अच्छा दाम मिल रहा है।
आज बड़ी संख्या में किसान मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। पारंपरिक खेती के मुकाबले कई गुना ज़्यादा कमाई होने के कारण मशरूम की खेती किसानों को पसंद आ रही है। बाज़ार में बढ़ती मांग इसकी सबसे बड़ी वजह है। सरकार की कई योजनाओं के ज़रिए भी मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और किसानों को इसका फ़ायदा भी मिल रहा है। बिहार के पटना जिले के कर्णपुरा गाँव के रहने वाले प्रकाश चन्द्र सिंह भी एक ऐसे ही किसान हैं, जो आज मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
प्रकाश चन्द्र सिंह 2019 से मशरूम की खेती कर रहे हैं। गाँव के एक किसान साथी से ही उन्हें मशरूम की खेती करने की प्रेरणा मिली, जो छोटे स्तर पर मशरूम की खेती करते थे। जब उन्होंने मशरूम की खेती करने का फैसला किया तो बैंक ने भी उनकी पूरी मदद की।
बैंक से मिला पूरा सहयोग
किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में प्रकाश चन्द्र सिंह बताते हैं कि किसान क्रेडिट स्कीम के तहत उन्होंने पहले जो लोन लिया था, उसका उन्होंने समय रहते भुगतान किया था। इस कारण बैंक मैनेजर ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि आगे भी कोई काम करना हो तो वो उन्हें पूरा सहयोग करेंगे। बैंक का भरोसेमंद कस्टमर होने के नाते बैंक ने उनकी पूरी मदद की और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के तहत उन्हें लोन मुहैया कराया। प्रकाश चन्द्र सिंह बताते हैं कि प्रोजेक्ट को उद्योग विभाग से पास कराने के बाद बैंक ने उनके लोन को मंजूरी दे दी।
मशरूम की खेती में इन बातों का रखें खास ध्यान
मशरूम की खेती से किसानों को फ़ायदा तो है ही, इसमें कई सावधानियां बरतने की भी उतनी ही ज़रूरत है। कंपोस्ट तैयार करने से लेकर तापमान सेट करने तक, कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है। कंपोस्ट पूरी तरह से अमोनिया रहित होना चाहिए क्योंकि अगर कंपोस्ट में अमोनिया गैस रह गई या बीज पुराना मिल गया या बीज गरम हो गया, उसमें किसानों को भारी नुकसान से दो-चार होना पड़ सकता है।
तैयार करें अमोनिया-फ़्री कंपोस्ट
अमोनिया रहित कंपोस्ट तैयार होगा तो उपज की गुणवत्ता अच्छी होगी। फसल रोग रहित रहेगी। जहां अमोनिया फसल में रह गया, वहां रोग फसल में शुरुआत से ही लगना शुरू हो जाएगा। मशरूम की फसल में लगने वाला मुख्य रोग ग्रीन मोल्ड (हरा फफूंद) है, जिसका सुधार नहीं हो पाता। इन सब बातों का ध्यान रखा जाए तो मशरूम की खेती किसानों के लिए फ़ायदे का सौदा है।
इन महीनों में ज़्यादा मुनाफ़ा देती है मशरूम की खेती
प्रकाश चन्द्र सिंह आगे बताते हैं कि मौसम और महीने के हिसाब से बाज़ार में मशरूम का दाम ऊपर-नीचे होते रहता है। खासकर दिसंबर से जनवरी तक दाम नीचे ही रहते हैं क्योंकि बिना एसी के सीज़नल खेती इन महीनों में संभव होती है। इन महीनों में कई किसान मशरूम की खेती करते हैं। इस वजह से बाज़ार में मशरूम ज़्यादा उपलब्ध होता है और दाम गिर जाते हैं।
वहीं मार्च-अप्रैल से इसका दाम सही मिलने लगता है। जो किसान इसे नियमित तौर पर उगाते हैं उन्हें इन महीनों के दौरान एसी का खर्च भी आता है। प्रकाश चन्द्र सिंह एक बार में 3200 बैग तैयार करते हैं। इसमें करीबन साढ़े तीन टन मशरूम का उत्पादन हो जाता है।
इतने दिनों में तैयार होती है मशरूम की फसल
कंपोस्ट से लेकर बीज मिलाने तक, मशरूम की फसल कई चरणों में तैयार होती है। प्रकाश चन्द्र सिंह लंबी विधि प्रणाली (Long Method System) से मशरूम की फसल तैयार करते हैं। लंबी विधि से प्लेटफ़ॉर्म पर मशरूम का कंपोस्ट तैयार करने में 28 से 30 दिन का समय लगता है। इसके बाद बीजाई कर थैलियों में पैक करने के करीबन 20 दिन बाद मशरूम निकलना शुरू होता है।
ट्रेनिंग लेने के बाद ही शुरू करें मशरूम की खेती
जो प्रगतिशील किसान मशरूम की खेती करना चाहते हैं उन्हें सलाह देते हुए प्रकाश चन्द्र सिंह कहते हैं कि अच्छी तरह से ट्रेनिंग लेने के बाद ही मशरूम की खेती शुरू करें। इससे नुकसान की संभावनाएं न के बराबर रहेंगी। ट्रेनिंग से मतलब है सिर्फ़ थ्योरी नहीं, प्रैक्टिकल होकर इसके बारे सीखें।
बता दें कि समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्रों और अलग-अलग कृषि विश्वविद्यालयों में मशरूम की खेती को लेकर ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। जहां पर किसान जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं और अपनी कमाई बढ़ाने में उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
उत्पादन से ज़्यादा है मांग
बात मशरूम सप्लायरों की करें तो उनके हिसाब से जितनी मांग है, उतना उत्पादन फिलहाल पटना जिले में नहीं हो रहा है। किसान ऑफ़ इंडिया ने पटना जिले के मशरूम सप्लायर अशोक कुमार ओझा से बात की। उन्होंने बताया कि पटना मशरूम का हब है, लेकिन मांग ज़्यादा होने की वजह से दिल्ली, हरियाणा और कई अन्य राज्यों से मशरूम मंगवाना पड़ता है।
अभी मशरूम की खेती का सीज़न है तो इसमें उत्पादन अच्छा रहता है। अशोक कुमार ओझा बताते हैं कि उत्पादन अच्छा होने पर पटना जिले से मशरूम सिलीगुड़ी, रांची, जमशेदपुर भी जाता है।
लोगों में बिना केमिकल वॉश वाले लोकल मशरूम की ज़्यादा डिमांड है। इसके फ़ायदों को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग मशरूम की खरीदारी भी कर रहे हैं और इसके प्रोसेस किए गए प्रॉडक्ट्स को भी बाज़ार में अच्छा दाम मिल रहा है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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