बीज अंकुरण परीक्षण (Seed Germination Test): खेती की कमाई बढ़ाने के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें टेस्टिंग

किसानों को बीज अंकुरण परीक्षण के बारे में बारीक़ बातों को ज़रूर समझना चाहिए क्योंकि यदि किसानों को सही वक़्त पर बीजों की गुणवत्ता का भरोसा नहीं मिला तो खेती में लगने वाला सारा धन-श्रम आख़िरकार घाटे का सौदा बन जाता है। बीजों की अंकुरण क्षमता की सही जानकारी होने से बुआई के समय बीजों की सही दर को तय करना आसान होता है।

बीज अंकुरण परीक्षण Seed Germination Test

बीज अंकुरण परीक्षण (Seed Germination Test): बढ़िया पैदावार और उन्नत बीजों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले बीजों का भी उम्दा होना बेहद ज़रूरी है। ये पता लगाने के लिए कि इस्तेमाल होने वाला बीज वाकई में उम्दा भी है या नहीं, उसका अंकुरण परीक्षण किया जाता है।

बीज अंकुरण परीक्षण के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद की ओर से अनेक मापदंड तय किये गये हैं, जिसके अनुसार, चयनित बीजों की प्रयोगशाला या खेत में जाँच की जाती है।

बीजों की अंकुरण क्षमता का महत्व

जबलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के अनुसार, किसानों को बीज अंकुरण परीक्षण के बारे में बारीक़ बातों को ज़रूर समझना चाहिए क्योंकि यदि किसानों को सही वक़्त पर बीजों की गुणवत्ता का भरोसा नहीं मिला तो खेती में लगने वाला सारा धन-श्रम आख़िरकार घाटे का सौदा बन जाता है। दरअसल, बीजों की अंकुरण क्षमता की सही जानकारी होने से बुआई के समय बीजों की सही दर को तय करना आसान होता है।

यही नहीं, पिछली फसल की कटाई के बाद यदि उसका कुछ हिस्सा अगली फसल के बीज के लिए सहेजा जाने वाला हो तो भी बीजों के अंकुरण परीक्षण की अहमियत और बढ़ जाती है। यहाँ तक कि बाज़ार से उम्दा किस्म का बीज खरीदने के बाद भी यदि किसान उसका अंकुरण परीक्षण कर लें तो इससे भी उन्हें खेती की कमाई बढ़ाने में मदद मिलेगी।

बीज अंकुरण परीक्षण seed germination test

अंकुरण क्षमता की जाँच से पहले सावधानियाँ

सबसे पहले फसल की कटाई के बाद यदि उपज की बीजों के रूप में सहेजना हो तो उसे ख़ूब अच्छी तरह से साफ़ करने के बाद ही भंडारण करना चाहिए। सफ़ाई के दौरान क्षतिग्रस्त, रोगग्रस्त और अन्य फसलों के बीज की छँटाई ज़रूर की जानी चाहिए। सहेजे जाने वाले बीजों में नमी की मात्रा 10-12 प्रतिशत वाली सुरक्षित सीमा से ज़्यादा हर्ग़िज़ नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसका बीजों की जीवनदायी क्षमता पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

ज़्यादा नमी वाले बीजों में कीटाणु के पनपने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। अंकुरण परीक्षण के लिए जो थोड़े से बीज चुने जाते हैं उन्हें भंडारित या ख़रीदे गये बीजों की कुल मात्रा में से निकालने से पहले बीजों के सारे स्टॉक को अच्छी तरह मिला लेना चाहिए। ऐसा करने से अंकुरण परीक्षण वाले बीजों का नमूना बिल्कुल सटीक साबित होगा।

बीज अंकुरण के जाँच की विधियाँ

  1. टेबल पेपर विधि: इस विधि में प्रयोगशाला में अंकुरण परीक्षण के लिए ख़ास किस्म के काग़ज़ का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी पानी सोखने की क्षमता काफ़ी ज़्यादा होती है। इससे बीजों में कई दिनों तक नमी सुरक्षित रहती है और उन पर कोई विषैला प्रभाव नहीं पड़ता। इस विधि में टेबल पेपर को साफ़ पानी में भीगाकर उसे टेबल पर बिछाकर पेपर की एक सतह पर 50 या 100 बीज (आकार के अनुसार) जमा देते हैं। इसके पश्चात दूसरे हिस्से से ढककर नीचे से मोड़कर लपेट देते हैं, ताकि बीज नीचे नहीं गिरें। इसके बाद इसे 20-25° सेल्सियस तापमान पर अंकुरण मापक यंत्र में रख देते हैं। अंकुरण के लिए रखे गये इन बीजों को 10-12 दिनों के बाद सावधानीपूर्वक निकालते हैं।
  2. पेट्री प्लेट विधि: इस विधि में छोटे बीजों को पेट्री प्लेट या बन्द डिब्बे में गीले सोखता काग़ज़ पर रख देते हैं। इसे 2-4 दिनों के अन्तराल पर गीला करते रहते हैं। फिर पेट्री प्लेट को बीज अंकुरण यंत्र में रख देते हैं और 8-10 दिनों बाद अंकुरित बीजों का प्रतिशत का हिसाब लगाते हैं।
  3. टाट विधि: इस विधि में बोरे के टुकड़े को गीला करके समतल सतह पर बिछाकर पेपर टेबल विधि की तरह बीजों को जमाकर, मोड़कर और लपेटकर किसी दीवार से टिकाकर खड़ा करते हैं। इसके लिए नमीयुक्त और छायादार स्थान को चुना जाता है। ऐसा करने के 8-10 दिनों बाद बोरी खोलकर टेबल पेपर विधि की तरह अंकुरित बीजों का आँकलन करते हैं।
  4. रेत विधि: इस विधि में किसी ट्रे में साफ़ धुली और महीन रेत भरकर उसमें नमूना बीजों को अंकुरण के लिए रखा जाता है और समय-समय पर रेत को पानी से गीला करते रहते हैं। इसके बाद अंकुरित हुए बीजों का अनुपात पता लगाते हैं।

बीज अंकुरण परीक्षण (Seed Germination Test): खेती की कमाई बढ़ाने के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें टेस्टिंग

बीज अंकुरण परीक्षण (Seed Germination Test): खेती की कमाई बढ़ाने के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें टेस्टिंगअंकुरित बीजों की समीक्षा की श्रेणियाँ

अंकुरित बीजों के अनुपात की समीक्षा करने के लिए उन्हें पाँच श्रेणियों में बाँटा जाता है:

  • अंकुरित पौधा: वह पौधा जिनमें तना और जड़ वाला हिस्सा पूरी तरह स्वस्थ और विकसित होता है। ऐसे बीजों का अंकुरण अनुपात जितना ज़्यादा होगा, किसान को वास्तविक बुआई में उतना ही ज़्यादा फ़ायदा होगा और इसी के आधार पर बीजों की दर को तय करना सही होगा। यदि स्वस्थ अंकुरण वाले बीजों का अनुपात ज़्यादा है तो बुआई में कम बीजों की ज़रूरत पड़ेगी, लेकिन यदि ये अनुमान कम है तो किसानों को इसकी भरपाई के लिए ज़्यादा बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • असामान्य पौधा: वह पौध जिनमें तना या जड़ अथवा कोई एक हिस्सा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाया हो या अर्धविकसित हो। ऐसे पौधे उगने के थोड़े दिनों के बाद मर जाते हैं।
  • मृत या सड़ा बीज: जिन बीजों में फफूँद लगी हो या सड़-गल गये हों और उन्हें दबाने पर गन्दा पानी रिसता हो, ऐसे बीज इस श्रेणी में आते हैं।
  • स्वस्थ और अंकुरित बीज: ऐसे बीज जो अंकुरण परीक्षण के दौरान तो किसी वजह से अंकुरित नहीं होते लेकिन जिनमें मिट्टी और अनुकूल वातावरण में अंकुरित होने की सम्भावना होती है।
  • कठोर बीज: ऐसे बीज अंकुरण परीक्षण के दौरान भी अपने सख़्त आवरण में ही बन रहते हैं और पानी नहीं सोखते।

बीज अंकुरण परीक्षण seed germination test

ये भी पढ़ें- Intercropping Farming: अरहर के साथ हल्दी की खेती करके पाएँ दोहरी कमाई

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top