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साहिबगंज जिले के कई किसान आज परंपरागत खेती से आगे बढ़कर बागवानी को अपनाकर अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख है अमरूद की खेती, जिसने न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाई है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत आधार दिया है। ख़ास बात यह है कि यहां के किसान अब अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म की ओर तेज़ी से रुख कर रहे हैं, जिसकी बाज़ार में ज़बरदस्त मांग है।
कस्बा गांव में पिंक ताइवान अमरूद से किसानों की बढ़ी आमदनी
साहिबगंज जिले के राजमहल प्रखंड के कस्बा गांव में अमरूद की खेती किसानों के जीवन में मिठास घोल रही है। यहां के प्रगतिशील किसान गोपाल चंद्र साह ने दो बीघा ज़मीन पर अमरूद की खेती शुरू की। उन्होंने पारंपरिक क़िस्म की बजाय अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म को चुना, जिससे उत्पादन और आय दोनों में बढ़ोतरी हुई।
गोपाल चंद्र साह बताते हैं कि इस क़िस्म के अमरूद का स्वाद बेहद मीठा और गूदा गुलाबी रंग का होता है, जिसकी वजह से बाज़ार में इसकी क़ीमत भी अच्छी मिलती है। आस-पास के इलाकों में ग्राहक भी इस अमरूद को खूब पसंद कर रहे हैं।
बढ़ती मांग से स्थानीय बाज़ारों में मुनाफ़ा
अमरूद की खेती से न सिर्फ़ किसान बल्कि स्थानीय दुकानदार भी फ़ायदा उठा रहे हैं। कस्बा और आसपास के हाट-बाज़ारों में अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म की खूब बिक्री हो रही है। बढ़ती मांग के कारण कई दुकानदार इसे बेचकर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। इसका सीधा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है।
कृषि विभाग की ओर से किसानों को मिल रहा सहयोग
राजमहल प्रखंड के कृषि कार्यालय स्थित एग्री क्लीनिक द्वारा समय-समय पर किसानों को पौधों की देखभाल और फ़सल प्रबंधन के लिए उचित परामर्श दिया जा रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी प्रमोद एक्का के अनुसार विभाग किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें नई तकनीकों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ताकि अमरूद की खेती को व्यावसायिक रूप से और आगे बढ़ाया जा सके।
क्यों ख़ास है अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म?
अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म को “थाई पिंक अमरूद” भी कहा जाता है। यह क़िस्म अपने मीठे स्वाद और सुगंधित गुलाबी गूदे के लिए प्रसिद्ध है। ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल जलवायु में यह तेज़ी से बढ़ती है और भरपूर धूप में उत्कृष्ट उत्पादन देती है। इस क़िस्म के पौधे रोपण के मात्र 6 महीने बाद ही फल देने लगते हैं, जबकि पारंपरिक क़िस्मों में दो से तीन साल लगते हैं। एक फल का वजन 300 से 600 ग्राम तक होता है। इससे जूस, जैम और कई प्रकार की मिठाइयां तैयार की जाती हैं। यही कारण है कि किसान अब इस क़िस्म को व्यावसायिक रूप से उगाने में रुचि दिखा रहे हैं।
ताइवान पिंक अमरूद की विशेषताएं जो बनाती हैं इसे ख़ास
- इस अमरूद का गूदा गुलाबी और बीज मुलायम होते हैं, जो खाने में क्रिस्पी और मीठा लगता है।
- इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, सी और मिनरल्स पाए जाते हैं।
- पौधे की ऊँचाई 6 से 7 फीट तक होती है, जिससे फल तोड़ना आसान होता है।
- यह क़िस्म तीन-तीन महीने के अंतराल पर साल में कई बार फल देती है।
- इस पौधे में कीटों का प्रकोप भी बहुत कम होता है।
- यह अलग-अलग तरह की मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है और इसे अधिक पानी की भी आवश्यकता नहीं होती।
गोपाल चंद्र साह जैसे किसान बन रहे प्रेरणा स्रोत
गोपाल चंद्र साह जैसे प्रगतिशील किसान अब पूरे इलाके में एक मिसाल बन गए हैं। उनकी सफलता ने कई अन्य किसानों को भी अमरूद की खेती की ओर आकर्षित किया है। इससे न केवल आय में वृद्धि हो रही है बल्कि ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को भी रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं। कृषि पदाधिकारी का कहना है कि आने वाले समय में अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म के लिए जिले में क्लस्टर आधारित खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे सामूहिक रूप से किसान बेहतर क़ीमत और उत्पादन प्राप्त कर सकें।
आत्मनिर्भरता की दिशा में मज़बूत कदम
इसमें कोई संदेह नहीं कि अमरूद की खेती ने न केवल किसानों के जीवन में मिठास घोली है, बल्कि ग्रामीण आत्मनिर्भरता का मज़बूत रास्ता भी खोला है। अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म ने किसानों को यह विश्वास दिलाया है कि अगर सही तकनीक और बाज़ार की मांग को समझकर खेती की जाए, तो कम ज़मीन में भी अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।
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