सब्जियों की खेती: छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली इन भाजियों के बारे में जानते हैं आप?

छत्तीसगढ़ में 36 तरह की अलग-अलग भाजियां पाई जाती हैं, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छी हैं। इन सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। राज्य में बस्तर के जंगलों, दुर्ग की बाड़ियों, रायपुर के फ़ार्म्स, कवर्धा की घाटियां, अलग-अलग ज़िलों में अनेक किस्म की भाजियां उगाई जाती हैं।

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का साग रांधे हस वो? ऐ दे अमारी भाजी रांधे हों गा… ठंड के मौसम में छत्तीसगढ़ के हर घर में आपको यही सुनने को मिलेगा की आज भाजी बनी है। छत्तीसगढ़ में इन सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। ठंड की दस्तक है और छत्तीसगढ़ की मंडियों में भी भाजियों की बाहार आई हुई है। इस लेख में हम आपको उन सब्जियों के बारे में बताएंगे जिन सब्जियों की खेती बड़े पैमाने में राज्य में होती है।

छत्तीसगढ़ में सब्जी उत्पादन

राज्य में 36 तरह की अलग-अलग भाजियां पाई जाती हैं, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छी हैं। छत्तीसगढ़ के लगभग सभी नागरिकों में भाजियों के लिए अलग प्रेम है। बस्तर के जंगलों, दुर्ग की बाड़ियों, रायपुर के फ़ार्म्स, कवर्धा की घाटियों से, अलग-अलग ज़िलों में अनेक किस्म की भाजियां उगाई जाती हैं।

आम आदमी ही नहीं, विदेशी मेहमानों को भी यहां की भाजियां पसंद आती हैं। G20 शिखर सम्मलेन रायपुर में शामिल होने आये अतिथियों को भी थाल में लाल भाजी परोसी गई जिसका स्वाद हमारे मेहमानों को खूब भाया।

सब्जियों की खेती Chhattisgarh vegetables

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मौसम के हिसाब से सब्जियों की खेती 

रायपुर (ग्रामीण क्षेत्र) निवासी 36 साल की भारती पटेल एक महिला किसान हैं, जो धान की फसल के बाद अपने खेत और बाड़ी में भाजियों की फसल लेती हैं। साथ ही पास के बाज़ार में इन ताज़ी भाजियोंं को बेचती हैं। भारती ने बताया कि उन्होंने किसानी के गुर बचपन में सीखे। उनके पिता भी एक सफल किसान रहे हैं। कौन से मौसम में कौन सी भाजी लाभदायक होती है इसकी जानकारी भारती को है। भारती बताती हैं कि गर्मी के दिनों में चेंच भाजी, अमारी भाजी, बथुआ भाजी खाने से पेट ठंडा रहता है। वहीं ठंड के मौसम में मेथी, पालक, लाल भाजी आपकी सेहत को तंदरुस्त रखने में मदद करते हैं।

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छत्तीसगढ़ में कौन सी सब्जियां उगाई जाती हैं?

वहीं किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोविंद पटेल, जो छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी में असिस्टेंट पब्लिसिटी ऑफ़िसर पद पर कार्यरत हैं, उन्होंने छत्तीसगढ़ की भाजियों पर रिसर्च कर 100 Types Of Leafy Vegetables शीर्षक से एक किताब लिखी है।

इस किताब में राज्य की उन भाजियों का भी ज़िक्र किया गया है, जो अब लगभग शहरी थाली से गायब हो चुकी हैं। गांव में भी केवल कुछ बुजुर्ग ही अब इन भाजियो का बखान करते नज़र आते हैं। ये भाजियां हैं गुमा भाजी, मुस्केनी भाजी, कोआकेनी भाजी, मास्टर भाजी आदि।

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छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के नाम

पालक, चौलाई, मैथी, मूली भाजी, प्याज भाजी, सरसों भाजी, भथुआ, खेड़ा, चरोटा, चुनचुनिया, गोभी भाजी, चना, लाखड़ी, कुसमी, मास्टर, अमारी, पटवा, चना भाजी, कुम्हड़ा भाजी, लाल भाजी, कांदा भाजी, करमत्ता, मूनगा भाजी, तिनपनिया, लाखड़ी, कूलथी, आलू भाजी, कांठ गोभी भाजी, खोटनी भाजी, जरी भाजी, झुरगा भाजी, चनौटी, पहुना, केनी, उरीद भाजी, अमुर्री भाजी।

छत्तीसगढ़ में सब्जियों की खेती

छत्तीसगढ़ की प्रमुख सब्जियां

लाल भाजी (रेड स्पिनच)– चावल के साथ लाल भाजी का स्वाद लज़ीज़ लगता है। गर्मी के दिनों में पेट के लिए काफ़ी लाभदायक है।

कांदा भाजी- बेल के आकार में फलने वाली भाजी को कांदा भाजी के नाम से जाना जाता है। त्वचा संबंधी बीमारी के लिए लाभदायक।

करमत्ता भाजी– बेसन के साथ बनाओ तो स्वाद आता है। मुंह के छाले को ठीक करता है।

मूनगा भाजी– मूनगा की पत्तियां को ही मूनगा भाजी के नाम से जाना जाता है। आंखों की रोशनी के लिए लाभदायक।

तिनपनिया– जंगलों में पाई जाने वाली तिपनिया भाजी खूब पसंद की जाती है। शरीर में किसी भी प्रकार का दाद, खुजली हो रही है तो ये लाभदायक माना जाता है।

कूलथी– किडनी से संबंधित बीमारियों के लिए लाभदायक माना जाता है।

आलू भाजी– आलू में पाए जाने वाली सभी तत्व इसमें भी जाए जाते हैं, जो शरीर के लिए लाभदायक है।

गांठ गोभी भाजी – गोभी की तरह ही गांठ गोभी के पत्तों की भाजी खाई जाती है। इसमें सभी प्राकर के तत्व पाए जाते है। कैल्शियम से लेकर आयरन तक।

खोटनी भाजी– सल्फर से लेकर आयरन सभी कुछ खोटनी भाजी में पाया जाता है।

जरी भाजी– इस भाजी को मूंगना की तरह खाया जाता है। ग्रीन ब्लड के सेल्स सबसे अधिक इसी में पाए जाते हैं।

झुरगा भाजी– झुरगा का अर्थ सामान्यत: रसेदार के रूप में जाना जाता है लेकिन इस भाजी को ही झुरगा भाजी कहा जाता है। सभी तरह के मिनरल पाए जाते हैं।

चनौटी– ख़ास तरह की भाजी में चनौटी भाजी पाई जाती है। इसे बस्तर के लोग सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं। जोड़ के दुखने और दर्द की समस्या के लिए उपयोग की जाती है।

पहुना– पहुना भाजी कुछ ही प्रदेश के इलाकों में पाई जाती है।

केनी- ओडिशा और प्रदेश के सीमा रेखा पर इस भाजी को ज़्यादा उगाया जाता है। ख़ास बात ये है कि केनी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो नसों के खिचाव को दूर करते हैं।

उरीद भाजी– उरद दाल के पौधे की पत्ती को उरीद भाजी के नाम से जाना जाता है। इस भाजी में सभी प्रकार के विटामिन और प्रोटिन पाए जाते हैं।

अमुर्री भाजी– अमुर्री भाजी ऐसी भाजी है, जो बच्चों को खिलाई जाती है ताकि उनके विकास में कारगर हो।

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छत्तीसगढ़ के लगभग 90% किसान सब्जियों की खेती से जुड़े

प्रदेश की कुछ ऐसी भाजियां ऐसी हैं जिनके तने को काट कर अलग स्थान में उगाने से वो उपज जाती हैं। इसमें से मास्टर और चरोटा ऐसी ही भाजियां हैं। इनके उत्पादन में किसान की लागत भी कम लगती है। कुछ भाजियां तो ऐसी हैं जो यहां की ज़मीन में खुद ही उग जाती हैं। मास्टर भाजी का स्वाद लगभग पालक की तरह ही होता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि पालक में आयरन की मात्रा अधिक होती है, वहीं मास्टर भाजी में फाइबर अधिक होता है। इसके अलावा, लाखड़ी भाजी पेट को साफ करने के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होती हैं।

छत्तीसगढ़ के लगभग 90% किसान भाजी यानि सब्जियों की खेती करते हैं, ज़्यादातर खरपतवार समझी जानी वाली इन भाजियों के स्वास्थ्य लाभ रहते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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