Strawberry Farming: नई तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं बशीर डांगे

लाल रंग की रसीली स्ट्रॉबेरी खाने में तो स्वादिष्ट होते ही है, साथ ही यह किसानों की कमाई का भी अच्छा ज़रिया है। नई तकनीक से कम जगह में ही अधिक उत्पादन प्राप्त करके किसान लाभ कमा सकते हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती करके महाबलेश्वर के किसान बशीर डांगे कर रहे हैं।

Strawberry Farming स्ट्रॉबेरी की खेती

स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) में अब कई नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है।  स्ट्रॉबेरी का खट्टा-मीठा स्वाद न सिर्फ़ बच्चों को, बल्कि बड़ों को भी खूब पसंद आता है। स्ट्रॉबेरी की खेती आमतौर पर ठंडे इलाकों में की जाती है। हमारे देश में नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाबलेश्वर, नीलगिरी, दार्जिलिंग जैसी कई जगहों पर स्ट्रॉबेरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है।

महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी तो अपने मीठे स्वाद और ख़ूबसूरत लाल रंग के लिए मशहूर है। महाबलेश्वर से 4 किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले किसान बशीर डांगे 40 सालों से स्ट्रॉबेरी उगा रहे हैं। अब वो एक नई तकनीक की बदौलत बहुत कम जगह में ही स्ट्रॉबेरी का अधिक उत्पादन कर रहे हैं। बशीर ने अपनी नई तकनीक के बारे में विस्तार से चर्चा की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता सचिन शर्मा से।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Farming
बशीर डांगे – Bashir Dange (Photo: KOI)

कोकपीट से उगा रहे स्ट्रॉबेरी

महाराष्ट्र का छोटा सा हिल स्टेशन महाबलेश्वर अपने सुहाने मौसम और कुदरती ख़ूबसूरती के साथ ही स्वादिष्ट स्ट्रॉबेरी के लिए भी मशहूर है। स्ट्रॉबेरी उत्पादक किसान सचिन डांगे कहते हैं कि महाबलेश्वर में मुख्य रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती ही की जाती है। दूसरी फ़सलें यहाँ बहुत कम होती हैं। थोड़ा बहुत बस सब्ज़ियों   की ही खेती होती है।

वह बताते हैं कि उन्होंने तीन लेयर का स्ट्रक्चर तैयार किया और उसमें कोकपीट डालकर स्ट्रॉबेरी उगा रहे हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें कम जगह में ही अच्छा उत्पादन मिल जा रहा है। वह खुले खेत में भी स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। बशीर कहते हैं कि वह कई पीढ़ियों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। उनका मानना है कि पहले के मुक़ाबले अब तकनीक बदल चुकी है, और कम मेहनत में  अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।

Strawberry Farming: नई तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं बशीर डांगे

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बशीर डांगे – Bashir Dange (Photo: KOI)

कितने दिनों में होती है फसल

बशीर बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी का पौधा लगाने के एक महीने बाद उसमें फूल आने लगते हैं, और डेढ़ से दो महीने बाद इसमें फल आने लगते हैं। 6 महीने के अंदर इसकी फ़सल पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इनके पौधों को अच्छी देखभाल की ज़रूरत होती है।

पौधों के अच्छे विकास के लिए धूप भी ज़रूरी है। उनका कहना है कि महाबलेश्वर की मिट्टी लाल है और यहां का पानी भी मीठा है। इसके अलावा यहां का मौसम भी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सबसे अच्छा है। इसीलिए महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी ज़्यादा लाल और मीठी होती है। यही वजह है कि इनकी डिमांड अधिक है।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Farming
Strawberry (Photo: KOI)

स्ट्रॉबेरी से बनने वाले पदार्थ

इससे जैम, जेली, चॉकलेट, आइसक्रीम, शरबत आदि बनाए जाते हैं। इसीलिए  स्ट्रॉबेरी की खेती के साथ-साथ इसके मूल्य संवर्धन उत्पादों यानी बाइ प्रोडक्ट्स  भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।

कितनी होती है कमाई

एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती से 5-6 लाख रुपये का मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।

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नई तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती (Photo: KOI)

बच्चे करते हैं काम में मदद

बशीर डांगे बताते हैं कि खेती के काम में उनके बच्चे भी मदद करते हैं। स्कूल से आने के बाद बिलिंग से लेकर माल पहुंचाने तक के काम में बच्चे भी जुटते हैं, जिससे उनका काम आसान हो जाता है।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Farming
Strawberry (Photo: KOI)

खुले खेत में खेती

बशीर कहते हैं कि खुले खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती में कम लागत आती है और फसल अधिक समय तक ले सकते हैं। इसमें उत्पादन भी 8 महीने तक प्राप्त किया जा सकता है और सिंचाई भी  एक ही बार करने की ज़रूरत होती है। इसके विपरीत तीन लेयर वाले स्ट्रक्चर में स्ट्रॉबेरी उत्पादन में लागत भी अधिक आती है और फ़सल भी 6 महीने तक ही प्राप्त की जा सकती  है। इतना ही नहीं, सिंचाई भी दो बार करना पड़ती है।

उनका कहना है कि स्ट्रॉबेरी की खेती किसान लोन लेकर  बड़े पैमाने पर कर सकते हैं। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी की खेती का इंश्योरेंस करवाकर किसान इससे होने वाले नुकसान से भी बच सकते हैं।

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स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Farming
नई तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती (Photo: KOI)
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