छोटे किसानों को मिलेंगे महंगे व बड़े एडवांस्ड कृषि यंत्र, सरकार देगी हर जरूरी सुविधा

छोटे किसानों के खेत तक महंगे व बड़े एडवांस्ड कृषि यंत्र उपलब्ध कराने पर सरकार का जोर, कृषि विकास के लिए प्रति हेक्टेयर मैकेनाइजेशन 10 साल में दोगुना करने का लक्ष्य, ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन की वार्षिक साधारण सभा की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री का संबोधन

कृषि यंत्र modern machines for indian farmers

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि क्षेत्र के विकास की दृष्टि से देश में प्रति हेक्टेयर मैकेनाइजेशन 10 साल में दोगुना करने का लक्ष्य है। सरकार का जोर किसानों के खेत तक महंगे व बड़े एडवांस्ड कृषि यंत्र उपलब्ध कराने पर है।

उन्होंने एसोसिएशन के सदस्यों से छोटे रकबे वाले किसानों को छोटी उपयोगी मशीनें उपलब्ध कराने का आग्रह किया, ताकि इन 86 प्रतिशत किसानों को आसानी हो और वे उन्नत बनें तथा उनकी आय बढ़ सकें।

ये भी देखें : किसानों-बागवानों को लोन चुकाने के लिए मिला 2021 तक का समय

ये भी देखें : आलू बोने के लिए महिन्द्रा ने बनाई प्लांटिंगमास्टर मशीन, जानिए कैसे काम करती है

तोमर ने यह बात ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन की वार्षिक साधारण सभा की बैठक में कही। मुख्य अतिथि तोमर ने टीएमए की एजीएम में चर्चा के प्रमुख विषय फार्म मशीनीकरण के संबंध में कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आव्हान पर वोकल फॉर लोकल के प्रति देश में उत्साह का वातावरण बना है, ऐसे में फार्म मशीनीकरण का क्षेत्र पहले से ही स्थानीय उत्पादन में जुटा हुआ है व लगभग 95% मशीनें हमारे देश में ही बनाई जा रही है।

इसके लिए उन्होंने सभी उद्यमियों को बधाई दी। तोमर ने उम्मीद जताई कि निर्यात बढ़ेगा, दो-तीन साल में स्थिति काफी बेहतर होगी और आत्मनिर्भर भारत, फार्म मैकेनाइजेशन में एक वास्तविकता बन जाएगा।

ये भी देखें : रीपर बाइंडर मशीन, 50 प्रतिशत में पाएं और समय बचाएं

ये भी देखें : बेड प्लांटर मशीन से बढ़ेगी गेहूं की पैदावार, जानिए इसकी कीमत और फायदे

ये भी देखें : कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से करें समय की बचत, कमाएं अधिक मुनाफा, ये हैं खासियतें

उन्होंने बताया कि सबमिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन की योजना सभी राज्यों में लागू की गई है, ताकि वे कृषि मशीनीकरण के उपयोग को बढ़ावा दे सकें और कृषि शक्ति के अनुपात को बढ़ाया जा सके। छोटे व सीमांत किसानों तक कृषि यंत्रीकरण की पहुंच बढ़ाना उद्देश्य है, वहीं अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर को बढ़ावा देना, हाईटेक और उच्च मूल्य वाले कृषि उपकरणों के लिए हब बनाने, हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना व क्षमता निर्माण आदि के प्रयास किए जा रहे हैं।

फार्म मशीनीकरण आरकेवीवाई, एमआईडीएच, एनएमओओपी व एसएमएएम जैसे मिशन/योजनाओं के माध्यम से भी लागू किया जा रहा हैं।

उन्होंने कहा कि किराए के आधार पर किसानों के खेत तक महंगे व बड़े एडवांस्ड कृषि यंत्र उपलब्ध कराने पर भी सरकार इस स्कीम के माध्यम से जोर दे रही है। व्यक्तिगत किसान को परियोजना लागत में 40% तक सब्सिडी का प्रावधान है, वहीं किसानों के समूह को प्रोजेक्ट में 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी की सुविधा है, जिसकी राशि अधिकतम 10 लाख रू. तक होगी। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के किसानों के लिए परियोजना लागत की 95% तक सब्सिडी मिलती है। बहुभाषी मोबाइल ऐप “सीएचसी-फार्म मशीनरी” भी लांच किया गया है, जो किसानों को कस्टम हायरिंग सर्विस सेंटर्स के माध्यम से किराए पर फार्म मशीनरी एवं औजार प्राप्त करने में मदद करता है।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना को सरल बनाते हुए ATM जैसे रूपे डेबिट कार्ड में बदला गया है। 7% की कम ब्याज दर पर कृषि ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दृष्टि से किसानों के लिए 3 लाख रू. तक के अल्पकालिक फसली ऋणों के लिए ब्याज सबवेंशन योजना लागू की गई, जिसमें नियमित अदायगी जैसी कुछ शर्तों के साथ ब्याज दर वास्तव में 4% रह जाती है।

तोमर ने बताया कि पराली जलाने से रोकने हेतु फसल अवशेष प्रबंधन योजना केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 से शुरू की गई थी, जिसमें किसानों को मशीनरी दी जाती है। कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से किसानों को मशीनरी की खरीद के लिए सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। पंजाब, हरियाणा, यूपी व दिल्ली को वर्ष 2018-19 और 2019-20 में 1,178.47 करोड़ रू. सब्सिडी दी गई है। वर्ष 2020-21 में योजना के लिए बजट में 600 करोड़ रू. रखे गए थे, जिसमें से 548.20 करोड़ रू. राज्यों को समय से पहले जारी कर दिए गए, ताकि उपाय सुनिश्चित किए जा सकें।

उन्होंने कहा कि फार्मगेट तक साधन पहुंचाने व विविध जलवायु परिस्थितियों के अनुसार क्षेत्रीय स्तर पर सुविधाएं जुटाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्नत कृषि उपकरणों के उपयोग से उत्पादकता में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि और खेती की लागत को 20 प्रतिशत तक कम करने की क्षमता है। प्रधानमंत्री जी ने खेती को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है, ताकि इसके माध्यम से देश तरक्की की नई राह पर आगे बढ़ सकें। फार्म मशीनीकरण कृषि क्षेत्र का अहम हिस्सा है और इस दिशा में पूरी तरह आत्मनिर्भरता होने के लिए उद्यमियों को हर तरह से जुटना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खेती-किसानी के क्षेत्र को और ताकतवर बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार प्राण-प्रण से जुटी हुई है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 1 लाख करोड़ रू. के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरूआत से गांव-गांव निजी निवेश के माध्यम से तमाम सुविधाएं जुटाने का लक्ष्य है। कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों में करीब पौने दो लाख करोड़ रू. के फंड का प्रावधान सरकार ने मुक्तहस्त से किया है, ताकि हर हाल में ये क्षेत्र समृद्ध हो और किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठ सकें।

10 हजार एफपीओ बनाने की स्कीम भी प्रारंभ की गई है, जिस पर 6,850 करोड़ रू. खर्च होंगे। कृषि से संबंधित ऐतिहासिक रिफार्म्स भी किए गए हैं, जिनकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। हमारे अन्नदाता भाई-बहन अब कानूनी तौर पर पूरी तरह स्वंतत्र है, जिससे उनकी आय बढ़ेगी व तकलीफें कम होगी।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top