Author name: Mukesh Kumar Singh

Mukesh Kumar Singh
Dangerous plants बबूल, गाजरघास और पंचफूली
न्यूज़, फसल न्यूज़

Dangerous Plants: जानिए क्यों बेहद ज़रूरी है बबूल, गाजरघास और पंचफूली जैसी आतंकी फ़सलों का फ़ौरन सफ़ाया

विलायती बबूल, गाजरघास और पंचफूली – जैसे पर्यावरण के दुश्मन बुनियादी तौर पर विदेशी घुसपैठिये हैं। लेकिन आज इनका साम्राज्य देश में करोड़ों हेक्टेयर तक फैल चुका है। ये तेज़ी से हमारी मिट्टी को बंजर बनाकर हज़ारों देसी पेड़-पौधों की प्रजातियों को ख़त्म कर चुके हैं। इसके प्रकोप से खेती की उत्पादकता भी बहुत कम हो जाती है। ऐसे आतंकियों का फ़ौरन सफ़ाया बेहद ज़रूरी है।

वर्मीवॉश उत्पादन जैविक खेती
जैविक/प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, न्यूज़

वर्मीवॉश उत्पादन: जैविक खेती की उपज बढ़ाने और भूमि-सुधार में बेजोड़

जैविक खेती की ओर लौटने के लिए वर्मीवॉश, एक बेहद शानदार, किफ़ायती और घरेलू विकल्प है। पैदावार बढ़ाने वाली जैविक खाद के अलावा वर्मीवॉश, एक प्राकृतिक रोगरोधक और जैविक कीटनाशक की भूमिका भी निभाता है। इसका उत्पादन केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) निर्माण के दौरान ही या फिर अलग से भी किया जाता है। जानिए वर्मीवॉश उत्पादन से लेकर इसके बारे में अन्य जानकारियां।

Organic Farming Schemes जैविक खेती योजनाएं
सरकारी योजनाएं, न्यूज़

Organic Farming Schemes: जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाएं

जैविक खेती बेहद किफ़ायती और पर्यावरण-हितैषी है। इसके उत्पाद ज़्यादा पौष्टिक, स्वादिष्ट और सेहतमन्द भी होते हैं। भारत समेत पूरी दुनिया में जैविक कृषि उत्पादों की भारी मांग है। जैविक कृषि उत्पादों के निर्यात से किसानों की आमदनी काफ़ी बढ़ जाती है।

Bio-Fertilizers जीवाणु या जैविक खाद
टेक्नोलॉजी, जैविक/प्राकृतिक खेती, न्यूज़, फसल प्रबंधन

Bio-Fertilizers: जीवाणु या जैविक खाद बनाने का घरेलू नुस्खा

जैविक खाद के कुटीर उत्पादन की तकनीक बेहद आसान और फ़ायदेमन्द है। इससे हरेक किस्म की जैविक खाद का उत्पादन हो सकता है। इसे अपनाकर किसान ख़ुद भी जैविक खाद के कुटीर और व्यावसायिक उत्पादन से जुड़ सकते हैं।

कड़कनाथ मुर्गी पालन - Kadaknath
पशुपालन और मछली पालन, पशुपालन, मुर्गी पालन

Kadaknath Poultry: कड़कनाथ मुर्गी पालन से बढ़ियां कमाई पाने के लिए अजोला को भी अपनाएं

कड़कनाथ मुर्गी पालन (Kadaknath Chicken Farming): जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, वैसे-वैसे मुर्गियों की बढ़वार धीमी पड़ने लगती है क्योंकि वो आहार कम खाती हैं और पानी ज़्यादा पीती हैं। या यूँ कहें कि तापमान परिवर्तन से जूझने के लिए मुर्गियों को ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है। इसकी भरपाई प्रोटीन, अमीनो अम्ल और खनिज लवणयुक्त ऐसे आहार से ही हो सकती है जो सस्ता भी हो। अजोला इन सभी शर्तों पर कड़कनाथ मुर्गीपालन के आहार के रूप में ख़रा उतरता है।

सरसों की खेती
सब्जी/फल-फूल/औषधि, तकनीकी न्यूज़, न्यूज़, फल-फूल और सब्जी, फसल न्यूज़, सब्जियों की खेती, सरसों

सरसों की खेती (Mustard Farming): उचित पैदावार के लिए सरसों की उन्नत किस्म और रोग नियंत्रण पर ख़ास ध्यान दें

सरसों की खेती की उन्नत तकनीकें अपनायी जाएँ तो किसान अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। कीटों और बीमारियों से रबी की तिलहनी फसलों को सालाना 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुँचाता है। कभी-कभार ये कीट उग्र रूप धारण कर लेते हैं तथा फसलों को अत्याधिक हानि पहुँचाते हैं। इसीलिए सरसों या तिलहनी फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाना बेहद ज़रूरी है।

नेपियर घास की खेती (Napier Grass Farming):
एग्री बिजनेस, न्यूज़, लाईफस्टाइल

दूध उत्पादक ज़्यादा कमाई के लिए ज़रूर करें नेपियर घास की खेती, जानिये कैसे होगा फ़ायदा?

क़रीब आधा बीघा खेत में नेपियर घास की खेती करके 4-5 पशुओं को पूरे साल हरा चारा उपलब्ध कराया जा सकता है। यदि किसान नेपियर घास की खेती अपनी ज़रूरत से ज़्यादा रक़बे में करे तो इससे नगदी फ़सल वाली कमाई भी हो सकती है।

महोगनी की खेती (Mahogany Farming) Mahogany ki kheti kaise karein महोगनी की खेती
अन्य खेती, न्यूज़, विविध

Mahogany Farming: महोगनी की खेती दलहन के किसानों का शानदार ‘कमाऊ पूत’ बन सकता है

अपने अनमोल गुणों की वजह से महोगनी की पत्तियों और बीजों के तेल का इस्तेमाल मच्छर भगाने वाली दवाईयों और कीटनाशकों के अलावा साबुन और पेंट-वार्निस जैसे उत्पादों में भी किया जाता है। ज़ाहिर है, महोगनी की खेती उत्तर भारत के मैदानी इलाके के किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का शानदार ज़रिया बन सकते हैं।

धान की सीधी बुआई तकनीक का आसान मतलब है कम लागत में अधिक उत्पादन
कृषि उपकरण, कृषि उपकरण न्यूज़, कृषि उपज, टेक्नोलॉजी, तकनीकी न्यूज़, धान, न्यूज़, फसल न्यूज़, फसल प्रबंधन, राइस प्लांटर

Seed drill farming of paddy: धान की सीधी बुआई तकनीक का आसान मतलब है कम लागत में अधिक उत्पादन

धान की सीधी बुआई तकनीक से 20 प्रतिशत सिंचाई और श्रम की बचत होती है। यानी, कम लागत में धान की ज़्यादा पैदावार और अधिक कमाई। इस तकनीक से मिट्टी की सेहत में भी सुधार होता है, क्योंकि पिछली फसल का अवशेष वापस खेत में ही पहुँचकर उसमें मौजूद कार्बनिक तत्वों की मात्रा में इज़ाफ़ा करता है। इस तकनीक से धान की फसल भी 10 से 15 दिन पहले ही पककर तैयार हो जाती है। खरीफ मौसम में धान की सीधी बुआई को मॉनसून के दस्तक देने से 10-12 दिन पहले करना बहुत उपयोगी साबित होता है।

बीज अंकुरण परीक्षण Seed Germination Test
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

बीज अंकुरण परीक्षण (Seed Germination Test): खेती की कमाई बढ़ाने के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें टेस्टिंग

किसानों को बीज अंकुरण परीक्षण के बारे में बारीक़ बातों को ज़रूर समझना चाहिए क्योंकि यदि किसानों को सही वक़्त पर बीजों की गुणवत्ता का भरोसा नहीं मिला तो खेती में लगने वाला सारा धन-श्रम आख़िरकार घाटे का सौदा बन जाता है। बीजों की अंकुरण क्षमता की सही जानकारी होने से बुआई के समय बीजों की सही दर को तय करना आसान होता है।

रोशा घास की खेती
अन्य खेती, न्यूज़, फसल न्यूज़, विविध

रोशा घास (Palmarosa farming): बंजर और कम उपयोगी ज़मीन पर रोशा घास की खेती से पाएँ शानदार कमाई

भारत में सुगन्धित तेलों के उत्पादन में रोशा घास तेल का एक महत्वपूर्ण स्थान है। देश में बड़े पैमाने पर इसकी इसकी व्यावसायिक खेती होती है। भारत ही इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। इससे प्रथम वर्ष में प्रति हेक्टेयर डेढ़ लाख रुपये से ज़्यादा का शुद्ध लाभ मिल सकता है। इससे आगामी वर्षों में मुनाफ़ा और बढ़ता है। रोशा घास की खेती करने के लिए सीमैप, लखनऊ और इससे जुड़े केन्द्रों की ओर से किसानों की भरपूर मदद की जाती है। उन्हें बीज के अलावा ज़रूरी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाया जाता है।

sexed semen for male calf and female calf
पशुपालन और मछली पालन, पशुपालन

क्या Sexed Semen तकनीक बदल सकती है Dairy Farming की तस्वीर? जानिए इसके बारे में सब कुछ

Sexed Semen, आनुवांशिक रूप से बेहतर और लाभदायक है। इसे उम्दा नस्ल के साँढ़ या भैंसा से हासिल किया जाता है। इससे गर्भाधान का विकल्प पशुपालकों को महँगा पड़ता है। क्योंकि पशु चिकित्सालयों में होने वाले सामान्य कृत्रिम गर्भाधान का दाम जहाँ क़रीब 50 रुपये है, वहीं आयातित Sexed Semen का दाम 1500 से लेकर 4000 रुपये तक बैठता है।

अश्वगन्धा की खेती
एग्री बिजनेस, औषधि

Ashwagandha Cultivation: बंजर ज़मीन पर अश्वगन्धा की खेती से बढ़िया कमाई, कमाएँ 6-7 गुना मुनाफ़ा

देश में अश्वगन्धा की खेती करीब 5000 हेक्टेयर में होती है। इसकी सालाना पैदावार करीब 1600 टन है, जबकि माँग 7000 टन है। इसीलिए किसानों को बाज़ार में अश्वगन्धा का बढ़िया दाम पाने में दिक्कत नहीं होती। यह पौधा ठंडे प्रदेशों को छोड़कर अन्य सभी भागों में पाया जाता है। लेकिन पश्चिमी मध्यप्रदेश के मन्दसौर, नीमच, मनासा, जावद, भानपुरा और निकटवर्ती राजस्थान के नागौर ज़िले में इसकी खेती खूब होती है। नागौरी अश्वगन्धा की तो बाज़ार में अलग पहचान भी है।

पशु आहार चारा-क्रान्ति
पशुपालन, डेयरी फ़ार्मिंग

पशु आहार (Animal Feed): देश को अब क्यों एक ज़बरदस्त चारा-क्रान्ति की ज़रूरत है?

पशुधन और दूध उत्पादन के लिहाज़ से दुनिया में भारत शीर्ष पर है। माँग की तुलना में देश में अब भी क़रीब 36 प्रतिशत हरा चारा, 11 प्रतिशत सूखा चारा तथा 44 प्रतिशत तक सन्तुलित पशु आहार की कमी है। इसीलिए वक़्त आ चुका है कि हरित-क्रान्ति, श्वेत-क्रान्ति और नीली-क्रान्ति की तर्ज़ पर भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था अब चारा-क्रान्ति की दिशा में भी तेज़ी से अपने क़दम आगे बढ़ाये।

अरंडी की खेती (Castor farming)
न्यूज़

अरंडी की खेती (Castor farming): किसी भी तिलहन से ज़्यादा शानदार कमाई वाली व्यावसायिक फसल

अकेले अरंडी की खेती से भी किसान सालाना स्तर पर पारम्परिक फसलों से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। अन्य फसलों के साथ अरंडी की खेती करने से मुनाफ़ा और बढ़ जाता है। इसकी बिक्री आसानी से हो जाती है और इसकी खेती में लागत के मुकाबले करीब डेढ़ गुना ज़्यादा कमाई होती है। मुनाफ़े का ये अनुपात किसी भी अन्य खाद्य तिलहनी फसल से बेहतर है।

पानी की जांच saline or alkaline water
न्यूज़

पानी की जाँच (Water Testing): सिंचाई की क्वालिटी का भी है कमाई से सीधा नाता, साफ़ पानी देता है ज़्यादा उपज

देश के बहुत बड़े सिंचित इलाके में फसलों की सिंचाई घटिया क्वालिटी वाले लवणीय या क्षारीय पानी से होती है। यही वजह है कि दुनिया के तमाम देशों के मुकाबले भारत के कुल सिंचित क्षेत्र का इलाका ज़्यादा होने के बावजूद हमारे खेतों की उत्पादकता कम है। ऐसे में पानी की जाँच करना और ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।

कड़कनाथ मुर्गीपालन
पशुपालन और मछली पालन, न्यूज़, पशुपालन, मुर्गी पालन

Kadaknath: खेती-बाड़ी के साथ करें कड़कनाथ मुर्गीपालन और पाएँ बढ़िया आमदनी

मुर्गीपालन की अन्य नस्लों के मुक़ाबले कड़कनाथ को पालना आसान और कम खर्चीला है, क्योंकि इन्हें बीमारियाँ कम होती हैं। इसका रखरखाव बॉयलर और देसी मुर्गी के मुक़ाबले आसान होता है। कड़कनाथ का माँस काफ़ी स्वादिष्ट होता है। इसमें आयरन और प्रोटीन की प्रचुरता तथा कोलेस्ट्रॉल यानी फैट बेहद कम होता है। कड़कनाथ का माँस, अंडा और चूजा, सभी की ख़ूब माँग है इसीलिए बढ़िया दाम मिलते हैं।

करी पत्ते की खेती curry leaves farming
फल-फूल और सब्जी, न्यूज़, मसालों की खेती

Curry leaf farming: करी पत्ते की खेती यानी सालों-साल कमाई का ज़रिया

करी पत्ता एक सस्ता और स्वास्थ्यवर्धक मसाला है जो औषधीय गुणों से भरपूर है। इसीलिए करी पत्ते की खेती में हमेशा जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। इसकी माँग पूरे साल रहती है। इसके कच्चे और मुलायम पत्ते, पके हुए पत्तों की तुलना में ज़्यादा क़ीमती और उपयोगी होते हैं। इस पर रोग-कीट का प्रकोप भी बहुत कम पड़ता है।

दुग्ध उत्पादन Heat stress in dairy cattle गर्मी से वैश्विक दूध उत्पादन
पशुपालन, डेयरी फ़ार्मिंग

Heat Stress In Dairy Animals: गर्मी से वैश्विक दुग्ध उत्पादन में गिरावट, बचाव के लिए अपनाएँ 10 घरेलू नुस्ख़े

विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश भारत में गायें गर्मी से परेशान हैं। गर्मी के मौसम में दूध उत्पादन के घटने जैसी समस्या का सामना पशुपालकों को करना पड़ता है। गर्मी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों की वजह से भारत के पशुपालन विशेषज्ञों की ओर से भी पशुपालकों को अपने दुधारू पशुओं को तेज़ गर्मी और लू से बचाने के लिए अनेक सलाह दी गयी हैं।

mushroom processing unit मशरूम प्रोसेसिंग यूनिट
न्यूज़

Mushroom Processing: कैसे होती है मशरूम की व्यावसायिक प्रोसेसिंग? जानिए घर में मशरूम कैसे होगा तैयार?

मशरूम उत्पादक किसान यदि ख़ुद अपनी मशरूम का सेवन करना चाहें तो वो क्या करें? इन किसानों के लिए शहरों से प्रोसेस्ड मशरूम को ख़रीदकर लाना और फिर उसका इस्तेमाल करना व्यावहारिक नहीं होता। इसीलिए, यदि वो अपने घरों में ही मशरूम की प्रोसेसिंग करना सीख लें तो अपनी निजी ज़रूरतों के अलावा वो रिश्तेदारों और मेहमानों वग़ैरह को भी प्रोसेस्ड मशरूम मुहैया करवा सकते हैं।

Scroll to Top