Year Ender 2021: इस साल सब्जियों का ‘राजा’ रहा मशरूम, मिलिये मशरूम उत्पादक इन प्रगतिशील किसानों से

पारंपरिक खेती के मुकाबले कई गुना ज़्यादा कमाई होने के कारण मशरूम की खेती किसानों को पसंद आ रही है। बाज़ार में बढ़ती मांग इसकी सबसे बड़ी वजह है। इस साल Google India Search Trends 2021 में भी मशरूम ने जगह बनाई। हम आपको ऐसे मशरूम उत्पादकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दिया है। पढ़िए किसान ऑफ इंडिया की ये स्पेशल स्टोरी।

Mushroom Entrepreneurs

क्या आपको पता है इस बार Google India Search Trends 2021 में मशरूम ने भी जगह बनाई है? जी हां, कोरोना की वजह से पिछले साल ज़्यादातर लोगों का वक़्त घर पर बीता। इस दौरान लोगों ने मशरूम की एक किस्म एनोकी मशरूम (Enoki Mushroom) को सबसे ज़्यादा सर्च किया। Google ने अलग से एग्री सेक्टर (Agriculture) केटेगरी में तो कोई सर्च रिजल्ट्स नहीं निकाले, लेकिन अलग-अलग व्यंजनों की रेसिपी पर डाटा ज़ारी किया। यानी अप्रत्यक्ष तौर पर ही सही, खेती-किसानी को जगह मिली। मोस्ट सर्च्ड रेसिपी (Recipe) में एनोकी मशरूम (Enoki Mushroom) सबसे ज़्यादा सर्च की गई। इसकी वजह है कि मशरूम को सेहत के लिहाज़ से काफ़ी अच्छा माना जाता है। कोरोना के इस दौर में हर कोई रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाना चाहता है। मशरूम बतौर Immunity Booster देखा जाता है। इसमें भारी मात्रा में आयरन, विटामिन, पोटैशियम, फाइबर, कॉपर जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। 

मशरूम की बढ़ती मांग को देखते हुए पिछले कुछ साल में किसानों का रुझान भी पारंपरिक खेती के अलावा, मशरूम की खेती की तरफ़ बढ़ा है। मशरूम एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती कम लागत में और कम जगह में की जा सकती है। पहले मशरूम की फसल को लेकर किसानों में जानकारी का अभाव था, लेकिन अब स्थितियां बदली हैं। सरकार भी मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रही है। सरकार की इस मुहिम को कई लोग अपने-अपने स्तर पर भी बढ़ावा भी दे रहे हैं। इस लेख में हम आपको ऐसे ही किसानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे किसान ऑफ़ इंडिया की टीम ने बात की और उनके अनुभव जाने। 

1. तोषण कुमार सिन्हा, धमतरी, छत्तीसगढ़

Year Ender 2021: इस साल सब्जियों का ‘राजा’ रहा मशरूम, मिलिये मशरूम उत्पादक इन प्रगतिशील किसानों से
छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के कुर्रा गाँव के रहने वाले तोषण कुमार सिन्हा अब तक करीबन हज़ार से ऊपर महिलाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दे चुके हैं और ये सिलसिला अभी भी जारी है। वो फ़्री में ट्रेनिंग देते हैं। उन्होंने कई गाँवों में स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाए हुए हैं। बीएससी ऐग्रिकल्चर से ग्रेजुएट तोषण कुमार ने कॉलेज करते हुए ही मशरूम की खेती शुरू कर दी थी। 25 हज़ार रुपये का शुरुआती निवेश किया। घर के एक हिस्से में ही मशरूम उगाने शुरू कर दिए।

2015 में तोषण ने बीज उत्पादन का काम भी शुरू कर दिया, क्योंकि उनके क्षेत्र में किसानों को बीज देरी से मिलने की समस्या और अच्छे बीज की उपलब्धता से समझौता करना पड़ता था। उनकी यूनिट में एक दिन में 1 क्विंटल यानी कि 100 किलो बीज तैयार होता है। सीज़न के हिसाब से मशरूम की अलग-अलग किस्मों के बीज का उत्पादन होता है। सरकार द्वारा संचालित कई एनजीओ की महिलाओं को तोषण की यूनिट में तैयार हो रहे बीज मुहैया कराए जाते हैं। तोषण राज्य के कृषि विभाग के कर्मचारियों को भी मशरूम की खेती से जुड़ी ट्रेनिंग देते हैं।

पूरी कहानी यहां पढ़ें: मशरूम की खेती के मशहूर ट्रेनर तोषण कुमार सिन्हा से मिलिए और जानिये उनकी टिप्स, ट्रेनिंग भी देते हैं बिल्कुल मुफ़्त

2. मुहम्मद शैफ़ी, श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर

मशरूम की खेती mushroom farming

Year Ender 2021: इस साल सब्जियों का ‘राजा’ रहा मशरूम, मिलिये मशरूम उत्पादक इन प्रगतिशील किसानों सेलंबे समय से अलग-अलग फसल उगाने वाले श्रीनगर के मुहम्मद शैफ़ी अब मशरूम की ही खेती करते हैं। मुहम्मद शैफ़ी बताते हैं कि उन्हें अन्य दूसरी फसलों की खेती में उतना फ़ायदा नहीं होता था। अब मशरूम बेचने पर उन्हें राशि भी नकद आती है। उनके बेटे मुज़ैल शैफ़ी भी उनका हाथ बंटाते हैं, जिन्होंने पेशे से आईटीआई डिप्लोमा किया हुआ है। मुज़ैल शैफ़ी का कहना है कि मशरूम की फसल में इस्तेमाल होने वाली कम्पोस्ट प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना यानी PMKKKY के तहत मुफ़्त में मिली और साथ ही पूरी खेती के लिये एक लाख तक की सब्सिडी भी प्राप्त हुई।

मुज़ैल शैफ़ी के पास खेती करने के लिये अभी 600 बैग हैं और एक बैग में दो किलोग्राम तक मशरूम का उत्पादन होता है, जिसकी कीमत बाज़ार में 200 रुपये प्रति किलोग्राम है। उनके मुताबिक वो लगभग एक क्विंटल तक मशरूम का उत्पादन करते हैं। बाज़ार में मशरूम का अच्छा दाम मिलता है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में श्रीनगर के कृषि विस्तार सहायक परमवीर सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ़ से सब्सिडी रेट पर मशरूम यूनिट्स बनवाई जाती हैं, जिसकी कीमत 10 से 15 हज़ार रुपये तक आती है और एक यूनिट में 100 बैग होते हैं, जिसके लिये 10 हज़ार तक सब्सिडी मिलती है।

पूरी कहानी यहां पढ़ें: मशरूम की खेती से कश्मीरी किसान की बढ़ी आमदनी, जानें कैसे?

3. प्रकाश चन्द्र सिंह, पटना, बिहार

मशरूम की खेती mushroom farming

प्रकाश चन्द्र सिंह 2019 से मशरूम की खेती कर रहे हैं। गाँव के एक किसान साथी से ही उन्हें मशरूम की खेती करने की प्रेरणा मिली, जो छोटे स्तर पर मशरूम की खेती करते थे। जब उन्होंने मशरूम की खेती करने का फैसला किया तो बैंक ने भी उनकी पूरी मदद की। किसान क्रेडिट स्कीम के तहत प्रकाश सिंह ने जो पहले लोन लिए थे, उनका भुगतान उन्होंने समय रहते किया था। बैंक का भरोसेमंद कस्टमर होने के नाते बैंक ने उनकी पूरी मदद की और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के तहत उन्हें लोन मुहैया कराया। प्रकाश चन्द्र सिंह बताते हैं कि प्रोजेक्ट को उद्योग विभाग से पास कराने के बाद बैंक ने उनके लोन को मंजूरी दे दी। 

प्रकाश चन्द्र सिंह एक बार में 3200 बैग तैयार करते हैं। इसमें करीबन साढ़े तीन टन मशरूम का उत्पादन हो जाता है। प्रकाश चन्द्र सिंह लंबी विधि प्रणाली (Long Method System) से मशरूम की फसल तैयार करते हैं। लंबी विधि से प्लेटफ़ॉर्म पर मशरूम का कंपोस्ट तैयार करने में 28 से 30 दिन का समय लगता है। इसके बाद बीजाई कर थैलियों में पैक करने के करीबन 20 दिन बाद मशरूम निकलना शुरू होता है।

पूरी कहानी यहां पढ़ें: मशरूम उगाने वाले मशहूर किसान प्रकाश चन्द्र सिंह से जानिए मशरूम की खेती से जुड़े टिप्स और तकनीक

4. कुलदीप बिष्ट, देहरादून, उत्तराखंड

मशरूम की खेती mushroom farming

Year Ender 2021: इस साल सब्जियों का ‘राजा’ रहा मशरूम, मिलिये मशरूम उत्पादक इन प्रगतिशील किसानों सेहाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित मशकॉन अंतरराष्ट्रीय मशरूम फेस्टिवल (Mushcon International Mushroom Festival) में किसान ऑफ़ इंडिया टीम की मुलाकात कुलदीप बिष्ट से हुई। कुलदीप बिष्ट जेएमडी फ़ार्म्स (JMD Farms) कंपनी के के मैनिजिंग डायरेक्टर हैं। उनकी फ़र्म उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे किसानों को नई तकनीकों से लैस मशरूम प्लांट्स तैयार करके देती है। कुलदीप बिष्ट कहते हैं कि एक झोपड़ी से ही किसान मशरूम की खेती की शुरुआत कर सकता है। 

जेएमडी फ़ार्म्स Fungo ब्रांड से मशरूम उत्पादक किसानों की मदद भी कर रहा है। ये सीधा किसानों से मशरूम खरीद कर उसके अलग-अलग उत्पाद बनाकर उन्हें बाज़ार तक पहुंचाते हैं। Fungo ब्रांड की शुरुआत मशरूम किसानों को बाज़ार से जोड़ने के मकसद के साथ की गई। किसानों से खरीदे गए मशरूम से बिस्किट, आचार, सूप, सॉस और भी कई उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। 

पूरी कहानी यहां पढ़ें: मशरूम किसानों की उपज को बाज़ार तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं कुलदीप बिष्ट

5. महिलाओं का समूह, सुदूर, छत्तीसगढ़

मशरूम की खेती mushroom farming

छत्तीसगढ़ के सुदूर गांव में रहने वाली इन महिलाओं ने मशरुम की खेती कर खुद के साथ-साथ अपने परिवार को भी आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने का काम किया है। ये मशरूम उत्पादन के साथ-साथ बीज उत्पादन का भी काम करती हैं। पहले जहां अपने जीवनयापन के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ता था, मशरूम की खेती ने सुदूर गांव की इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है।

पूरी कहानी यहां पढ़ें- मशरूम की खेती: बिना ज्यादा खर्चा और मेहनत के कमाएं न्यूनतम 20 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह

अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top