Agricultural Microorganisms: भारत की कृषि क्रांति में सूक्ष्मजीवों की भूमिका की खोज
कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) जैसे बैक्टीरिया और कवक मिट्टी सुधारने, पैदावार बढ़ाने और टिकाऊ खेती को संभव बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) जैसे बैक्टीरिया और कवक मिट्टी सुधारने, पैदावार बढ़ाने और टिकाऊ खेती को संभव बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
यहां पर एक ऐसे युवा किसान के बारें में बताने जा रहे हैं जिसने न केवल अपना जीवन बदला बल्कि एक पूरे समुदाय की किस्मत में नया उजाला भर दिया गया। जलाशय कार्यक्रम यानि Watershed Programme ने क्षेत्र में ऐसा परिवर्तनकारी काम किया जिसने साधु मारी के जीवन में चमत्कारिक बदलाव ला दिया।
जनजातीय (Tribal) महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष रूप से जूट बैग और गहने बनाने, बत्तख और मुर्गी पालन की ट्रेनिंग दी गई। खाकी कैंपबेल बत्तख और वानराजा मुर्गी पालन से महिलाओं की आमदनी में बढ़ोतरी हुई और परिवारों की पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई।
चाइना एस्टर जिसका वैज्ञानिक नाम Callistephus chinensis है, एक एक बेहद सुंदर और लोकप्रिय पुष्पीय पौधा है, जिसे इसकी अलग-अलग रंगों की बहार और लंबे वक्त तक खिलने के लिए उगाया जाता है। ये फूल ख़ास तौर से सजावट, गुलदस्ते और फूलों के व्यापार के लिए उगाया जाता है। चाइना एस्टर की वैज्ञानिक खेती (Scientific farming of China Aster:) से उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है।
सजावटी केल (Ornamental Kale) बहुत ही ख़ूबसूरत पत्तेदार पौधा है, जिसे ख़ासतौर से से बगीचों, पार्कों और घर के डिजाइनों को अट्रैकटिव बनाने के लिए उगाया जाता है। ये पौधा न सिर्फ अपनी घुंघराली, चमकीली और रंगीन पत्तियों के कारण फेमस है, बल्कि इसकी खेती भी एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है। इसकी मांग नर्सरी, होटल, रिसॉर्ट, बागवानी एक्सपर्ट और लैंड स्केप डिजाइनरों के बीच ज़्यादा होती है। इसके अलावा, केल पोषण से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है। सजावटी केल (Ornamental Kale) ठंडे मौसम में अच्छी तरह से बढ़ता है।
मक्का की खेती जायद मौसम में भी की जा सकती है, लेकिन इसे रबी के मौसम में भी इसे उगाया जाता है। मक्का की फसल 3 महीने का वक्त लेती है जो कि धान की फसल के मुकाबले काफी कम है। आपको बता दें कि धान की फसल तैयार होने में 145 दिनों का समय लेती है।
क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में एक बड़ी आर्थिक क्रांति हो रही है। एक क्रांति जो लोगों की ज़िंदगी बदल रही है, उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है और गांव की तकदीर लिख रही है! जी हां, हम बात कर रहे हैं देहरादून के कलसी ब्लॉक की, जहां अदरक की खेती यानि Ginger Farming ने एक नया इतिहास रच दिया है।
फ़ैमिली मिलेट (Ragi Millet Farming) जिसे भारत में रागी बाजरा के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में मदुवा कहा जाता है। ये मिलेट की कठोर ताकत मानी जाती है। भारत में रागी मिलेट शुष्क भूमि (शुष्क भूमि) का भी उपयोग किया जाता है।
भारत में कई तटीय इलाके हैं जहां लोग घनी आबादी के साथ रहते हैं और उन्हें मिट्टी में लवणता, पानी की कमी और समुद्र के बढ़ते जलस्तर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, Floating Farm यानि समुद्र को खेती के लिए इस्तेमाल करना भविष्य की एक बड़ी जरूरत बन सकता है। फ्लोटिंग फार्म से खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है, सस्टेनेबल खेती को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय किसानों के लिए नई आर्थिक संभावनाएँ खुलेंगी।
उत्तम कृषि पद्धतियां कुछ उसूलों और नियमों को साथ लेकर चलती हैं। जिसमें फूड प्रोडक्शन और ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) के लिए नई टेक्नोलॉजी को एक साथ लाना शामिल है। ये लोगों को स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के बारें में भी बताता है।
मिजोरम के कोलासिब ज़िले के हमरवेंग गांव की मिट्टी में एक नई कहानी लिखी जा रही है। कहानी एक प्रगतिशील महिला किसान की, जिन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से न केवल अपनी किस्मत बदली, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बन गईं। मिलिए एफ. लालछुआनवमी से, एक ऐसी महिला जिन्होंने पारंपरिक झूम खेती के दायरे से बाहर निकलते हुए, कृषि-बागवानी और पशुधन आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली यानि Integrated Farming System को अपनाकर अपनी ज़मीन का कायाकल्प कर दिया।
क्वापोनिक्स तकनीक (Aquaponics Technology) जिसमें उपज सिर्फ़ पानी में उगती है। पानी के ज़रीये ही हर तरह की फसलों को उगाया जाता है। ये भोजन उगाने के सबसे टिकाऊ तरीकों में से एक है। तकनीक में पानी के साथ मछलियों का भी बड़ा रोल होता है, जो एक्वापोनिक्स (Aquaponics Technology) का मूल आधार भी हैं। मछली के निकले अपशिष्टों से ही भोजन का उत्पादन होता है वहीं पौधे मछली के लिए पानी साफ़ करते रहते हैं, ये एक चक्र बन जाता है।
कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) एक क्रांति की तरह है। ये दुनिया भर में एक बड़ा विषय बन चुका है। आज के वक्त में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कृषि क्षेत्र में बहुत ज़्यादा इस्तेमाल डायरेक्ट एप्लिकेशन में देखा जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) ना सिर्फ समाधान बल्कि किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा देने में सक्षम बना रहा है। इसके साथ ही कृषि उत्पादों के गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है। उत्पादों की मार्केटिंग के तरीकों और पहुंच भी सुनिश्चित हो रही है।
सीधे शब्दों में कहें तो, जलवायु-स्मार्ट खेती का मतलब है स्मार्ट सोच, स्मार्ट तरीके और नई तकनीकों का उपयोग, ताकि खेती जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर सके। ये सिर्फ टिकाऊ कृषि नहीं है, बल्कि उससे भी एक कदम आगे है।
चाउ चाउ का वैज्ञानिक नाम सेचियम एडुले है। इस बेलदार पौधे की शुरुआत मैक्सिको और ग्वाटेमाला में हुई थी, लेकिन आज यह अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, चीन और दक्षिण-एशियाई देशों में अपनी धाक जमा चुका है। भारत के पहाड़ी इलाकों में, विशेष रूप से तमिलनाडु की सिरुमलाई पहाड़ियों में, चाउ चाउ की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
साल 2019-20 के दौरान, सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन में 2900 एकड़ का जलाशय (Reservoir) पूरी तरह से साल्विनिया मोलेस्टा की चपेट में आ गया था। इस संक्रमण ने न केवल जलाशय (Reservoir) के पारिस्थितिक संतुलन के लिए बल्कि वहां की अर्थव्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर दिया।
पाले (Frost) से फ़सलों को होने वाले नुकसान और उससे बचने के आसान उपायों पर जानकारी। जानें पाले की प्रक्रिया और इसके असर को कैसे कम किया जा सकता है।
चावल भारत में मुख्य भोजन है, और इसकी खेती देश के करोड़ों किसानों की आय का मुख्य स्रोत है। इसके अलावा, भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक चावल के उत्पादन पर निर्भर करती है। इसलिए चावल की किस्मों का महत्व सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि ये पूरे देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Vedic Farming या वैदिक खेती की उत्पत्ति ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद से होती है, जो वैदिक साहित्य का मूल हैं। ये ग्रंथ 1500 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व के बीच रचे गए थे और वैदिक दर्शन, विज्ञान और संस्कृति के आधार हैं। इन ग्रंथों में कृषि गतिविधियों, जैसे मिट्टी की तैयारी, फसल प्रबंधन और औषधीय जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल का खाका बताया गया है।
फ़सलों को पाले से बचाने के उपाय और पाले का समाधान पर इस ब्लॉग में जानें, कैसे सर्दियों में पाला किसानों के लिए संकट बनता है और इसके प्रभाव को कम करने के उपाय।