Mixed-Cropping: नारियल के बगीचे में मिश्रित खेती अपनाई, आधुनिक तकनीक से हुआ फ़ायदा
महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले की किसान प्रियंका नागवेकर ने आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया। उन्होंने नारियल की खेती के साथ Mixed-Cropping का कांसेप्ट अपनाया।
महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले की किसान प्रियंका नागवेकर ने आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया। उन्होंने नारियल की खेती के साथ Mixed-Cropping का कांसेप्ट अपनाया।
झारखंड की महिला किसान पूनम देवी को सूअर पालन में अक्सर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इसे उनके उत्पादन पर असर पड़ रहा था। इसके उपाय के लिए उन्होंने एक सस्ता और असरदार रास्ता ढूंढ निकाला।
गन्ना देश की प्रमुख नगदी फसल है और चीनी उद्योग के लिए प्रमुख कच्चा माल। इसलिए गन्ने की खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है, मगर रस चूसक कीटों के प्रकोप से फसल को काफी हानि होती है। ऐसे में इनका प्रबंधन बहुत ज़रूरी हो जाता है।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले की रहने वाली प्रियंका पांडे ने 2019 में मशरूम की खेती शुरू की। वैज्ञानिक तरीके से की गई मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) ने आज उन्हें एक सफल महिला उद्यमी बना दिया है।
बरसात का मौसम सिर्फ़ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि मवेशियों के लिए भी कई तरह की बीमारियां लेकर आता है। इसलिए पशुपालकों को इस मौसम में पशुओं की खास देखभाल की ज़रूरत होती है, वरना पशुओं की मौत भी हो सकती है।
कुछ लोग लीक पर चलकर ही करियर बनाते हैं, तो कुछ लोगों में दूसरों से हटकर काम करने की चाह होती है। ऐसे ही एक युवा है उत्तराखंड के सूरज सिंह रावत, जिन्होंने इंजीनियरिंग करने के बाद खेती से जुड़ा बिज़नेस शुरू करके दूसरों के लिए मिसाल पेश की है।
कटहल की खेती (Jackfruit Farming) करने वाले किसान अपनी उपज को बेचकर तो कमाई कर ही सकते हैं, लेकिन आमदनी बढ़ाने के लिए इससे बनने वाले मूल्य संवर्धन उत्पादों (Value-Added Products) की जानकारी होना भी बहुत ज़रूरी है।
बीज अच्छा होगा तो फसल भी अच्छी होगी। कई बार किसानों को समय पर उन्नत बीज न मिलने की वजह से नुकसान झेलना पड़ता है। बीजों की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए हिरेहल्ली के कृषि विज्ञान केन्द्र ने सहभागी बीज उत्पादन (Participatory Seed Production) के ज़रिए इस समस्या का हल निकाला।
चाहे घर हो, उद्योग-धंधे या कृषि हर क्षेत्र में ऊर्जा की ज़रूरत पड़ती है, इसके बिना कोई काम नहीं चल सकता। मगर अफसोस कि तेज़ रफ्तार से बढ़ती इसकी मांग ने ऊर्जा का सकंट पैदा कर दिया है, ऐसे में ऊर्जा सरंक्षण के उपायों के बारे में जानकारी और उसे अपनाना बहुत ज़रूरी है।
नारियल कृषि व्यवसाय देश के सिर्फ दक्षिणी राज्यों ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी नारियल और नारियल से बने उत्पादों की बहुत मांग है। नारियल पाउडर की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है क्योंकि मिठाई बनाने में इसे इस्तेमाल करना आसान है। अंडमान-निकोबार की एक महिला ने नारियल पाउडर के बढ़ते बाज़ार को देखते हुए इसे न सिर्फ व्यवसाय के रूप में अपनाया, बल्कि सफलता की मिसाल भी पेश की।
राजस्थान के कोटा ज़िले की रहने वाली सुमन शर्मा निम्न मध्यम वर्गीय किसान परिवार से आती हैं। आठ सदस्यीय परिवार में घर चलाना मुश्किल था। जानिए कैसे उन्होंने फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत की।
किचन गार्डन बनाने से सुनीता सिंह के महीने की सब्जियां खरीदने का खर्च तो कम हुआ ही, साथ ही तरोताज़ा सब्जियां भी खाने को मिलती हैं।
धान की बुवाई और कटाई के साथ ही इसकी थ्रेसिंग का काम भी बहुत मेहनत वाला होता है। पहाड़ी इलाकों और छोटे किसानों तक धान थ्रेसिंग मशीन पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने पैडल वाली और सोलर चालित थ्रेसिंग मशीनें विकसित की हैं, जो किफ़ायती और हल्की हैं।
मछली पालन, नारियल की खेती और टूरिज़्म के बाद अब समुद्री शैवाल की खेती लक्षद्वीप के लोगों की आमदनी का नया ज़रिया बन रही है। प्रशासन इसे एक उद्यम के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।
बिहार की रहने वाली सुनीता कुमारी ने जब अपने इस क्रिएटिव आइडिया पर काम करना शुरू किया तो कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। पर कहते हैं न जहां चाह है वहां राह है, उन्होंने कर दिखाया और अपने इस काम के साथ कई महिलाओं को जोड़ा।
अब्दुल अहद मीर जम्मू-कश्मीर के वनिहामा गांव के रहने वाले हैं। सुविधाओं से वंचित इस पहाड़ी गांव के किसानों की ज़िंदगी में स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) ने मिठास घोली है।
अच्छी नस्ल के घोड़ों की चाह हर घोड़ा पालक को होती है। मगर प्राकृतिक गर्भाधान में ये संभव नहीं हो पाता। इसलिए आजकल वैज्ञानिकों ने घोड़ियों को कृत्रिम तरीक से गर्भाधान की तकनीक विकसित कर ली है। मगर इस काम के लिए अच्छी क्वालिटी के स्टैलियन स्पर्म की ज़रूरत होगी, जिसे पूरा करने के लिए पुणे में एक प्राइवेट इक्वाइन सीमेन लैब (Equine Semen Laboratory) बनाया गया है। जानिए घोड़ा पालन से जुड़ी इस तकनीक के बारे में।
मणिपुर की जनजातीय आबादी की आजीविका का मुख्य स्रोत खेती और मछली पालन है। मछली उनका मुख्य भोजन भी है। मगर राज्य की आबादी की जरूरतें अपने जल स्रोतों से पूरी नहीं हो पाती थी जिस कारण दूसरे राज्यों से मछली मंगानी पड़ती थी, मगर पेन कल्चर तकनीक अपनाने के बाद न सिर्फ़ आदिवासियों की आजीविका में सुधार हुआ, बल्कि मछली का उत्पादन भी बढ़ा।
लाल रंग की रसीली स्ट्रॉबेरी खाने में तो स्वादिष्ट होते ही है, साथ ही यह किसानों की कमाई का भी अच्छा ज़रिया है। नई तकनीक से कम जगह में ही अधिक उत्पादन प्राप्त करके किसान लाभ कमा सकते हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती करके महाबलेश्वर के किसान बशीर डांगे कर रहे हैं।
ऑर्गेनिक यानी जैविक खेती की सबसे पहली ज़रूरत है जैविक खाद और वर्मीकम्पोस्ट से बेहतरीन खाद और कोई नहीं हो सकती। इसलिए इसकी मांग बढ़ती जा रही है। ऐसे में आप भी वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय से अच्छी कमाई कर सकते हैं।