फ़ूड प्रोसेसिंग या खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Food Processing Industry) अच्छी कमाई का बेहतरीन विकल्प है क्योंकि फसलों के मूल्यवर्धन (Value Addition) से उसकी कीमत बढ़ जाती है और मुनाफ़ा भी। ऐसी फसलें जो जल्दी खराब हो जाती हैं, उन्हें बर्बाद होने से बचाने का ये अच्छा ज़रिया है। राजस्थान के कोटा ज़िले की रहने वाली एक महिला कृषि उद्यमी सोयाबीन के उत्पाद बनाकर न सिर्फ़ अच्छा मुनाफ़ा कमा रही हैं, बल्कि आसपास के लोगों को भी फ़ूड प्रोसेसिंग के लिए प्रेरित कर रही हैं।
पूरा हुआ आत्मनिर्भर बनने का सपना
कोटा ज़िले के बलिता गांव की रहने वाली सुमन शर्मा निम्न मध्यम वर्गीय किसान परिवार से आती हैं। उनके परिवार में पति, दो बच्चों और सास-ससुर को मिलाकर कुल आठ सदस्य हैं। इतने बड़े परिवार में घर चलाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके लिए उन्होंने खुद भी काम करने का फैसला किया। वो हमेशा से खुद अपने दम पर कुछ करना चाहती थी। उनका ये सपना 2014 में पूरा हुआ। सुमन शर्मा ने 2014 में छोटे स्तर पर एक सोया प्रोसेसिंग यूनिट लगाई। इस छोटी से शुरुआत ने उन्हें आज एक सफल महिला उद्यमी बना दिया।
ट्रेनिंग से मिली मदद
सोया प्रोसेसिंग यूनिट (Soybean Processing Unit) शुरू करने से पहले उन्होंने कोटा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से फ़ूड प्रोसेसिंग और मूल्यवर्धन पर एक महीने की ट्रेनिंग ली। इस दौरान उन्होंने प्रोसेसिंग तकनीक, मूल्यवर्धन, पैकेजिंग, मार्केटिंग, लेबलिंग, उत्पाद की कीमत की गणना जैसे विषयों के बारे में जाना। ट्रेनिंग पूरा होने के बाद उन्होंने पहले घरेलू स्तर पर 2 से 3 महीने काम करके देखा। उसके बाद अपनी छोटी सी सोयाबीन प्रोसेसिंग यूनिट लगाई। वह सोयाबीन लड्डू, सोया नट्स, सोयाबीन का आटा जैसे कई बाय-प्रॉडक्ट्स बनाती हैं।

छत पर बनाई प्रोसेसिंग यूनिट
सुमन शर्मा ने अपने उद्यम की शुरुआत अपने घर की छत से की क्योंकि उनके पास जगह नहीं थी। 2 लाख रुपये की अपनी जमा पूंजी के साथ उन्होंने इसकी शुरुआत की। छत पर टिन का शेड डालकर प्रोसेसिंग के लिए मशीनें लगवाईं। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 100 महिला उद्यमियों के साथ मिलकर ‘सिद्धि विनायक’ एनजीओ और ‘ऋषि तन्वी’ स्वंय सहायता समूह की स्थापना की। पंजीकृत उद्यमी बनने के लिए उन्होंने शॉप एक्ट नंबर और ‘FSSAI’ नंबर भी प्राप्त किया।
लाखों में हो रही कमाई
वह महीने का करीब 40 हज़ार रुपये कमाती हैं। साल का करीब 5 से 6 लाख रुपये का मुनाफ़ा कमा लेती हैं। दिल्ली के ऑर्गेनिक फेस्टिवल में भी उन्होंने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई और 30 रुपये से अधिक कमाएं। इसके अलावा ऑर्डर पर भी वो उत्पाद तैयार करती हैं। उदाहरण के तौर पर उन्हें 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 200 क्विंटल आंवला कैंडी बनाने का भी ऑर्डर मिला है।

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अन्य महिलाओं को दे रहीं ट्रेनिंग
खुद आत्मनिर्भर बनने के बाद सुमन शर्मा आसपास की अन्य महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनकी भी मदद कर रही हैं। वह करीब 75 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के ज़रिए हज़ार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं। इससे साल में उन्हें करीब एक से डेढ़ लाख की कमाई हुई।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में अपार संभावनाए हैं। किसान अगर चाहें तो थोड़े से प्रशिक्षण के बाद आसानी से इसे शुरू कर सकते हैं और अपनी फसल की बर्बादी रोकने के साथ हीमुनाफ़ा भी बढ़ा सकते हैं।
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