How To Reduce Piglet Mortality: कैसे सूअर पालन में बच्चों के मृत्युदर को कम कर सकते हैं?

झारखंड की महिला किसान पूनम देवी को सूअर पालन में अक्सर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इसे उनके उत्पादन पर असर पड़ रहा था। इसके उपाय के लिए उन्होंने एक सस्ता और असरदार रास्ता ढूंढ निकाला।

सूअर पालन pig farming jharkhand woman

पिछले कुछ समय में सूअर पालन से होने वाले लाभों को देखते हुए कई युवा इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं। 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार देश में लगभग 9.06 मिलियन सूअर हैं। सूअर पालन अगर सही तरीके से किया जाए तो यह कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा दे सकता है। मगर सूअर पालन में सबसे बड़ी समस्या है सुअर के बच्चों की अधिक मृत्युदर। इस समस्या से निपटने के लिए झारखंड की रहने वाली पूनम देवी ने एक बेहद सस्ती और कारगर तरकीब निकाली है, जिससे न सिर्फ़ उनकी मृत्युदर कम हुई, बल्कि सूअरों की कई अन्य समस्याएं भी हल हो गई।

मिट्टी से निकाला गर्मी का तोड़

झारखंड के हज़ारीबाग ज़िले (मोरंगी) की किसान पूनम देवी के पास 0.4 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। वह सूअर पालन व्यवसाय से भी जुड़ी हैं। इस व्यवसाय में सबसे बड़ी समस्या उनके लिए सुअर के बच्चों की उच्च मृत्यु दर थी। इसके अलावा, गर्मी के तनाव के कारण उनकी प्रजनन क्षमता, भ्रूण का विकास, सूअर के बच्चों का जन्म के समय वज़न कम होना और अंधापन आदि समस्याएं भी आती थी। उन्होंने सबसे पहले तो इनके कारणों का पता लगाने की कोशिश की। 

How To Reduce Piglet Mortality: कैसे सूअर पालन में बच्चों के मृत्युदर को कम कर सकते हैं?कम लागत में आसान तरीका

वह इस नतीजे पर पहुंची कि शरीर का वजन और जलवायु का सूअरों की उत्पादकता से गहरा संबंध है। उनके लिए तापमान +20 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस और नमी 30 प्रतिशत तक सबसे अनुकूल है। जब तापमान और नमी इस स्तर से ऊपर जाते हैं तो जानवरों में हीट स्ट्रेस की समस्या बढ़ जाती है। उनके विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है। हीट स्ट्रेस से बचाव का पारंपरिक तरीका बहुत महंगा है और गरीब किसान इतना खर्च नहीं कर सकते। ऐसे में पूनम देवी ने अभिनव तरीका निकाला जो बहुत ही सस्ता और असरदार है। उन्होंने पक्के फर्श पर तीन महीने (अप्रैल से जून तक) मिट्टी की 2 इंच मोटी परत बिछा दी। इस तरीके से गर्मी का तनाव कम करने पर सुअर के बच्चों के वज़न में सुधार हुआ, दूध उत्पादन बढ़ा, सुअर के बच्चों में जन्म के समय से अंधापन और उनकी मृत्यु दर में भी भारी कम देखी गई। मिट्टी की परत थर्मोस्टेट के रूप में काम करती है, जो गर्मी के विकिरण की जांच करके परिवेश के तापमान को मेंटेन रखती है।2011-12 तक उन्हें 20 सूअर के बच्चों से 19200 रुपये का मुनाफ़ा होता था, जो बढ़कर लगभग 22 हज़ार हो गया। 

सूअर पालन pig farming How To Reduce Piglet Mortality: कैसे सूअर पालन में बच्चों के मृत्युदर को कम कर सकते हैं?ट्रेनिंग और उपलब्धियां

ATMA और कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लेने के बाद ही वह सफल महिल उद्यमी बनीं।  करीब 68 किसानों ने उनकी नई तकनीक को अपनाया और यह बहुत ही किफ़ायती और सफल साबित हुई। ATMA और कृषि विज्ञान केंद्र ने उनके काम को मान्यता दी।

सूअर पालन में रखें इन बातों का ध्यान

जिस जगह सूअरों को रखा जाना है, छत की ऊंचाई 10 से 12 फ़ीट होनी चाहिए। दरअसल, सूअरों को गर्मी ज़्यादा लगती है।पानी की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। सूअरों को बीमारियों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण करवाएं।सूअरों को संतुलित आहार दें। मक्का, सोया डीओसी, सरसों की खली, चावल की टुकड़ी सूअरों का मुख्य आहार है।

सूअर पालन: डेयरी उद्योग, बकरी पालन और मुर्गी पालन से कई गुना ज़्यादा मुनाफ़ा दे सकता है ये व्यवसाय, नितिन बारकर ने शेयर कीं कई ज़रूरी बातें

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top