कुछ समय पहले तक सूअर पालन देश में एक ख़ास समूह द्वारा ही किया जाता था, क्योंकि लोग इस व्यवसाय को हीन दृष्टि से देखते थे, लेकिन अब तस्वीर बदली है। कम लागत में अधिक मुनाफ़ा कमाने का यह एक अच्छा ज़रिया है। जिनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं था, सूअर पालन की बदौलत अब आर्थिक रूप से संपन्न हो गए हैं। अरुणाचल प्रदेश के एक गांव की तकदीर भी सूअर पालन ने बदल दी। बेहद गरीबी में जीवन बसर करने वाले इस गांव के लोग सूअर पालन की बदौलत अब अपने परिवार के साथ बेहतर ज़िंदगी जी रहे हैं।
महिला स्वयं सहायता समूह ने की पहल
अरुणाचल प्रदेश में लोहित ज़िले के गांव सेंगापाथर में ज़िले के कुछ सबसे गरीब परिवार रहते थे। इनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं था। अपने-अपने परिवार की आमदनी में बढ़ोतरी करने के मकसद से गांव की महिलाओं ने अयोज्योति नाम से स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाया।
इस स्वयं सहायता समूह को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शरुआत में उनकी कोई भी योजना सफल नहीं रही। हालांकि, समूह की अध्यक्ष बेरोनिका इंदिवार और सचिव मरियम मुंडा ने हार नहीं मानी। गांव वालों की गरीबी मिटाने के लिए लगातार कोशिश करते रहे। उन्होंने पशुपालन में कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए लोहित में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) से संपर्क किया।
सूअर पालन से बदली तकदीर
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने सूअर पालन से जुड़ी ट्रेनिंग ली। इसके बाद उन्हें लेकांग LAMPS (एक बड़ी कृषि बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति) ने सूअर खरीदने, सुअर के रहने के लिए शेड बनाने, पानी का पंप और चारे के लिए 1,37,500 रुपये की आर्थिक मदद की। तीन महिलाओं की टीम बनाई गई, जो बारी-बारी से सूअरों को पालने और चारा खिलाने का काम करती थीं। समूह के अथक प्रयासों से एक साल के अंदर ही सूअर पालन इकाई से लाभ प्राप्त होने लगा।
सूअर के स्टॉक का मूल्य भी बढ़ गया। 19 सूअरों का मूल्य करीबन एक लाख 25 हज़ार रुपये हो गया। समूह की महिला सदस्यों ने आपस में भी लोन लेना शुरू कर दिया, लेकिन इसकी सीमा 20000 रुपये तक ही रखी गई। समूह द्वारा बनाई गई कुल संपत्ति का मूल्य डेढ़ लाख रुपये है। अब समूह अपनी सूअर पालन इकाई में ज़रूरतमंद अन्य महिलाओं को रोज़गार देने की स्थिति में पहुंच गया है। आज के समय में समूह दो और इकाई बनाने की योजना तैयार कर रहा है।
सूअर पालन में रखें इन बातों का ध्यान
- सूअरों के रहने की जगह को आप कच्चा रख सकते हैं, लेकिन छत की ऊंचाई 10-12 फीट होनी चाहिए, क्योंकि सूअरों को गर्मी अधिक लगती है।
- पानी की भी उचित व्यवस्था होना चाहिए।
- सूअरों को चार बीमारियों का अधिक खतरा होता है, जिसमें गला घोंटू, खुर पका-मुंह पका, त्वचा से संबंधित रोग, स्वाइन फीवर शामिल हैं । इससे बचाने के लिए समय पर टीकाकरण ज़रूरी है।
- सूअर को उसके वजन के हिसाब से चारा देना चाहिए। 25 किलो से 100 किलो तक के सूअर को 2 से 5 किलो तक अनाज खिलाया जा सकता है। जबकि 100 से 250 किलो तक के वयस्क सूअर को 5 से 8.5 किलो अनाज देना चाहिए।
- अधिक मुनाफ़े के लिए 10 मादा और एक नर सूअर को पालने का फ़ॉर्मूला अपनाएं।
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